वो लड़की जिसने बदल दिये पासपोर्ट एप्लिकेशन के नियम
ज़ारिया को जब अपने बेटे मुहम्मद के लिए पासपोर्ट की जरूरत पड़ी और नियमों के मुताबिक पासपोर्ट पर मुहम्मद के पिता के साइन होने जरूरी थे। जारिया को इस काम के लिए पासपोर्ट ऑफिस के सैकड़ों चक्कर लगाने पड़े लेकिन उनका काम नहीं हुआ, आप भी जानें कि कैसे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनकी मदद की और ज़ारिया की पहल से बदल गये पासपोर्ट के नियम...
जारिया अपने बच्चे के साथ कोर्ट में भागती रहीं। लेकिन इस हालत में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी लड़ाई जारी रखी। आखिरकार 2012 में उन्हें इस प्रताड़ना से छुटकारा मिल गया।
जारिया पटनी उस वक्त सिर्फ 19 साल की थीं जब उनकी शादी हो गई। हालांकि यह शादी घरवालों की जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि उनकी रजामंदी से हुई थी। वह भी उनकी मनपसंद लड़के से। उन्होंने सोचा कि जिस लड़के से वह शादी करने जा रही हैं वह उन्हें खूब प्यार देगा, लेकिन शायद वह गलत थीं। जारिया की कहानी आपको हैरत में डाल देगी। हालांकि इससे काफी कुछ सीखा भी जा सकता है। अधिकतर लड़कियां ऐसे ही प्यार में आंख मूंदकर शादी कर लेती हैं और बाद में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। काफी कम उम्र में बिना किसी को अच्छे से जाने शादी करना कितना घातक सिद्ध हो सकता है, जारिया की कहानी से सीखा जा सकता है।
जारिया और उस लड़के की फैमिली मुंबई की एक ही बिल्डिंग में रहती थी, लेकिन उन्होंने कभी उसे देखा नहीं था। एक दिन उसने जारिया के ड्राइवर से पूछा कि वह किस कॉलेज में पढ़ती है और सीधे कॉलेज पहुंच गया। उसने इंतजार किया और जारिया से साथ में कॉफी पीने का प्रस्ताव रख दिया। जारिया ने पहले थोड़ा संकोच किया, लेकिन पता नहीं क्या सोचकर राजी हो गईं। उन्होंने फिर थोड़ी देर बात की और इतने में ही जारिया को वह लड़का पसंद आ गया। अच्छी खासी पर्सनैलिटी, बिजनेस और फैमिली जैसी चीजें देखकर वह और उसकी तरफ झुकती चली गईं। लड़के के पैरेंट्स उसकी जल्द से जल्द शादी कराना चाहते थे क्योंकि वह 26 साल का हो चला था। लेकिन जारिया अभी सिर्फ 19 साल की थीं। वैसे तो कानूनी तौर पर लड़की की शादी की उम्र 18 साल ही होती है, लेकिन मानसिक तौर पर तैयार होना और करियर सिक्योर करना भी उतना ही जरूरी होता है।
लेकिन जारिया ने इन सब बातों की परवाह किए बगैर उस सात साल बड़े लड़के से शादी करने का फैसला कर लिया। वह सोचती थीं कि आखिर लड़के में कमी क्या है। वेल सेटल्ड है, दिखने में अच्छा है और उनसे प्यार भी करता है। लेकिन जारिया यहीं पर गलत साबित हो गईं। जिस लड़के को वह अपने सपनों का राजकुमार मानती थीं वही उनकी जिंदगी को तबाह करने में लग गया। इसकी शुरुआत शादी के बाद हनीमून से हुई। वह जारिया को लेकर काफी इनसिक्योर था। उसे नहीं पसंद था कि जारिया उसकी मर्जी के बगैर एक कदम भी आगे बढ़ाए। जारिया को क्या खाना है, क्या पहनना है, किससे बात करनी है और किससे नहीं, ये सब वही तय करता था और बात न मानने पर जारिया को जलील भी करता था।
एक बार वे दोनों लंदन अपने रिश्तेदार के यहां गए, लंदन की घनघोर ठंड में उसने जारिया को जैकेट नहीं पहनने दिया और कहा कि सिर्फ सलवार सूट में ही रहे। वे वहां से दुबई वापस आए तो वहां काफी गर्मी पड़ रही थी। लेकिन उसने सिर्फ अपनी सनक के चलते जारिया को एसी नहीं चलाने दिया। इतना ही नहीं बात न मानने पर कनवर्टेबल कार में फुल स्पीड में जारिया को बैठाकर भयभीत किया। इसी बीच वह प्रेग्नेंट हो गईं लेकिन फिर भी उन पर अत्याचारों का सिलसिला जारी रहा। जारिया को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की नौबत आ गई, लेकिन उस लड़के के रवैये में कोई सुधार नहीं आया। जब वे हॉस्पिटल पहुंचीं तो नर्स ने उनसे कहा कि आपकी हालत गंभीर है और इसलिए आपको इमर्जेंसी वॉर्ड में भर्ती करना पड़ेगा। नर्स ने यह भी कहा कि अगर आप एक दिन भी लेट करतीं तो मुंबई आपकी सिर्फ लाश जाती।
इसके बाद वे अपने पति से मुंबई वापस लौटने की बात कहने लगीं। उस वक्त जारिया के माता-पिता हज पर गए थे। जब वे वापस मुंबई आईं तो उन्होंने अपने घर में रुकने कहा, लेकिन उनके पति ने इससे साफ मना कर दिया। उसने जारिया को खूब खरी खोटी सुनाई। काफी भद्दी-भद्दी गालियां दीं और यहां तक कि लीगल नोटिस भी भेज दिया कि वह जारिया के पेट में पल रहे बच्चे को कस्टडी में रखना चाहता है। लेकिन जारिया ने ऐसा होने नहीं दिया। इसके बाद कानूनी सिलसिला शुरू हुआ और जारिया अपने बच्चे के साथ कोर्ट में भागती रहीं। लेकिन इस हालत में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी लड़ाई जारी रखी। आखिरकार 2012 में उन्हें इस प्रताड़ना से छुटकारा मिल गया। लेकिन उन्हें कोई गुजारा भत्ता नहीं मिला।
इसके बाद जारिया ने अपने फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू किया। उनकी फैमिली लॉजिस्टिक्स के बिजनेस में है। उन्होंने साथ ही अपने फोटोग्राफी के पैशन को फिर से स्टार्ट किया। धीरे-धीरे वह बड़े बड़े नामों और ब्रैंड्स के लिए फोटोशूट करने लगीं। लेकिन एक मुश्किल और आ खड़ी हुई। उनके छोटे से बेटे मुहम्मद को वीजा के लिए पासपोर्ट की जरूरत पड़ी और नियमों के मुताबिक पासपोर्ट पर मुहम्मद के पिता के साइन होने जरूरी थे। जारिया को इस काम के लिए पासपोर्ट ऑफिस के सैकड़ों चक्कर लगाने पड़े लेकिन उनका काम नहीं हुआ। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला दिया कि एक सिंगल मदर भी बच्चे की गार्जियन हो सकती है। आखिरकार उन्हें पासपोर्ट मिल ही गया और पासपोर्ट नियमों में भी बदलाव हुआ। अब पासपोर्ट ऐप्लिकेशन में गार्जियन में माता-पिता में किसी एक नाम से भी पासपोर्ट बन सकता है। वाकई जारिया की कहानी उन तमाम लड़कियों के लिए एक सबक है जो प्यार में अंधी होकर काफी जल्दी किसी पर यकीन कर लेती हैं।
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