Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

गरीब बच्चों को चप्पल बांटकर बीमारियों से दूर रखने की कोशिश में जुटी है एक डॉक्टर

गरीब बच्चों को चप्पल बांटकर बीमारियों से दूर रखने की कोशिश में जुटी है एक डॉक्टर

Saturday November 05, 2016 , 5 min Read

सड़कों में घूमने वाले गरीब बच्चे अक्सर बाजार, सिनेमाहॉल और दूसरी सार्वजनिक जगहों के आसपास नंगे पैर और फटेहाल स्थिति में देखने को मिल जाएंगे। हम में से काफी सारे लोग इन बच्चों को पैसे, कपड़े या थोड़ा बहुत खाना देकर मदद करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कभी आपने सोचा कि ऐसे बच्चे बीमार भी होते हैं और बीमारी की मुख्य वजह होती है उनका बिना चप्पल या जूतों के रहना। इस बात को बेहतर तरीके से समझा दिल्ली में रहने वाली डॉक्टर समर हुसैन ने। जो फिलहाल जयपुर से कम्यूनिटी मेडिसन में एमडी की पढ़ाई कर रही हैं। साथ ही ये अपने संगठन ‘लिटिल हॉर्ट्स’ के जरिये ऐसे बच्चों को मुफ्त में चप्पल बांट रही हैं ताकि वो रोग मुक्त रह सकें।


image


डॉ. समर हुसैन को अपनी पढ़ाई के सिलसिले में फील्ड वर्क करना होता है और अक्सर उनको गांव देहात में जाना पड़ता है। तब समर ने देखा कि “ऐसी जगहों में रहने वाले बच्चों की पैरों में चप्पल नहीं होती हैं। मैं और मेरे गांव के उन बच्चों को खाना, कपड़े और खिलौने देते थे। दिवाली में मैं और मेरे साथी उन बच्चों को पटाखे और बिरयानी भी देते थे। कुछ समय तक ऐसा करने के बाद हमें लगा कि इस तरह से हम उनकी मदद कुछ ही दिन के लिये कर पाते थे। तब मैंने सोचा कि अगर हम इन्हें चप्पल दें तो वो कम से कम वो 6 महीने तो चलेगी।” गांव के ये बच्चे नंगे पैर ही घूमा करते थे जिस कारण उनको पैरों में इन्फेक्शन और कई दूसरी बीमारियां घर कर रहीं थी। तब ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए उन्होने नवम्बर 2015 को ‘लिटिल हॉर्ट्स’ की शुरूआत की। डॉक्टर समर कहती हैं कि आज देश में बहुत सारी एनजीओ काम कर रहे हैं जो कि गरीबों की किसी ना किसी रूप में मदद कर रहे हैं। लेकिन कोई भी ऐसा एनजीओ नहीं हैं जिसका ध्यान इस ओर गया हो। डॉक्टर समर बताती हैं कि “एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ जयपुर के मॉल में घूमने के लिए गयीं। घूमने के बाद मैं जब मॉल से बाहर निकली तो मैंने वहां पर ऐसे गरीब बच्चों को देखा जिनके पैरों में चप्पल नहीं थीं। क्योंकि गरीबी के कारण उनके लिए अपने लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल था ऐसे में वो अपने लिए चप्पल कहां से खरीद सकते। उसी समय मैंने सोच लिया कि मैं अब ऐसे बच्चों को चप्पल पहनाउंगी।”


image


बच्चों की ऐसी हालत देखकर डॉक्टर समर ये सोचने को मजबूर हो गई थीं कि पैसों की तंगी के कारण एक ओर ये बच्चे अपनी बेसिक जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते, वहीं जब हम जैसे लोग कहीं बाहर घूमने जाते हैं तो हम 5-6 सौ रुपये ऐसे ही खाने पीने में खर्च कर देते हैं। वहीं अगर हम इनके लिए सिर्फ 100 रूपये खर्च करें तो उससे हमारा बजट तो कुछ नहीं बिगडेगा, लेकिन ऐसे गरीब बच्चों के लिए 2 जोड़ी चप्पल जरूर आ जायेगी। इस तरह डॉक्टर समर ने शुरूआत में अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर कुछ पैसे जुटाए और उन गरीब बच्चों के लिये चप्पल खरीदी। इसके बाद उन्होने कैम्पेन चलाने का फैसला लिया और क्राउड फंडिग के जरिये पैसा इकट्ठा करने का फैसला लिया। इस पैसे से उन्होने चप्पलें खरीद कर रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और गलियों में रहने वाले गरीब बच्चों को चप्पलें बांटना शुरू किया। उन्होने अपने इस कैम्पेन की शुरूआत दिल्ली और जयपुर से हुई। अपने काम करने के तरीके के बारे में डॉक्टर समर का कहना है कि वो और उनकी टीम सबसे पहले उस इलाके का सर्वे करते हैं जहां पर उनको चप्पल बांटनी होती है। यहां पर इनकी टीम देखती है कि किस जगह पर ज्यादा बच्चों के पास चप्पल नहीं हैं। एक बार जगह चुन लिये जाने के बाद डॉक्टर समर और उनकी टीम वहां पर जाकर चप्पल बांटने काम करती है। बच्चों को चप्पल बांटने के दौरान वो बच्चों और उनकी मां को इसके फायदे के बारे में बताते हैं जिससे बच्चा रोज चप्पल पहने। डॉक्टर समर की टीम में इस समय 20 से 30 वालंनटियर हैं जो कि मेडिकल के अलावा एमबीए और इंजीनियरिंग आदि से जुड़े छात्र हैं। अभी इस काम को वो जयपुर और दिल्ली में ही कर रहीं हैं। वो बताती हैं कि फिलहाल उनके पास फंड की कमी है और जैसे ही फंडिग की व्यवस्था हो जाती है वो कुछ और शहरों में भी इसका विस्तार करना चाहती हैं।


image


डॉक्टर समर ने ‘लिटिल हार्ट्स’ नाम से एक फेसबुक पेज भी बनाया है जहां पर कोई भी व्यक्ति जानकारी हासिल कर इनको पैसे या चप्पल डोनेट कर सकता है। इसके साथ साथ इनकी कोशिश क्राउड फंडिंग के जरिये भी पैसा इकट्ठा करने की है। यहां पर कोई भी कम से कम 100 रुपये भी दान में दे सकता है। डॉक्टर समर की पढ़ाई का ये अंतिम साल है, इस कारण वो अपनी पढ़ाई के कारण इस काम में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती, लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद वो इस काम को तेजी से आगे बढ़ाना चाहती हैं। फिलहाल वो ये काम शनिवार और रविवार के दिन करती हैं। भविष्य की योजनाओं के बारे में डॉक्टर समर का कहना है कि वो ज्यादा से ज्यादा गरीब बच्चों को चप्पल बांटने के अलावा उन बच्चों को स्कूल भेजना चाहती हैं जो या तो स्कूल नहीं जाते या अलग अलग कारणों से जिनका स्कूल छूट गया हो, ताकि वो बच्चे भी शिक्षा ग्रहण कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें।