वो 10 स्टार्टअप्स, जो बदल रहे हैं समाज की सोच
भारतीय युवा न सिर्फ ऑन्त्रेप्रेन्योरशिप से अपना अलग नाम बनाना चाहते हैं, बल्कि वे अब पहले से कहीं अधिक जागरूक हैं और समाज के हित में काम करना चाहते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि ऐसे स्टार्टअप्स की शुरूआत हो, जो नए प्रयोगों और सोच पर आधारित हों और जिनकी मदद से समाज की तस्वीर में जरूरी बदलाव किए जा सकें। आईये बात करते हैं कुछ ऐसे ही स्टार्टअप्स की, जो लंबे समय से बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में सकारात्मक काम कर रहे हैं...
आईआईएम (कोलकाता) के एक पूर्व छात्र ने 2009 में 'रेन्यू आईटी' की शुरूआत की। इसका उद्देश्य है कि कम से कम कीमत पर जरूरतमंद विद्यार्थियों, एनजीओ और छोटी व्यावसायिक इकाईयों को कम्प्यूटर्स मुहैया कराना।
भारतीय युवा न सिर्फ ऑन्त्रप्रन्योरशिप से अपना अलग नाम बनाना चाहते हैं, बल्कि वे अब पहले से कहीं अधिक जागरूक हैं और समाज के हित में काम करना चाहते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि ऐसे स्टार्टअप्स की शुरूआत हो, जो नए प्रयोगों और सोच पर आधारित हों और जिनकी मदद से समाज की तस्वीर में जरूरी बदलाव किए जा सकें। हम बात करने जा रहे हैं, कुछ ऐसे ही स्टार्टअप्स की, जो लंबे समय से बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में सकारात्मक काम कर रहे हैं:
1. गूंज
यह गैर-सरकारी संगठन 1999 से सामाजिक सेवा के क्षेत्र में काम कर रहा है। नई दिल्ली आधारित यह एनजीओ भारत के 22 राज्यों में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। यह संगठन लंबे समय से आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने, जरूरतमंद लोगों को कपड़े आदि मुहैया कराने और ग्रामीण महिलाओं को सूती कपड़े से सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने जैसे समाजिक हित के काम कर रहा है।
इतना ही नहीं, युवाओं से भरी संगठन की टीम नए और सराहनीय प्रयोग कर रही है। मिसाल के तौर पर अनुदान में मिले कपड़ों की मदद से नए और फैन्सी उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिन्हें शहरों में बेचा जाता है। इतना ही नहीं, गूंज की टीम, जागरण और माता की चौकी जैसे कार्यक्रमों में चढ़ाई जाने वाली चुन्नियों को इकट्ठा कर, दुल्हन के कपड़े वगैरह भी बना रही है और सस्ते दामों पर उनकी बिक्री हो रही है।
2. इनैक्ट अस
दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा शुरू की गई यह मुहिम नए तरीकों से समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। इसके अंतर्गत शुरू हुए प्रोजेक्ट 'पात्रादय' के तहत रागी, बाजरे और गेंहू के दानों की मदद से कटलरी उत्पाद बनाए जा रहे हैं और ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं। ये उत्पाद फ्लिपकार्ट, ऐमजॉन, स्नैपडील जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हैं। टीम ऑफलाइन स्टोर्स खोलने की योजना भी बना रही है। इसकी एक बेहद खास बात यह भी है कि प्रोजेक्ट के अंतर्गत रेफ्यूजी अफगानी महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है।
3. ऊर्जा अनलिमिटेड
ऊर्जा अनलिमिटेड के संस्थापक पुनीत आहूजा ने भारत के हर गांव और शहर में ऊर्जा से संबंधित समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य के साथ इस संगठन की शुरूआत की। सरकारी इकाईयों के सहयोग से 'ऊर्जा अनलिमिटेड' इस क्षेत्र में सकारात्मक काम कर रही है। गांवों में बिजली की समस्या को दूर करने के लिए मुख्य रूप से सौर उर्जा का सहारा लिया जा रहा है।
4. ग्रीन सोल
इस्तेमाल के बाद चीजों को फेंक देना, एक आम आदत है, लेकिन कुछ लोग हैं, जो इस आदत से ऊपर उठकर सोचते हैं। हम बात कर रहे हैं, 'ग्रीन सोल' एंटरप्राइज की। श्रेयांश भंडारी और रमेश धामी ने मिलकर इस सामाजिक उपक्रम की शुरूआत की। इसके माध्यम से इस्तेमाल हो चुके जूतों को सुधाकर फिर से इस्तेमाल के योग्य बनाया जाता है।
'ग्रीन सोल' का उद्देश्य है कि इस्तेमाल किए जा चुके जूतों से कूड़े का ढेर बनने के बजाय उन्हें सुधारकर जरूरतमंद बच्चों की मदद की जाए। साथ ही, इनकी मदद से नए फैन्सी फुटवियर्स बनाकर उन्हें मार्केट में बेचा जाए। आप 'ग्रीन सोल' की वेबसाइट पर जाकर जूते दान भी कर सकते हैं, जिन्हें जरूरतमंद बच्चों की सहायता में इस्तेमाल किया जाएगा।
5. ईको-फेमी
तमिलनाडु आधारित इस सोशल एंटरप्राइज की शुरूआत 2010 में हुई। इसे महिलाओं के एक समूह द्वारा शुरू किया गया, जो माहवारी जैसे गंभीर मुद्दे पर सकारात्मक काम कर रहा है। यह एंटरप्राइज बार-बार इस्तेमाल किए जा सकने वाले (वॉशेबल) सैनिटरी पैड्स बनाता है और साथ ही, माहवारी से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहा है।
6. हेल्प अस ग्रीन
कानपुर के दो युवाओं, अंकित अग्रवाल और करन रस्तोगी ने 2015 में इसकी शुरूआत की। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य धार्मिक स्थानों के कूड़े से गंगा नदी को बचाना है। यह संगठन मंदिर और मस्जिदों में होने वाली गंदगी को इकट्ठा कर, उनसे नए और उपयोगी उत्पाद तैयार करता है और उन्हें बेचता है। इस संगठन की मदद से 1200 ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिला है।
7. रेन्यू आईटी
आईआईएम (कोलकाता) के एक पूर्व छात्र ने 2009 में 'रेन्यू आईटी' की शुरूआत की। इसका उद्देश्य है कि कम से कम कीमत पर जरूरतमंद विद्यार्थियों, एनजीओ और छोटी व्यावसायिक इकाईयों को कम्प्यूटर्स मुहैया कराना। 'रेन्यू आईटी' बड़ी मल्टी नैशनल कंपनियों से पुराने और ठीक-ठाक हालत वाले कम्प्यूटर्स खरीदती है और फिर उनमें सुधारकर इस्तेमाल के लायक बनाती है।
8. नो कूड़ा
बिहार के बेगूसराय के रहने वाले दो भाइयों, मनीष और मनोज पाठक ने इस स्टार्टअप की शुरूआत की। इसके अंतर्गत कूड़े आदि को इकट्ठा कर, उन्हें रीसाइकल किया जाता है और इस्तेमाल किया जा सकने वाला सामान तैयार किया जाता है। स्थानीय बाजारों में इस माल की बिक्री होती है।
9. द क्लीन अपर धर्मशाला प्रोजेक्ट
क्लीन अपर धर्मशाला प्रोजेक्ट (सीयूडीपी), तिब्बतियन सेटलमेंट ऑफिस की एक शाखा के तौर पर काम करता है। इसके तहत धर्मशाला के ऊपरी इलाकों के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम चलाई जा रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत पेपर-रीसाइकलिंग वर्कशॉप, पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम और ईको-फ्रेंडली उत्पादों की बिक्री के लिए ‘ग्रीन शॉप’ जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हाल में सीयूपीडी के अंतर्गत 40 लोगों को रोजगार दिया जा रहा है।
10. लिविंग ग्रीन्स
लिविंग ग्रीन्स ऑर्गेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, भारत की सबसे शुरूआती अर्बन फार्मिंग कंपनियों में से एक है। इसकी सुविधाओं में रूफटॉप ऑर्गेनिक फार्मिंग, रूफटॉप फ्रूट फार्मिंग, रूफटॉप ऑर्गेनिक फार्मिंग किट, ऑर्गेनिक किचन गार्डनिंग, लाइव ग्रीन वॉल्स, इंडोर ग्रीन वॉल्स, आउटडोर ग्रीन वॉल्स, सेल्फ-इरिगेटिंग बालकनी स्टैंड्स आदि शामिल हैं।
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