इन छह कपल्स ने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को दिए नए आयाम
इन कपलप्रेन्योर्स ने साथ मिलकर न सिर्फ चुनौतियों का सामना किया बल्कि उपभोक्ताओं तक आधुनिक प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज़ पहुंचा कर उद्योग जगत को पूरी तरह से बदल डाला है. यहां हम ऐसे 6 कपलप्रेन्योर्स के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनकी उद्यमिता की यात्रा देश के करोड़ो लोगों को प्रेरित करती है.
एक स्टार्टअप को सफल बनाना अपने आप में बड़ी चुनौती है, लेकिन उद्योग जगत में कई ऐसे कपल्स हैं जिन्होंने पर्सनल और प्रोफेशनल सपोर्ट का तालमेल बनाते हुए इस क्षेत्र में खूब सफलता हासिल की है. इन उद्यमियों को कपलप्रेन्योर्स कहा जा सकता है, जिन्होंने एक साथ मिलकर न सिर्फ चुनौतियों का सामना किया बल्कि उपभोक्ताओं तक आधुनिक प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज़ पहुंचा कर उद्योग जगत को पूरी तरह से बदल डाला है.
यहां हम ऐसे 6 कपलप्रेन्योर्स के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनकी उद्यमिता की यात्रा देश के करोड़ो लोगों को प्रेरित करती है.
ग़ज़ल और वरूण अलघ,
मामाअर्थ के को-फाउंडर्स ग़ज़ल और वरूण अलघ ने 2016 में होनासा कन्ज़्यूमर प्रा. लिमिटेड (HCPL) के तहत अपना पर्सनल केयर ब्राण्ड लॉन्च किया. वे आज के सजग युवा भारतीय उपभोक्ताओं तक टॉक्सिन से रहित, पर्यावरण के अनुकूल स्किनकेयर और वेलनेस प्रोडक्ट्स पहुंचाना चाहते थे. बहुत छोटी सी समय अवधि में मामाअर्थ को 2022 में यूनिकॉर्न का दर्जा मिल गया, जो ब्राण्ड की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है.
इन्होंने पारम्परिक भारतीय इन्ग्रीडिएन्ट्स और स्किनकेयर की आधुनिक ज़रूरतों का तालमेल बनाते हुए अपने प्रोडक्ट्स लॉन्च किए. मामाअर्थ के पोर्टफोलियो में फेस वॉश से लेकर बेबी केयर आइटमों तक 120 से अधिक प्रोडक्ट्स शामिल हैं, जिन्हें प्राकृतिक अवयवों जैसे हल्दी, बांस, चारकोल आदि से बनाया जाता है. आधुनिक मार्केटिंग, डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स और कम्युनिटी एंगेजमेन्ट के चलते ये प्रोडक्ट्स 500 भारतीय शहरों में 2.5 मिलियन से अधिक उपभोक्ताओं तक पहुंचे हैं.
अपनी कमर्शियल सफलता के साथ-साथ अलघ कपल ने सस्टेनेबल पैकेजिंग और एथिकल सोर्सिंग को अपनाते हुए समाज के प्रति ज़िम्मेदारी को भी निभाया है, तथा भारत के मिलेनियल्स एवं जैन ज़ी उपभोक्ताओं का भरोसा जीतने में कामयाब रहे हैं.
कौशिक मुखर्जी और विनीता सिंह,
2012 में कौशिक मुखर्जी और विनीता सिंह द्वारा स्थापित शुगर कॉस्मेटिक्स बहुत जल्द भारत के मिलेनियल्स का पसंदीदा ब्राण्ड बन गया. अपने बोल्ड प्रोडक्ट्स और आकर्षक पैकेजिंग के लिए विख्यात ब्राण्ड ने कॉस्मेटिक्स के प्रतिस्पर्धी बाज़ार अपना विशेष स्थान बना लिया है.
शुरूआत में शुगर कॉस्मेटिक्स लिप्सटिक पर फोकस करता था, लेकिन जल्द ही ब्राण्ड ब्यूटी प्रोडक्ट्स की व्यापक रेंज जैसे फाउन्डेशन, आई मेकअप और स्किनकेयर लेकर आया. इस कपल ने डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण के साथ ब्राण्ड की मजबूत पकड़ बनाई है. सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग के ज़रिए अपने लक्षित उपभोक्ताओं को लुभाने में कामयाब रहा है. सशक्त और आत्मनिर्भर महिलाओं पर आधारित उनकी ब्राण्डिंग देश भर के युवा उपभोक्ताओं को लुभाने में सफल रही है.
विनीता शुगर कॉस्मेटिक्स की सीईओ और कौशिक सीओओ हैं, दोनों ने मिलकर शुगर के संचालन का पैमाना बढ़ाया है, ब्राण्ड की प्रोडक्शन युनिट्स भारत, जर्मनी और यूएस में हैं. आज शुगर भारत के सबसे तेज़ी से विकसित होते प्रीमियम ब्यूटी ब्राण्ड्स में से एक है, जिसने इंटरनेशनल विस्तार की योजनाएं भी बनाई हैं.
अमित और कशीश ए नेनवानी,
अमित और कशिश ए नेनवानी ने वाहटर के साथ पैकेज्ड वाटर और एडवरटाइजिंग बिज़नेस दोनों की परिभाषा को बदल डाला है, उनका आधुनिक बिजनेस मोडल इन्नोवेशन और रचनात्मकता का बेहतरीन संयोजन है. 2023 में स्थापित वॉहटर न सिर्फ पैकेज्ड वाटर का ब्राण्ड है बल्कि यह ब्राण्ड्स के लिए फिज़िकल विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचने का ज़रिया भी बन गया है.
उन्होंने भारत के रु 221 बिलियन के पैकेज्ड वाटर और रु 916 बिलियन के एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री की क्षमता को पहचाना और दोनों का संयोजन बनाकर वॉहटर लेकर आए. उनका मॉडल कुछ ऐसा है कि कंपनियां वाहटर की बोतलों पर अपने विज्ञापन कर सकती हैं, इस तरह रोज़मर्रा में बेची जाने वाली पानी की बोतलें विज्ञापन का इंटरैक्टिव माध्यम बन गई हैं. ब्राण्ड सुनिश्चित करता है कि उनके द्वारा बेची जाने वाली पानी की हर बोतल, साफ, सुरक्षित और किफ़ायती हो. उपभोक्ता को ताज़ा प्रोडक्ट मिले और ब्राण्ड को विज्ञापन का पारदर्शी साधन.
वाहटर का मिशन सिर्फ विज्ञापन करना ही नहीं है- इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को पर्यावरण के अनुकूल और किफ़ायती हाइड्रेशान उपलब्ध कराना तथा कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं के साथ जुड़ने का माध्यम प्रदान करना भी है. अमित और कशिश की नई सोच तथा पर्यावरण एवं विज्ञापन उद्योग के प्रति जुनून ने वॉहटर को भारत का तेज़ी से विकसित होता स्टार्टअप बना दिया है.
विवेक प्रभाकर और शुभ्रा चड्डा,
विवेक प्रभाकर और शुभ्रा चड्ढा ने 2010 में प्रोजेक्ट के रूप में चुंबक की स्थापना की, लेकिन यह ब्राण्ड तेज़ी से विकसित होते हुए भारत के सबसे पसंदीदा डिज़ाइन-उन्मुख लाईफस्टाइल ब्राण्ड्स में से एक बन गया है. शुरूआत में इस कपल ने अपने बिज़नेस की फंडिंग के लिए बैंगलुरू स्थित अपना अपार्टमेन्ट बेच दिया, उनके द्वारा उठाया गया बड़ा जोखिम ही आज उनकी सफलता का कारण बन गया है.
चुंबक आज के उपभोक्ताओं की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए फैशन, होम डेकोर और एक्सेसरीज़ की व्यापक रेंज लेकर आता है. पारम्परिक और आधुनिक डिज़ाइनों के संयोजन के साथ आज यह ब्राण्ड मिलेनियल्स का पसंदीदा ब्राण्ड बन चुका है.
विवेक और शुभ्रा के समर्पण की वजह से ही आज चुंबक देश का प्रतिष्ठित नाम है, जिसकी ऑनलाईन और ऑफलाईन स्टोर्स के साथ सशक्त मौजूदगी है. कपल की यात्रा रचनात्मक उद्यमिता की क्षमता का बेहतरीन उदाहरण है जिन्होंने डिज़ाइन के प्रति अपने जुनून को कामयाब कारोबार में बदल डाला है.
रुचि कालरा और आशीष मोहापात्रा,
रूचि कालरा और आशीष मोहापात्रा ऐसे कपल्स का उदाहरण हैं जिन्होंने सिर्फ एक नहीं बल्कि दो यूनिकॉर्न कंपनियां स्थापित की हैं. उन्होंने 2015 में एक साथ मिलकर बी2बी कॉमर्स प्लेटफॉर्म ऑफ बिज़नेस की स्थापना की, जिसने छोटे एवं मध्यम उद्यमों द्वारा कच्चे माल और ओद्यौगिक आपूर्ति की खरीद को पूरी तरह से बदल डाला. यह प्लेटफॉर्म कारोबारों को पूंजी और ऋण सहित सेवाओं की व्यापक रेंज प्रदान करता है, ताकि वे प्रभाविता के साथ अपना संचालन कर सकें. ऑफबिज़नेस का कारोबार आज रु 44000 करोड़ का है.
उनका दूसरा वेंचर है ‘ऑक्सीज़ो फाइनैंशियल सर्विसेज़, जिसका लॉन्च 2017 में किया गया. यह ऑफबिज़नेस की फाइनैंशियल शामिल है, जो कारोबारों को ऋण सुविधाएं प्रदान करती है तथा छोटे एवं मध्यम कारोबारों को उनके नकद प्रवाह को बेहतर बनाने में सहयोग देती है. ऑक्सीज़ो ने 200 मिलियन डॉलर की राशि जुटाई है, इसका अवमूल्यन रु 8200 करोड है. इसके साथ कपल की गिनती आज सर्वोच्च उद्यमियों में की जाती है.
रूचि और आशीष की सफलता की यात्रा चुनौतियों से भरी रही है, फंडिंग मिलने से पहले उन्हें 73 बार निवेशकों से रिजेक्शन मिला. लेकिन उन्हें हिम्मत नहीं हारी और डटे रहे, इसी मेहनत के दम पर आज वे दो सफल यूनिकॉर्न चला रहे हैं और भारतीय कारोबार की परिभाषा को नए आयाम दे रहे हैं.
स्वाति और रोहन भार्गव,
स्वाति और रोहण भार्गव के कैशकरो ने तय किया है कि भारतीय उपभोक्ता ऑनलाईन खरीददारी के दौरान पैसे बचाएं. 2013 में स्थापित कैशकरो आज देश का अग्रणी कैशबैक और कूपन प्लेटफॉर्म है, जिसने प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेयर्स जैसे एमज़ॉन, मिन्त्रा और नयका के साथ साझेदारी की है. 2023 में प्लेटफॉर्म ने रु 252 करोड़ के राजस्व की उपलब्धि हासिल की और रु 4500 करोड़ का ग्रॉस मर्चेन्डाइज़ वैल्यू दर्ज किया.
कैशकरो का अनूठा मॉडल पार्टनरशिप पर आधारित है- जहां यूज़र प्लेटफॉर्म के ज़रिए खरीददारी करते हैं और कैशकरो को ई-कॉमर्स साईट से कमीशन लिता है. इस कमीशन का एक हिस्सा उपभोक्ता को कैशबैक के रूप में दिया जाता है. यह सरल और प्रभावी अवधारणा लाखों उपभोक्ताओं को लुभा चुकी है और यही कारण है कि आज कैशकरो भारत के ऑनलाईन शॉपिंग सिस्टम में जाना-माना नाम बन चुका है.
इस तरह खरीददार न सिर्फ पैसे बचा सकते हैं बल्कि ब्राण्ड्स की बिक्री भी बढ़ जाती है. इनोवेशन, उपभोक्ता उन्मुख योजनाओं और ई-कॉमर्स प्लेयर्स के साथ मजबूत रिश्तों के चलते इस प्लेटफॉर्म ने शानदार सफलता हासिल की है.