महिलाओं के लिए कॉर्पोरेट दुनिया का दरवाज़ा खोलने वाली डॉ. रोहिणी आनंद
महिलाओं के लिए कार्यक्षेत्र में समान स्थान बनाने और उन्हें महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपने की पक्षधर डॉ. रोहिणी आनन्द की कहानी है सबसे अलग...
सोडेक्सो की सीनियर वाइस प्रेज़िडेंट, कार्पोरेट रेस्पॉन्सिबिलिटी और ग्लोबल चीफ़ डायवर्सिटी ऑफ़िसर डॉ. रोहिणी आनंद का मानना है कि महिलाओं को कॉर्पोरेट वर्कफ़ोर्स में वापस लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें वरिष्ठ और अधिक महत्वपूर्ण पदों पर आगे बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
डॉ. आनन्द महिलाओं के लिए बेहतर कार्यक्षेत्र तैयार करने तक ही सीमित नहीं हैं, उनके नेतृत्व में ही सोडेक्सो ने साल 2012 में प्रतिष्ठित कैटलिस्ट प्राप्त किया है और डायवर्सिटी एवं समावेशन के लिए डायवर्सिटी इंडस्ट्रीज़ इंडेक्स पर लगातार 8 वर्षों तक शीर्ष दस में स्थान बनाए रखा।
सोडेक्सो की सीनियर वाइस प्रेज़िडेंट, कार्पोरेट रेस्पॉन्सिबिलिटी और ग्लोबल चीफ़ डायवर्सिटी ऑफ़िसर डॉ. रोहिणी आनंद का मानना है कि महिलाओं को कॉर्पोरेट वर्कफ़ोर्स में वापस लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें वरिष्ठ और अधिक महत्वपूर्ण पदों पर आगे बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
पिछले महीने मुंबई में आयोजित डायवर्सिटी ऐंड इंक्लुसन सेमिनार में देश की प्रतिष्ठित कम्पनियों के मार्केटिंग और मानव संसाधन प्रमुखों ने मंच पर आकर डॉ. रोहिणी आनन्द को उनके जीवन के तीन दशकों के अनुभव को साझा करने और एक महिला के लिए बेहतर जीवन जीने के मापदंडों को स्थापित करने के लिए धन्यवाद दिया। डॉ. आनन्द महिलाओं के लिए बेहतर कार्यक्षेत्र तैयार करने तक ही सीमित नहीं हैं, उनके नेतृत्व में ही सोडेक्सो ने साल 2012 में प्रतिष्ठित कैटलिस्ट प्राप्त किया है और डायवर्सिटी एवं समावेशन के लिए डायवर्सिटी इंडस्ट्रीज़ इंडेक्स पर लगातार 8 वर्षों तक शीर्ष दस में स्थान बनाए रखा। यह इस बात का एक उदाहरण है कि आखिर क्यों डॉ. रोहिणी को हर काम का चैम्पियन माना जाता है।
महिलाओं के लिए कार्यक्षेत्र में समान स्थान बनाने और उन्हें महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपने की पक्षधर डॉ. रोहिणी आनन्द की कहानी सबसे अलग है। वर्तमान में वह एक ऐसी रोल मॉडल के तौर पर स्थापित हो चुकी हैं, जिन्होंने न सिर्फ महिला सशक्तिकरण के बिल्कुल नए आयाम पेश किये हैं, बल्कि इसके लिए पिछले तीन दशकों में बिल्कुल नए कीर्तिमान भी स्थापित किए हैं।
मुंबई में पली-बढ़ीं रोहिणी आनन्द अपने 20वें जन्मदिन से पहले ही ग्रैजुएशन के लिए अमेरिका चली गईं। एक सिंगल महिला और अमेरिका में एक प्रवासी होने के अनुभवों ने रोहिणी आनन्द को काफ़ी मज़बूत किया। यहीं पर मिशिगन यूनिवर्सिटी से उन्होंने पी.एचडी. की पढ़ाई की। पी.एचडी. के साथ ही रोहिणी आनन्द ने अमेरिका में ही कॉर्पोरेट कम्पनी में काम किया। डॉ. रोहिणी की इस यात्रा और उनके शैक्षणिक कार्यों ने उन्हें भविष्य के लिए काफ़ी मज़बूत कर दिया था।
अमेरिका में डॉ. रोहिणी आनन्द ने कई बड़े संगठनों के लिए बतौर कन्सलटेन्ट काम किया। इसी बीच सोडेक्सो के सीईओ माइकल लैंडेल से उनकी मुलाकात हुई। यहीं से उनकी सफलता की यात्रा को ऊंचाई मिलने की दिशा मिली। जिस वक्त डॉ. रोहिणी की मुलाकात माइकल लैंडेल से हुई, उस समय डायवर्सिटी फंक्शन में काम करने के लिए सोडेक्सो बिल्कुल नयी थी। सोडेक्सो ने डॉ. रोहिणी को अपनी स्थापना को मजबूत करने और उत्तरी अमेरिका में विस्तार की जिम्मेदारी सौंपी।
तमाम कसौटियों पर खरा उतरते हुए डॉ. रोहिणी आनन्द ने न सिर्फ सोडेक्सो द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को बख़ूबी पूरा किया बल्कि समय के साथ इसका दुनियाभर के 80 से अधिक देशों में 4 लाख 30 हजार से अधिक कर्मचारियों के साथ इसका विस्तार भी किया। अपने इस सफ़र को डॉ. रोहिणी सिर्फ एक वक्तव्य में समेटते हुए कहती हैं, "आज मेरा काम एक नौकरी से अधिक है, यह मेरा जुनून है।"
डॉ. रोहिणी का यही जुनून उन्हें सबसे अलग बनाता है। उनके जुनून का नतीजा कुछ इस तरह नजर आता है कि वैश्विक स्तर पर सोडेक्सो में 54 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं। निदेशक मंडल में 50 प्रतिशत, प्रबंधकीय पदों पर 43 प्रतिशत और समूह का नेतृत्व करने वाले पदों पर 32 प्रतिशत महिलाएं हैं। डॉ. रोहिणी बताती हैं कि ये देखना बेहद संतोषजनक है कि अब जेंडर डायवर्सिटी हमारे वर्किंग-कल्चर का सबसे महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। अपने लक्ष्य को लेकर वह कहती हैं कि हम 100 प्रतिशत लिंग संतुलन तक पहुंचना चाहते हैं। ऐसा हुआ तो हम कंपनी प्रबंधन में वर्तमान के 20-25 प्रतिशत महिला भागीदारी को 40 से 60 प्रतिशत तक ले जाएंगे।
डॉ. रोहिणी कहती हैं कि तीन दशक से ज्यादा के अपने करियर में, उन्होंने कई बार महिलाओं को काम पर रखने से पहले की प्रक्रिया में ही संक्रमण देखा है, जो उनके लिए मुश्किलों की शुरुआत भर ही होता है। कार्यक्षेत्र में उन्हें कई लिंग असमानताओं का सामना करना पड़ता है। हम इसी समस्या के ख़िलाफ़ हैं। वह बताती हैं कि पहले महिलाओं को कार्यक्षेत्र में जगह देना किसी कोटे को भरने या नियम के पालन करने जैसा था, लेकिन अब यह सोच बदली है। अब महिलाओं का कार्यक्षेत्र में होना रचनात्मकता को बढ़ाने, विचारों के प्रसार और वास्तविक वित्तीय समझ को बढ़ाने का कार्य कर रहा है। अब हम और बेहतर ढंग से सोच सकते हैं और उसे अमल में ला सकते हैं।
डॉ. रोहिणी आनन्द मानती हैं कि महिलाओं को कॉर्पोरेट कार्यबल में वापस लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, इसके साथ ही उन्हें वरिष्ठ तथा अधिक महत्वपूर्ण पदों पर आगे बढ़ाने पर काम करना चाहिए। अपनी वर्तमान भूमिका के अलावा, रोहिणी कई सामाजिक संगठनों के निदेशक मंडल में भी अपनी भूमिका निभाती हैं। इनमें गे, लेस्बियन एंड स्ट्रेट एजुकेशन नेटवर्क(जीएलएसईएन), कम्युनिटी वेल्थ पार्टनर्स, द कैटलिस्ट बोर्ड ऑफ अडवाइज़र्स, नैशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑन डिसअबिलिटीज़ (एनओडी), और सोडेक्सो के स्टॉप हंगर फाउंडेशन बोर्ड शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: दिल्ली की इन दो बहनों ने पैरिस से शुरू किया फ़ैशन ब्रैंड, दुनियाभर के 90 स्टोर्स में बिकते हैं इनके प्रॉडक्ट्स