80 साल के वृद्ध डॉक्टर योगी गरीब जले मरीजों की सर्जरी करते हैं मुफ्त
कई बार डॉ. योगी एरोन के पिता ने भी पूछा कि वे फ्री में लोगों का इलाज क्यों करते हैं, तो क्या कहा डॉ. योगी ने, आप भी जानिए...
पिछले 11 सालों से डॉ. योगी हर साल दो हफ्ते के लिए मेडिकल कैंप भी लगाते हैं जिसमें अमेरिका से सर्जन की टीम ऑपरेशन करने के लिए आती है।
अपनी जिंदगी के कीमती वर्ष गरीबों और असहायों की सेवा में लगा देने वाले डॉ. योगी के पास न तो पैसे हैं और न ही कोई खासी प्रसिद्धि, लेकिन उन तमाम गरीबों और पीड़ितों की दुआएं जरूर हैं जिनकी जिंदगी डॉ. योगी ने बचाई है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राजपुर के पास एक मालसी डियर पार्क है। वैसे तो यह पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बना होता है। यहां पर प्रकृति को निहारने और वन्य जीवों को देखने के लिए भी कई सारे सैलानी हर रोज आते हैं। लेकिन इसके अलावा यह जगह 80 वर्षीय डॉक्टर योगी एरोन की वजह से भी खासी चर्चित है। डॉ. योगी आग से जले या झुलस गए मरीजों का फ्री में इलाज करते हैं और जरूरत पड़ने पर उनकी सर्जरी भी करते हैं। वे हर साल लगभग 500 पीड़ितों की सर्जरी करते हैं।
प्रसिद्ध हिल स्टेशन मसूरी जाते वक्त रास्ते में पड़ने वाली इस जगह पर एक चिल्ड्रेन साइंस पार्क भी स्थित है। यहां पर कई सारे अनोखे दुर्लभ और काफी पुराने पेड़ लगे हुए हैं। इसी चार एकड़ में फैले हुए कैंपस में एक छोटा सा अस्पताल भी है जहां डॉ. एरोन बैठते हैं। हर साल यहां डॉ. योगी एरोन के पास हजारों पीड़ित गरीब लोग इलाज कराने के वास्ते आते हैं। हिमालयी इलाकों में जंगली जानवरों से घायल हुए और आग से दुर्घटनावश जले या झुलसे लोगों की तादाद सबसे ज्यादा होती है। यहां मरीजों का फ्री में इलाज किया जाता है और उन्हें दवाइयां भी फ्री में ही दी जाती हैं।
वैसे तो यहां कई सारे प्राइवेट और सरकारी अस्पताल भी हैं, लेकिन जब जले या झुलस जाने का कोई गंभीर केस आता है तो उसे डॉ. योगी के पास रेफर कर दिया जाता है। यहां इलाज के लिए लंबी लाइन लगती है और हर वक्त वेटिंग लिस्ट में पीड़ितों को इंतजार भी करना होता है। क्योंकि मरीजों की तादाद काफी ज्यादा होती है। पिछले 11 सालों से डॉ. योगी हर साल दो हफ्ते के लिए मेडिकल कैंप भी लगाते हैं जिसमें अमेरिका से सर्जन की टीम ऑपरेशन करने के लिए आती है। वे एक दिन में कई सारी सर्जरी करते हैं। 'द बेटर इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक अभी लगभग 10,000 मरीज वेटिंग लिस्ट में हैं। इनमें से ज्यादातर लोग हिमालय के इलाके से हैं।
उनकी एक बेटी और एक बेटा अमेरिका में रहते हैं। वे कहते हैं कि जले-झुलसे लोगों के पास इलाज के पैसे नहीं होते और अमीर लोग जलते ही नहीं।
डॉ. योगी की अमेरिकी सर्जन टीम में लगभग 15-16 डॉक्टर होते हैं और वे रोजाना 10-12 सर्जरी करते हैं। डॉ. योगी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 1937 हुआ था। अपने पांचवे प्रयास में उन्हें लखनऊ के प्रसिद्ध किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में उन्हें एडमिशन मिला था। चार साल की मेडिकल डिग्री उन्होंने 7 सालों में पूरी की। उन्होंने पटना के प्रिंस वेल्स मेडिकल कॉलेज से 1971 में प्लास्टिक सर्जरी में स्पेशलाइजेशन भी किया। उस वक्त उनकी शादी हो चुकी थी और दो बच्चे भी थे। उस वक्त भारत के अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जरी की ज्यादा मांग नहीं थी इस लिहाज से कहीं नौकरी भी मिलना मुश्किल होता था।
हालंकि डॉ. योगी को 1973 में देहरादून के जिला अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन के तौर पर नौकरी मिल गई। डॉ. योगी अपने उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं, 'मैं भिखारी की तरह रहता था और गधे की तरह काम करता था। मुझे दूसरा काम करने को कहा गया, लेकिन मैंने साफ इनकार कर दिया।' अपनी बहन की मदद से वे 1982 में अमेरिका गए और वहां नए डॉक्टरों के साथ उन्हें कुछ एक्सपोजर मिला। उन्होंने इस क्षेत्र में महारत हासिल की। उसके बाद अमेरिका से वापस आने के बाद उन्होंने अपने पिता से कुछ पैसे लिए और देहरादून में कुछ जमीन खरीदी। यहीं पर उनका साइंस पार्क भी बना हुआ है।
उस वक्त देहरादून में किराए के मकान में अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ रहते थे। उन्होंने अपने घर के बाहरी हिस्से को छोटी सी डिस्पेंसरी में तब्दील कर दिया था। यहां वह सर्जरी को अंजाम देते थे। यहां ज्यादातर मरीज गरीब परिवार से आते थे। जिनमें से कुछ के पास तो डॉ. को देने के लिए पैसे होते थे, लेकिन कई लोगों का इलाज वे फ्री में कर देते थे। घर का खर्च उनके पिता द्वारा दिए गए पैसों से चलता था। आज भी वे देहरादून में एक छोटे से किराए के मकान में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनकी एक बेटी और एक बेटा अमेरिका में रहते हैं। वे कहते हैं कि जले-झुलसे लोगों के पास इलाज के पैसे नहीं होते और अमीर लोग जलते ही नहीं। कई बार डॉ. के पिता ने भी पूछा कि वे फ्री में लोगों का इलाज क्यों करते हैं, तो डॉ. योगी ने कहा कि क्योंकि इससे उन्हें संतुष्टि मिलती है। अपनी जिंदगी के कीमती वर्ष गरीबों और असहायों की सेवा में लगा देने वाले डॉ. योगी के पास न तो पैसे हैं और न ही कोई खासी प्रसिद्धि, लेकिन उन तमाम गरीबों और पीड़ितों की दुआएं जरूर हैं जिनकी जिंदगी डॉ. योगी ने बचाई है।
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