26/11 हमले में घायल नेवी कमांडो ने लद्दाख में पूरी की 72 किमी लंबी मैराथन
इतने साल नेवी में रहकर देश की सेवा करने वाले तेवतिया डेस्क जॉब नहीं करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने नेवी पर्वतीय दल के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका आवेदन मेडकिल आधार पर खारिज कर दिया गया।
डॉक्टरों ने प्रवीन को सख्त हिदायत दी थी कि वह भारी काम नहीं करें क्योंकि उसमें ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
मुंबई मैराथन में उन्होंने किसी दूसरे के नाम से हिस्सा लिया था, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं था कि अगर वह असफल होंगे तो नौसेना इस पर कैसी प्रतिक्रिया देगी।
शौर्य चक्र विजेता और पूर्व मैरीन कमांडो प्रवीन तेवतिया ने 2008 में मुंबई में ताज होटल हमले में आतंकवादियों का डटकर मुकाबला किया था। आतंकवादियों का सामना करते हुए गोलियों से उनका सीना घायल हो गया था। उनके फेफड़े में गंभीर चोट भी लगी। इसके बाद उनके ऑपरेशन हुए और नौ साल इलाज चला, लेकिन उन्होंने अपने हौसले को सबके सामने साबित कर दिया। बहादुर कमांडो प्रवीण ने दुर्गम लद्दाख में आयोजित मैराथन दौड़ में अपनी ताकत दिखाई और 72 किमी की रेस पूरी कर सबके हैरत में डाल दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि आतंकियों की गोलियां उनकी हिम्मत को झुका नहीं सकती हैं।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में भटौला गांव के रहने वाले तेवतिया 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के समय मरीन ड्राइवर थे। कमांडो ऑपरेशन करने वाली दूसरी टीम में शामिल होकर वह होटल पहुंचे थे। हमले के दौरान ताज होटल के घने अंधेरे कमरे में तीन आतंकी छिपे हुए थे। अपनी जान की परवाह न करते हुए वह कमरे में घुस गए। इसके बाद मौका पाकर आतंकवादियों ने प्रवीण तेवतिया पर गोलियां बरसा दीं। एक गोली तो सीधे प्रवीण के सीने पर लग गई और वह घायल हो गए, लेकिन उन्होंने अपनी बहादुरी से तीनों आतंकियों को वहीं पर ढेर कर दिया।
प्रवीण ने बताते हैं, 'जब मुझे गोली लगी, तो डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन मैं 5 महीने तक संघर्ष करता रहा और ठीक हुआ। हालांकि मेरी सुनने की क्षमता जरूर प्रभावित हुई।' नौसेना के ऑर्डर 911 के तहत, युद्ध के मैदान में 5 फीसदी अपंगता सेवा में रहने के लिए मान्य होता है, लेकिन तेवतिया से इस्तीफा दे दिया था। खुद को नेवी के लिए फिट साबित करने के लिए प्रवीण मैराथन में भाग लेने की तैयारी करने लगे। बीते 9 सितंबर को प्रवीण ने लद्दाख में 72 किलोमीटर लंबे खारदुंग ला मैराथन में हिस्सा लिया। प्रवीण ने इसे निर्धारित समय में पूरा कर पदक हासिल किया। उन्होंने 18,380 फीट की ऊंचाई पर 12.5 घंटे में मैराथन पूरी कर मेडल जीता।
ताज होटल कर्मचारियों की मदद से वह मैराथन धावक प्रवीण बाटीवाला से मिले। बाटीवाला ने प्रवीण को लंबी दूरी की दौड़ में शामिल होने के लिए हौसला अफजाई की।
तेवतिया जानते थे कि अब वह फिर से कमांडो नहीं बन सकते। इतने साल नेवी में रहकर देश की सेवा करने वाले तेवतिया डेस्क जॉब नहीं करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने नेवी पर्वतीय दल के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका आवेदन मेडकिल आधार पर खारिज कर दिया गया। तेवतिया ने फिर खुद को फिट साबित करने का फैसला किया। ताज होटल कर्मचारियों की मदद से वह मैराथन धावक प्रवीण बाटीवाला से मिले। बाटीवाला ने प्रवीण को लंबी दूरी की दौड़ में शामिल होने के लिए हौसला अफजाई की। बाटीवाला ने कहा, 'मैं ऐसी मजबूत इच्छाशक्ति वाले कुछ लोगों से ही मिला हूं। खारदुंग ला मैराथन पूरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यहां ऑक्सिजन के लेवल काफी कम होता है और अगर किसी का फेफड़ा क्षतिग्रस्त हो तो, उसके लिए तो यह बेहद मुश्किल है। प्रवीण का ऐसा करना बड़ी उपलब्धि है।'
डॉक्टरों ने प्रवीन को सख्त हिदायत दी थी कि वह भारी काम नहीं करें क्योंकि उसमें ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। प्रवीण ने 2014 में मैराथन की ट्रेनिंग शुरू की थी। मुंबई मैराथन में उन्होंने किसी दूसरे के नाम से हिस्सा लिया था, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं था कि अगर वह असफल होंगे तो नौसेना इसपर कैसी प्रतिक्रिया देगी। 2016 में उन्होंने इंडियन नेवी हाफ मैराथन में भाग लिया ता। इस साल मार्च में ही उन्होंने जयपुर में एक मैराथन में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने 1.9 किलोमीटर की तैराकी, 90 किलोमीटर साइक्लिंग और 21 किलोमीटर दौड़ में हिस्सा लिया। इसके बाद भी नेवी को उनके फिटनेस पर यकीन नहीं हुआ। प्रवीन सिर्फ मैराथन के लिए इतने दिनों की छुट्टियां नहीं ले सकेत थे इसलिए उन्होंने वीआरएस ले लिया। अब वह फुल इरोन मैन ट्राइथलॉन में हिस्सा लेना चाहते हैं।
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