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सालाना 55.11 करोड़ वेतन पाने वाले टीसीएस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन

सालाना 55.11 करोड़ वेतन पाने वाले टीसीएस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन

Tuesday October 23, 2018 , 5 min Read

यद्यपि ग्लोबल पूंजी की गलाकाटू प्रतिस्पर्द्धाओं के बीच आज बड़ी कंपनियों का नेतृत्व संभालना कोई हंसी-मजाक का काम नहीं, आज भारतवंशी सीईओ का पूरा विश्व लोहा मान रहा है। इसीलिए तो इन कंपनियों के सीईओ के मोटे-मोटे सैलरी पैकेज सुनकर हर किसी के कान खड़े हो जाते हैं!

एन चंद्रशेखरन (फोटो साभार- टीसीएस)

एन चंद्रशेखरन (फोटो साभार- टीसीएस)


भारतवंशी टैलेंट की पूरी दुनिया में तूती बोल रही है। तभी तो आज विश्व की कई टॉप कंपनियों के सीईओ भारतीय हैं। सॉफ्टबैंक इंटरनेट और मीडिया इंक के सीईओ निकेश अरोड़ा गाजियाबाद के रहने वाले हैं। उनका वार्षिक पैकेज 135 मिलियन डॉलर है। 

कंपनी चलाने वाले सीईओ को मुश्किल समय में उचित फ़ैसले लेने के लिए पैसे तो ख़ूब दिए जाते हैं लेकिन ज़्यादातर समय में सीईओ बोर्ड समूह के सदस्यों के साथ बैठक कर सामूहिक निर्णय लेते हैं। मोटे तौर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी को यह मालूम होना चाहिए कि उसका मिशन क्या है और उसकी कंपनी क्यों काम कर रही है। उसके पास ये भी विज़न होना चाहिए कि उसे अपनी कंपनी को किस मोकाम पर ले जाना है और उसे अपने लक्ष्य की ओर कैसे बढ़ना है। कई सीईओ कुछ अहम मसलों पर कठोर निर्णय लेना अपने काम का अहम हिस्सा मानते हैं लेकिन सच ये भी है कि केवल कड़े फ़ैसलों से कामयाबी नहीं मिलती है। कठिन काम के साथ सीईओ के सालाना सैलरी पैकेज लोगों को चौंकाते हैं लेकिन अमूमन उनके स्टॉफ और व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा उनकी प्रतिभा और मुश्किलों से कम ही लोग वाकिफ होते हैं।

एक ताजा सूचना के मुताबिक लगभग 103 अरब डॉलर के उद्योगपति ग्रुप टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस) से टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी को जॉइन करने के बाद टाटा संस के चेयरमैन एन. एंद्रशेखरन का सैलरी पैकेज दोगुना हो गया है। टाटा संस की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक इस समय चंद्रशेखरन का सैलरी पैकेज 55.11 करोड़ रुपये है। इसमें से 85 प्रतिशत राशि उन्हें कमीशन और मुनाफे के तय हिस्से के रूप में मिलती है। पिछले चेयरमैन सायरस मिस्त्री की तुलना में चंद्रशेखरन की सैलरी तीन गुना अधिक है। मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड ने जब निकाला था, तब उनका सालाना पैकेज 16 करोड़ रुपये था। मिस्त्री ने टाटा संस की प्रॉफिटेबिलिटी से अपना सैलरी पैकेज जोड़ा था। टाटा समूह के पहले गैर-पारसी चेयरमैन चंद्रशेखरन के ग्रुप के सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बेहतर संबंध हैं। इतने बड़े सैलरी पैकेज वाले चंद्रशेखरन पर भारी-भरकम जिम्मेदारियां हैं। वैसे भी टाटा ग्रुप को संभालना कोई आसान काम नहीं है। ग्रुप के सीएफओ सौरभ अग्रवाल का इस समय सालाना सैलरी पैकेज 13.46 करोड़ रुपये है।

भारतवंशी टैलेंट की पूरी दुनिया में तूती बोल रही है। तभी तो आज विश्व की कई टॉप कंपनियों के सीईओ भारतीय हैं। सॉफ्टबैंक इंटरनेट और मीडिया इंक के सीईओ निकेश अरोड़ा गाजियाबाद के रहने वाले हैं। उनका वार्षिक पैकेज 135 मिलियन डॉलर है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई तमिलनाडु के चेन्नई में पैदा हुए। उनका गूगल में सबसे बड़ा योगदान गूगल क्रोम है। इसके अलावा उन्होंने एंड्राइड, क्रोम, मैप्स और कई गूगल प्रोडक्ट के उत्पादों में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ जैसे पद पर आसीन सत्या नडेला हैदराबाद में जन्मे हैं। नोकिया के सीईओ राजीव सूरी का जन्म भोपाल में हुआ था। एडोब के सीईओ रहे शांतनु नारायण का जन्म हैदराबाद में हुआ था। ग्लोबल फाउड्रीज के सीईओ संजय झा भागलपुर (बिहार) के हैं। फ़्लैश मेमोरी सेंडिस्क के सह-संस्थापक संजय मेहरोत्रा के नाम कई पेटेंट भी हैं। केरल के कोट्टायम में में जन्मे जॉर्ज कुरियन डेटा मैनेजमेंट कंपनी नेटऐप के सीईओ हैं। आईआईटी रूड़की से पढ़ाई कर हरमन इंटरनेशनल प्रीमियम ऑडियो गियर ब्रांड के अध्यक्ष और सीईओ दिनेश पालीवाल आगरा (उ.प्र.) में जन्मे हैं।

गौरतलब है कि देश की टॉप टेन प्राइवेट कंपनियों के सीईओ की औसत सैलरी दोगुनी हो चुकी है। इंजीनियरिंग सेक्टर में देश की अग्रणी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के एम नाइक का सालान पैकेज 66 करोड़ रुपए रही, जो पिछले वर्ष रिटायर हो गए। इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का की सैलरी लगभग 48.7 करोड़ रही है। सबसे ज्‍यादा सैलरी पाने वालों में ल्यूपिन के देशबंधु गुप्ता भी शामिल हैं। इनकी सालाना सैलरी 44.8 करोड़ रुपए है। एचडीएफसी बैंक के आदित्य पुरी को सालाना 9.7 करोड़ रुपए मिलते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी 'जनरल इलेक्ट्रिक' (जीई) के मुखिया जेफ़ इमेल्ट का कहना है कि किसी व्यक्ति को कोई भी तैयारी किसी कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नहीं बना सकती है। जैसे ही कोई व्यक्ति सीईओ बनता है, उसके इर्द-गिर्द बोर्ड सदस्यों का जमावड़ा हो जाता है। उसके अधीनस्थ कर्मचारियों की फौज होती है लेकिन सीईओ हमेशा अकेला ही होता है, ख़ासकर तब, जब उसके फ़ैसले ग़लत साबित हो जाते हैं। यह भी सही है कि कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को उनके फ़ैसले लेने की क्षमता के लिए बेहतर सुविधाएं और पैकेज दिए जाते हैं। हालांकि सीईओ के वेतन और सुविधाओं पर विवाद भी ख़ूब होते हैं क्योंकि वह आम कर्मचारियों के मुक़ाबले कई गुना तेज़ी से बढ़ता है।

अच्‍छी नौकरी और मोटी सैलरी पाना हर किसी का सपना होता है। ये तो हुई मेहनत-मशक्कत करने वालों की बात लेकिन संयोग भी तो कोई चीज होता है, जिसे भोगने वाले किस्मत भी कहते हैं। कुछ लोग काम की खाते हैं, कुछ लोग आराम की। कई ऐसी नौकरियां भी हैं जिनमें सैलरी पैकेज तो भारी-भरकम है लेकिन वहां के काम मौज-मस्ती में ही निपट जाते हैं। मसलन, 'विशाल पांडा संरक्षण और अनुसंधान केंद्र' में सालाना तनख्वाह साढ़े 19 लाख रुपए है। ब्रिटेन के फर्स्ट च्वॉइस हॉली-डे रिसॉर्ट्स में 'वाटर स्लाइड टेस्टर' में भी सालाना पैकेज करीब 18 लाख 84 हजार रुपए ‌है। काम के दौरान कहीं आने-जाने का खर्च भी कंपनी ही देती है। गोडिवा चॉकलेट्स नामक कंपनी अपने ग्राहकों को बेहतर से बेहतर चॉकलेट मुहैया कराने से पहले खुद चॉकलेट की गुणवत्ता की जांच करती है। इस काम के लिए कंपनी बाकायदा कर्मचारियों की नियुक्ति करती है। कंपनी चॉकलेट खाकर उसकी खूबियां युवाओं को बताने के लिए 18 लाख रुपए का सालाना सैलरी पैकेज दे रही है।

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