वो अभिनेत्री जिसने फिल्म जगत में दक्षिण-उत्तर के भेद को कर दिया खत्म
दक्षिण भारत का नमकीन पानी रग-रग में समाए वैजयंती माला नृत्य में थिरकते हुए पांव बंबई सिनेमा जगत में हौले-हौले रखती हैं और सिने-जगत उनके घुंघरुओं की आवाज से खनक उठता है।
बॉलीवुड में आज तक वैजयंतीमाला का कोई दूसरा विकल्प नहीं आया। उनके नृत्य में सधे हुए पांव नई बानगी लिखते हैं। उनके नृत्य को ध्यान में रखकर स्क्रिप्ट लिखी जाने लगी और दर्शक फिल्मों संग झूमने के आदी हो गए।
नेशनल स्टार बनने वाली वैजयंतीमाला पहली साउथ इंडियन एक्ट्रेस हैं और उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए साउथ इंडस्ट्री की एक्ट्रेस ने बॉलीवुड में एंट्री लेनी शुरू की।
हिंदी सिनेमा में वैजयंती माला नया इतिहास लेकर आती हैं। हिंदी सिनेमा ने अपने शतक सालों में कई खूबसूरत और अद्भुत नायिकाओं से परिचय कराया है। इन्हीं सुंदरतम नायिकाओं में एक नाम है वैजयंती माला का। दक्षिण भारत का नमकीन पानी रग-रग में समाए वैजयंती माला नृत्य में थिरकते हुए पांव बंबई सिनेमा जगत में हौले-हौले रखती हैं और सिने-जगत उनके घुंघरुओं की आवाज से खनक उठता है। धीरे-धीरे यह खनक दर्शकों के बीच पहुंच जाती है और दर्शक शास्त्रीय-नृत्य के मोहपाश में बंध-से जाते हैं। हमारे सामने और ख्वाबों में एक अकेला घुंघरू खनक उठता है। इनकी खूबसूरती, नृत्यकला और इनके अभिनय कौशल ने इन्हें एक अलग ही मुकाम दिया।
बॉलीवुड में आज तक इनका कोई दूसरा विकल्प खोजा नहीं जा सका है। वैजयंतीमाला के नृत्य में सधे हुए पांव नई बानगी लिखते हैं। उनके नृत्य को ध्यान में रखकर स्क्रिप्ट लिखी जाने लगी और दर्शक फिल्मों संग झूमने के आदी हो गए। इस तरह वैजयंती माला एक नई परंपरा रच डालती हैं। आज अभिनेत्रियों का संगीत के सुरों में ताल मिलाना अवश्यंभावी सा है। वैजयंती माला नृत्य को इसी तरह सिनेमा की जान बना देती हैं। अभिनेत्रियां उनकी परंपरा को जीने लगती हैं। नेशनल स्टार बनने वाली वैजयंतीमाला पहली साउथ इंडियन एक्ट्रेस हैं। उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए साउथ इंडस्ट्री की एक्ट्रेस ने बॉलीवुड में एंट्री लेनी शुरू की।
1949 में तमिल भाषा में आई वाझाकई उनकी पहली फिल्म थी। वैजयंती माला उन अभिनेत्रियों में शुमार हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में सेमी-क्लासिकल डांस को इंट्रोड्यूस कराया।
दक्षिण से उत्तर तक जलवे
13 अगस्त 1936 को उनका जन्म चेन्नई के तमिनाडु में हुआ था। वैजयंतीमाला के माता पिता उन्हें प्यार से ‘पापाकुट्टी’ बुलाते थे, जिसका मतलब छोटा बच्चा होता है। उनकी मां वसुंधरा 40 के दशक में तमिल फिल्मों की पॉपुलर एक्ट्रेस थीं। इस तरह वैजयंती को एक्टिंग विरासत में मिली और उन्होंने 13 साल की उम्र में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। 1949 में तमिल भाषा में आई वाझाकई उनकी पहली फिल्म थी।वैजयंती माला उन एक्ट्रेस में शुमार हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में सेमी-क्लासिकल डांस को इंट्रोड्यूस कराया। अपने डांस नंबर्स के कारण वैजयंती को ट्विंकल टोज के नाम से भी जाना जाता है।
जिस वक्त वैजयंती माला हिंदी सिनेमा में आईं, उस वक्त सुरैया, मधुबाला, नरगिस और मीना कुमारी आदि अभिनेत्रियां सिने पटल पर छाई हुई थीं। वैजयंती माला को इनके बीच ही अपनी अलग पहचान बनानी थी, जो बेहद ही चुनौतीपूर्ण काम था। उन्होंने अपने अभिनय और नृत्य कला के बूते यह साबित कर दिया कि वह भी किसी से कम नहीं हैं। उनकी एक बड़ी खासियत यह भी थी कि उनके डायलॉग डब नहीं करने पड़ते थे। वह पहली ऐसी दक्षिण भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी फिल्मों में अपने डायलॉग खुद बोलने के लिए हिंदी सीखी।
होनहार बीरवान के होत चीकने पात
करीब पांच साल की उम्र में वैजयंती माला को यूरोप जाने का मौका मिला। मैसूर के महाराज के सांस्कृतिक दल में वैजयंती अपनी मां, पिता और नानी साथ गई थीं। यह 1940 का वाकया है। वेटिकन सिटी में वैजयंती माला को पोप के सामने नृत्य करने का अवसर मिला। उन्होंने अपने नृत्य प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया। पोप ने एक बॉक्स में चांदी का मेडल देकर वैजयंती की हौसला आफजाई की। इसके बाद वैजयंती माला ने गुरु अरियाकुडी रामानुज आयंगर और वझूवूर रमिआह पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा। तेरह साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज शो करने शुरू कर दिए थे।
साहसी वैजयंती माला ने जख्मी पैर और दर्द की परवाह किए बिना नृत्य प्रदर्शन किया और उनके चेहरे पर उनकी तकली़फ जरा भी नहीं झलकी।
धुन की पक्की वैजयंती माला
पहले स्टेज शो के दौरान ही वैजयंती के साथ एक बडा हादसा हो गया था। 13 अप्रैल, 1949 को तमिल नववर्ष के दिन उनके नृत्य का कार्यक्रम था। उसी दौरान वैजयंती माला का पैर वहां पड़े बिजली के नंगे तार से छू गया, जिससे वह झुलस गईं। लेकिन साहसी वैजयंती माला ने जख्मी पैर और दर्द की परवाह किए बिना नृत्य प्रदर्शन किया और उनके चेहरे पर उनकी तकली़फ जरा भी नहीं झलकी। अगले दिन के अखबारों में उनके नृत्य कौशल और साहस की सराहना करती हुई खबरें और तस्वीरें प्रकाशित हुईं। एक अ़खबार ने लिखा, वरूगिरल वैजयंती यानी यही है वैजयंती। मीडिया ने उन्हें वैजयंती द डांसिंग स्टार नाम दिया।
जब फिल्मफेयर अवॉर्ड लेने से कर दिया मना
1951 में आई बहार उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म थी। इसके बाद 1954 में उन्होंने नागिन और 1955 में देवदास में काम किया। देवदास में वैजयंती ने चंद्रमुखी का किरदार निभाया था, जिसके लिए उन्हें करियर का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। लेकिन ये अवॉर्ड बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए था। उन्होंने इसे स्वीकारने से इनकार कर दिया। वैजयंती की मानें तो फिल्म में उनका रोल सपोर्टिंग नहीं था।
मधुमती उनके करियर की एक और उल्लेखनीय फिल्म साबित हुई, उनकी यह फिल्म पुनर्जन्म पर आधारित थी। इस फिल्म में वैजयंती माला ने डबलरोल निभाकर दर्शकों को रोमांचित किया। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया।
वर्ष 1964 में प्रदर्शित फिल्म संगम वैजयंती माला के करियर की सुपरहिट फिल्म साबित हुई। राजकपूर द्वारा निर्देशित यह फिल्म प्रेम त्रिकोण पर आधारित थी। इस फिल्म में उनकी जोड़ी राज कपूर और राजेन्द्र कुमार के साथ सराही गई। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वैजयंती माला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गई।
1984 में वैजयंतीमाला ने कांग्रेस के टिकट पर चेन्नई संसदीय क्षेत्र से तमिलनाडु आम चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। इस दौरान उन्होंने भाजपा के इरा सेजियान को करारी शिकस्त दी।
चुनावी मैदान में भी अव्वल
1968 में वैजयंतीमाला ने अपने फैमिली डॉक्टर चमनलाल बाली से शादी कर ली। उनका एक बेटा भी है, जिसका नाम सुचिन्द्र बाली है। सुचिन्द्र भी दक्षिण के स्टार अभिनेता हैं। 1984 में वैजयंतीमाला ने कांग्रेस के टिकट पर चेन्नई संसदीय क्षेत्र से तमिलनाडु आम चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। इस दौरान उन्होंने भाजपा के इरा सेजियान को करारी शिकस्त दी। 1989 में भी उन्होंने तमिलनाडु आम चुनाव में जीत हासिल की। 1993 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में नॉमिनेट किया गया और 1999 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्हें 1968 में पद्मश्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।
वैजयंती माला 5 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड की अवॉर्ड विनर हैं। 1996 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया। वैजयंती माला की आंखों की चमक, पांव की थिरकन, सनसनाती हंसी, बेमिसाल नृत्य शैली और अद्भुत अदाकारी फिल्म जगत में एक माइलस्टोन है। आने वाली पीढ़ी, जो अभिनय में अपना करियर बनाना चाहती है, उसके लिए वैजयंती माला की फिल्में और उनकी जीवन शैली प्रेरणा देती रहेंगी।
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