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बच्चों में होनी चाहिए साफ-सफाई की ये आदतें, जिनके न होने से आप भी पड़ सकते हैं बीमार

साफ-सुथरा रहने से न केवल इंसान स्वस्थ रहता है बल्कि उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है, ऐसे में ज़रूरी है सफाई से जुड़ी उन बातों को जान जाना जिस ओर शायद आपका ध्यान भी नहीं जाता...

बच्चों में होनी चाहिए साफ-सफाई की ये आदतें, जिनके न होने से आप भी पड़ सकते हैं बीमार

Monday July 02, 2018 , 7 min Read

यह माता-पिता का कर्तव्य है कि वो बच्चों को साफ-सफाई और स्वस्थ्य आदतों के बारे में समझाएं और ध्यान रखें कि वो इनका पालन करें। बच्चों को बताएं कि साफ-सुथरा रहने से न केवल वो स्वस्थ रहेंगे बल्कि उनका आकर्षण और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार- शटरस्टॉक)

सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार- शटरस्टॉक)


बच्चों का इम्यून सिस्टम वैसे ही कमजोर होता है, इसलिए वो संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। साफ-सफाई से रहने और स्वस्थ्य आदतों का पालन करने से बच्चे न केवल बीमारियों से बचेंगे बल्कि उनका व्यक्तित्व भी निखरेगा।

बच्चों को पता नहीं होता कि हाइजीन क्या होता है, इसलिए यह माता-पिता का कर्तव्य है कि वो बच्चों को साफ-सफाई और स्वस्थ्य आदतों के बारे में समझाएं और ध्यान रखें कि वो इनका पालन करें। बच्चों को बताएं कि साफ-सुथरा रहने से न केवल वो स्वस्थ रहेंगे बल्कि उनका आकर्षण और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। गंदे दांत, मुंह से आती दुर्गंध, पसीने की तेज गंध, गंदे और बढ़े हुए नाखून न केवल उनको बीमार बना देंगे, बल्कि उनके व्यक्तित्व पर इतना नकारात्मक प्रभाव डालेंगे कि दूसरे बच्चे उनसे बात करने और उनके साथ खेलने से कतराने लगेंगे। अच्छी आदतें जितनी जल्दी शुरू की जाएं, उतना बेहतर है, बचपन की आदतें हमेशा बनी रहती हैं, इसलिए उन्हें बचपन से ही साफ-सुथरा रहना सिखाएं। दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल में पेडिएट्रिक डिपार्टमेंट के सीनियर कंसलटेंट डॉ के के गुप्ता आपको बता रहे हैं साफ-सफाई से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

हैंड हाइजीन

बच्चों के लिए हैंड हाइजीन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बच्चे अक्सर घर से बाहर दूसरे बच्चों के साथ खेलते हैं उन्हेंर श्वसन मार्ग और गैपेट से जुड़ी बीमारी होने की आशंका अधिक होती है, जो परिवार के दूसरे सदस्यों और अन्यत्र लोगों में फैलने का खतरा बढ़ जाता है जब वो उनके संपर्क में आते हैं। अपने बच्चों को समझाएं कि हाथ धोने में केवल कुछ सेकंड्स लगाते हैं, लेकिन हाथ धोना रोगाणुओं को फैलने से रोकने और बीमार पड़ने से बचाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। बच्चों को स्वस्थ्य रहने के लिए उन्हें बार-बार और सही तरीके से हाथ धोने के लिए प्रेरित करें। अपने बच्चे के साथ हाथ धोएं ताकि वह हाथ धोने का सही तरीका सीख सके। अगर आपके बच्चे का हाथ वॉश बेसिन तक नहीं पहुंचता हो तो उसके लिए एक स्टूल खरीदें ताकि वह हाथ धोने से न कतराएं।

ओरल हाइजीन

ओरल हाइजीन प्रत्येक बच्चे की दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण भाग होना चाहिए। माता-पिता को बच्चे के ओरल हाइजीन का तब से ध्यान रखना चाहिए जब उसका पहला दांत निकले। बच्चों को दांतों और मसूड़ों को साफ रखने की आदत डालकर न केवल आप उनके दांतों को सड़ने और सांसों की बदबू से बचा सकते हैं बल्कि आगे चलकर उनके हृदय रोगों की चपेट में आने के खतरे को भी कम कर सकते हैं।

1- दिन में दो बार ब्रश करें।

2- जब भी ब्रश करें, कम से कम दो मिनिट तक ब्रश को दांतों में घुमाएं।

3- टंग क्लीनर से जीभ को साफ करें।

4- बच्चों को हमेशा मुलायम ब्रिसल्स वाले टूथ ब्रश दिलाएं ताकि उनके दांतों और विकसित होते मसूड़ों को नुकसान न पहुंचे।

5- सप्ताह में कम से कम एक बार एंटी बैक्टीरियल मॉउथ वाश का इस्तेमाल करने के लिए कहें।

नेल हाइजीन

बच्चों को छोटी उम्र से ही सिखाएं कि नाखूनों का साफ-सुथरा रहना उनके स्वास्थ्य में क्या भूमिका निभाता है। गंदे नाखूनों में रोगाणु पनपते हैं, जो आसानी से उनकी आंखों, नाक और मुंह तक पहुंच सकते हैं और उन्हें बीमार बना सकते हैं। सप्ताह में एक बार उनके नाखून जरूर काटें। उन्हें नाखून काटने का सही तरीका समझाएं ताकि उम्र बढ़ने के साथ वो अपने नाखूनों को खुद ही काट सकें। कुछ बच्चों को दांत से नाखून काटने की आदत पड़ जाती है, उन्हें समझाएं कि दांतों से नाखून काटने से मैल और रोगाणु पेट में जाकर उन्हें बीमार बना सकते हैं।

बॉडी हाइजीन

बच्चों को रोज नहाने की आदत डालें। उन्हें समझाएं कि नहाते समय शरीर के विभिन्न भागों जैसे हाथों, पैरों, पंजों, बगल, उरू मूल, जोड़ों, कमर, नाभि और घुटनों को किस तरह से साफ करें। बच्चों को बताएं कि नहाते समय नाक को रोज साफ करना भी जरूरी है। उन्हें अपने अंडरवियर को रोज बदलने और साफ-सुथरे कपड़े पहनने की आदत डालें। बच्चों को कम से कम सप्ताह में दो बार बालों को शैंपू से धोना जरूरी है ताकि बालों से तेल और गंदगी निकल जाए।

टॉयलेट हाइजीन

जब तक बच्चे पांच साल के न हो जाएं उन्हें टायलेट में अकेले न जाने दें। छठे साल से उन्हें टॉयलेट हाइजीन के बारे में समझाना शुरू करें। उन्हें शौच करने का सही तरीका सिखाएं कि हमेशा आगे से पीछे की ओर धोएं, पीछे से आगे की ओर धोने से संक्रमण का खतरा हो सकता है। उन्हें समझाएं कि फ्लश करना क्यों जरूरी है और इसे कैसे करें। उन्हें बताएं कि संक्रमण से बचने के लिए हर बार टायलेट से आने के बाद हाथ धोना कितना जरूरी है।

फुट हाइजीन

पैरों को साफ-सुथरा रखना भी जरूरी है, गंदे पैरों से न केवल तेज दुर्गंध आती है बल्कि दाद और दूसरे संक्रमणों का खतरा भी बढ़ जाता है। अपने बच्चों को दिन में दो बार पैर साफ करने की आदत डालें, और उंगलियों के बीच के स्थान को अच्छे से पोंछकर सुखाने का कहें। उंगलियों के बीच में पानी जमा होने से फंगस पड़ सकती हैं। बच्चों को रोज़ धुले हुए और साफ मोज़े पहनने का कहें। इसके साथ ही एड़ियों को भी साफ रखने का आदत डालें और हमेशा जूते न पहने रहने दें, पैरों को भी सांस लेने का अवसर दें। घर और बाहर के लिए हमेशा अलग फुटवेयर इस्तेमाल करने की आदत डालें।

स्लीप हाइजीन

छोटे बच्चों के लिए 8-10 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। स्लीप हाइजीन में उन आदतों को शामिल किया जाता है जो बच्चों को गहरी नींद लेने में सहायता करें। अगर बच्चे पूरी नींद नहीं लेंगे तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होगा। बच्चों के सोने और उठने का एक नियत समय बना दें ताकि बचपन से ही उनकी इंटरनल क्लॉक सेट हो जाए।

1- बच्चों के बिस्तर को साफ सुथरा रखें, कम से कम सप्ताह में दो बार चादर बदलें।

2- हमेशा नाइट सून पहनकर सोने की आदत डालें, ताकि आरामदायक कपड़ों में उन्हें चैन की नींद आ सके।

3- उन्हें रात को ब्रश कर के और हाथ-पैरों को अच्छी तरह धोने के बाद ही बिस्तर पर जाने के लिए कहें।

4- गर्मियों में उन्हें रात को भी नहलाकर सुलाएं।

5- रात में सोने से पहले यूरीन पास करने की आदत डालें ताकि उनकी नींद डिसटर्ब न हो।

फूड हाइजीन

बच्चों को फूड हाइजीन का महत्व समझाएं, उन्हें बताएं कि केवल संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करना ही जरूरी नहीं है बल्कि उसको साफ-सफाई से बनाना और परोसना भी जरूरी है।

1- हमेशा ताजा और स्वच्छ खाना खाएं।

2- खाना खाने के पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं।

3- अपने हाथों और मुंह को पोंछने के लिए साफ कपड़े का इस्तेमाल करें।

4- जिन बर्तनों में खाना खाएं वो भी साफ-सुथरे होना चाहिए।

5- फलों आदि को खाने से पहले उन्हें साफ पानी से धोएं।

सराउडिंग हाइजीन

पर्सनल हाइजीन के साथ ही अपने आसपास के परिवेश को साफ रखना भी जरूरी है। हमेशा खाना खाने के बाद बर्तनों को सिंक में रखें। जूते-चप्पलों को यहां-वहां न फेंके, हमेशा शू रैक पर ही रखें। कचरे या अन्य व्यर्थ पदार्थों को डस्टबिन में डालें। पालतू जानवरों को कभी भी अपने बिस्तर पर न ले जाएं। अपने कपड़ो को तह करके अलमारी में रखें।

बच्चों के लिए कितना महत्वपूर्ण है हाइजीन

बच्चों का इम्यून सिस्टम वैसे ही कमजोर होता है, इसलिए वो संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। साफ-सफाई से रहने और स्वस्थ्य आदतों का पालन करने से बच्चे न केवल बीमारियों से बचेंगे बल्कि उनका व्यक्तित्व भी निखरेगा और उनमें हीनभावना भी विकसित नहीं होगी। बच्चों के लिए हाइजीन जरूरी है, ताकि; वे बीमारियों और संक्रमणों से बचे रहें और एक स्वस्थ्य और अनुशासित दिनचर्या का पालन करना उनकी आदत बन जाए।

इससे उन्हें अच्छा महसूस होगा और उनका व्यक्तित्व भी निखरेगा। मुंह और शरीर की दुर्गंध के कारण लोग उनसे दूरी नहीं बनाएंगे। दूसरे बच्चे उनसे बात करने और उनके साथ खेलने से नहीं कतराएंगे।

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