साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी से गायब हुआ दुर्लभ किस्म का ट्यूमर
ट्यूमर से निजात पा चुकी मां को देखकर चार साल के मासूम को नहीं रहा खुशी का ठिकाना...
इस तरह के ट्यूमर प्रकृति में बिनाइन होते हैं और बहुत दुर्लभ होते हैं। केवल 0.5 प्रतिशत से लेकर एक प्रतिशत तक आबादी ही इससे प्रभावित होती है। इस ट्यूमर का परंपरागत रेडियोथेरेपी से इलाज करना जोखिम भरा होता है, इसलिए इस ट्यूमर के आकार और स्थान को ध्यान में रखते हुए, टीम ने साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी करने का फैसला किया।
भारत में रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर का इलाज अब भी एक चुनौती बनी हुई है, जिसके कारण इसके इलाज के लिए सीमित तकनीक उपलब्ध हैं, और चूंकि रीढ़ संवेदनशील होती है इसलिए विकिरण की सीमित मात्रा को ही प्राप्त कर सकती है।
हाल ही में गुड़गांव में एक 30 वर्षीय गृहिणी का सफलतापूर्वक इलाज किया गया जो कि 6 महीने से अधिक समय से रीढ़ की हड्डी के दुर्लभ किस्म के ट्यूमर से पीड़ित थीं। इस वजह से उन्हें अपने दैनिक कामों को करने में लगातार परेशानी आ रही थी और ट्यूमर की वजह से ही उन्हें लकवा से पीड़ित होने का खतरा था। यह ऑपरेशन गुड़गांव के आर्टेमिस हॉस्पिटल में हुआ। आर्टेमिस हॉस्पिटल के एग्रिम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरो साइंसेस के न्यूरोसर्जरी एंड साइबरनाइफ सेंटर के निदेशक डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया, 'हालांकि ट्यूमर पहले चरण में था, लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया जाता, तो इसके कारण शरीर का एक तरफ का हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता।'
इस तरह के ट्यूमर प्रकृति में बिनाइन होते हैं और बहुत दुर्लभ होते हैं। केवल 0.5 प्रतिशत से लेकर एक प्रतिशत तक आबादी ही इससे प्रभावित होती है। इस ट्यूमर का परंपरागत रेडियोथेरेपी से इलाज करना जोखिम भरा होता है, इसलिए इस ट्यूमर के आकार और स्थान को ध्यान में रखते हुए, टीम ने साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी करने का फैसला किया। इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगा और रोगी को अस्पताल से तुरंत छुट्टी दे दी गई। रेडियोग्राफिक रिपोर्टों से पता चला कि स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना पहले सत्र के बाद ट्यूमर पूरी तरह से कम हो गया था।
मरीज को कई महीने से उसके बाएं कंधे में तेज दर्द होता था जिसकी वह हमेशा अनदेखा कर रही थी। दो बच्चों की मां होने के नाते, उन्होंने सोचा कि दर्द अधिक काम करने के कारण हो रहा है, लेकिन उसे लगातार और असहनीय दर्द हो रहा था जिसके कारण उन्हें कई बार चलने में भी कठिनाई होती थी। उसके बाद, उसने इस पर ध्यान देना शुरू किया। लेकिन उसके बाद उसके हाथों और पैरों में संवेदना कम होना शुरू हो गया।
डॉ. गुप्ता ने कहा, 'हालांकि पारंपरिक शल्य चिकित्सा को एक विकल्प के रूप में रखा गया था, लेकिन रोगी को पक्षाघात होने का भी थोड़ा खतरा था और इसलिए इसकी सलाह नहीं दी गई। इसके लिए साइबरनाइफ प्रभावी और सुरक्षित उपचार विकल्प है। इसके नाॅन- इंवैसिव और दर्द मुक्त प्रक्रिया होने के कारण, लक्षित विकिरण के हाई डोज से ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया।'
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज में इसकी जल्द से जल्द पहचान की अहम भूमिका होती है। हालांकि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज के लिए कई अन्य उपचार विधियां उपलब्ध हो सकती हैं लेकिन पूरी तरह से नॉन-इंवैसिव होने के कारण और किसी भी तरह के एनेस्थेटिक्स की आवश्यकता नहीं होने के कारण, साइबरनाइफ रोगी के समय को बचाने और बेहतर और जल्द रिकवरी में मदद करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपाय है।
भारत में रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर का इलाज अब भी एक चुनौती बनी हुई है, जिसके कारण इसके इलाज के लिए सीमित तकनीक उपलब्ध हैं, और चूंकि रीढ़ संवेदनशील होती है इसलिए विकिरण की सीमित मात्रा को ही प्राप्त कर सकती है। साइबरनाइफ विकिरण प्रदान करने में फ्लेक्सिबल होता है इसलिए यह रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
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