Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

“मेरा लक्ष्य दुनिया के उस आखिरी इंसान को शिक्षित करना है जो पढ़ना चाहते हैं, जिनके पास संसाधन की कमी है”

“मेरा लक्ष्य दुनिया के उस आखिरी इंसान को शिक्षित करना है जो पढ़ना चाहते हैं, जिनके पास संसाधन की कमी है”

Friday March 18, 2016 , 7 min Read

इंसान की जीवन-यात्रा किसी शतरंज के खेल की तरह ही होती है। हर कदम पर उसको अपनी ‘चाल’ का ‘हिसाब’ रखना पड़ता है। मसलन जीवन के खेल में मुकद्दर का ‘सिकन्दर’ वही बनता है, जिसकी ‘चाल’ के पीछे एक ‘खयाल’ (विचार) होता है। इसी साल प्रतिष्ठित फोर्ब्स पत्रिका की, 30 से कम उम्र के दुनिया के प्रभावशाली युवाओं की सूची में शामिल होने वाले सामाजिक उद्यमी डेक्स्टेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं मुख्य संचालन अधिकारी (सीईओ) शरद सागर की अप्रत्याशित और गौरवपूर्ण सफलता इस बात को सत्यापित भी करती है। यह एक ‘विचार’ (आइडिया) ही था जिसने ‘डेक्स्टेरिटी ग्लोबल’ की नींव रखी थी। विचार था सबको साक्षर बनाने का, उन लोगों तक शिक्षा के अवसर पहुंचाने का जो किसी न किसी वजह से ‘जरूरी-शिक्षा’ से वंचित रह रहे थे। आपने देश में कई तरह के शिक्षा अभियानों के बारें में सुना होगा। शरद देश ही नहीं, समूचे विश्व को शिक्षित करने के मिशन में लगे हुए हैं। उनके इस अभियान को आप वैश्विक साक्षरता कार्यक्रम भी कह सकते हैं।

बड़े सपने देखने की शुरुआत

शरद सागर की जीवन यात्रा अपने आप में प्रेरणादायक है। वे बिहार के एक छोटे शहर से आते हैं। शरद ने योरस्टोरी को बताया, 

"आप कह सकते हैं, मैंने सीमित संसाधनों के साथ अपरिमितीय सपनों की वो उड़ान उडी है, जो लाखों लोगों के सपनों को (आकार देकर) साकार बनाने में एक निर्णायक भूमिका निभाएगी। मेरा लक्ष्य दुनिया के उस आखिरी इंसान को शिक्षा से सशक्त करना है जो पढ़ना चाहते हैं और पर्याप्त संसाधनों के न होने की वजह से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। मैंने देखा है कि कैसे मेरे माता-पिता को ताउम्र पहले अपनी पढ़ाई के लिए, फिर मेरी पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ा था।"
image


शरद ने योरस्टोरी को बताया, 

"डेक्स्टेरिटी ग्लोबल एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना चाहता है, जहां शिक्षा का वास्तविक रूप में लोकतंत्रीकरण हो सके, जहां कोई (छात्र) बच्चा अपनी शैक्षिक यात्रा में बिना किसी बाधा के आगे बढ़ सके, अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने और भूखा रहने में, किसी एक विकल्प के चुनाव के लिए, मजबूर न होना पड़े।" 

वह बताते हैं कि इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने अपनी आर्थिक मदद नीति को आकार दिया है, जो कहती है 

“अगर आप (शिक्षा के लिए) अदा कर सकते हैं, तो करिए, अथवा डेक्स्टेरिटी ग्लोबल आपके लिए अदा करेगी”। 

शरद बताते हैं कि डेक्स्टेरिटी ग्लोबल की स्थापना के पीछे उनकी एक दिली-मंशा थी, जिसके तहत वह इस मंच से सुनिश्चित करना चाहते थे कि किसी भी अभिभावक को अपने बच्चों की शिक्षा (या उससे संबन्धित अवसरों) के लिए उन परिस्थितियों से न जूझना पड़े, जिससे उनके माता-पिता को गुजरना पड़ा था। वह कहते हैं कि सभी को शिक्षा से जुड़ी तमाम संभावनाओं के अवसर (बिना किसी आर्थिक एवं सामाजिक बंधन के) समान मिलने चाहिए।

डेक्स्टेरिटी ग्लोबल की स्थापना

शरद ने डेक्स्टेरिटी ग्लोबल की स्थापना 2008 में की थी। जब वह हाईस्कूल में थे। पिछले 8 सालों में डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने लोगों को शैक्षिक- अवसर प्रदान कर उन्हें सामर्थ्यवान बनाने का काम किया है। डेक्स्टेरिटी ग्लोबल का मिशन दुनिया के हर बच्चे को उचित शिक्षा के अवसर प्रदान करवाना है। डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने अपने अभिनव शैक्षिक-मंचों के माध्यम से अभी तक लगभग 1.2 मिलियन ज़िंदगियों को प्रभावित किया है। भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए शरद बताते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले सालों में डेक्स्टेरिटी ग्लोबल की पहुँच (हर सार्क देश से गुजरते हुए) 200 मिलियन के अंक को पार कर जाएगी। इसी नीति के तहत ही डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने 10 मिलियन डॉलर की छात्रवृति और फीस माफ़ी प्रदान की है। वह कहते हैं कि 

"हम अपने मंचों को पश्चिम अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तक पहुंचाना चाहते हैं। क्योंकि डेक्स्टेरिटी ग्लोबल का एकमात्र उद्देश्य दुनिया के हर बच्चे को शिक्षा के उचित अवसर प्रदान कराना है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे (दुनिया के किस कोने मे) कहाँ रहते हैं और उनके अभिभावक क्या कमाते हैं।"
शरद सागर-डेक्स्टेरिटी ग्लोबल 

शरद सागर-डेक्स्टेरिटी ग्लोबल 


महज 16 साल की उम्र में डेक्स्टेरिटी ग्लोबल की शुरुआत करने वाले शरद बताते हैं कि उनके लिए इनती छोटी उम्र में (डेक्स्टेरिटी ग्लोबल की) टीम बनाना आसान नहीं था। वह बताते हैं कि उनके लिए (हाईस्कूल की पढ़ाई करते हुए) लोगो की (डेक्स्टेरिटी ग्लोबल में ) भर्ती करना और पेशेवर लोगो (जिनकी उम्र उनसे 10 से 15 साल बड़ी थी) को संभालना इतना आसान नहीं था। शरद कहते हैं, 

"अभिभावक से अध्यापक तक, सरकार से लोकल एवं वैश्विक संस्थाओं तक, आज के दौर में कौन एक हाईस्कूल छात्र की बात सुनता है, लेकिन अगर आप अपने काम पर पूरा विश्वास रखते हैं, तो आप लोगों को अपने विजन पर विश्वास दिलाने में कामयाब रहते हैं।"


image


डेक्स्टेरिटी ग्लोबल का विस्तार

डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने 2012 में डेक्स स्कूल की स्थापना की, जो दक्षिण एशिया का (अपनी तरह का) पहला ऐसा स्कूल हैं जहाँ हाईस्कूल के छात्रों को नेतृत्व और उद्यमिता की पढ़ाई कराई जाती है। दक्षिण एशिया के अलग-अलग जगहों से, करीबन 120 छात्र यहाँ से स्नातक हो, आज दुनिया में बड़े-बड़े काम कर रहे हैं। यहाँ के बच्चों ने यूएन युवा साहस अवार्ड से लेकर अमेरिका के विश्वविद्यालयों की छात्रवृत्तियां जीती है। डेक्सस्कूल से निकले बच्चे आज सफल स्टार्टअप चला रहे हैं। कई अपने देशों के यूएनईपी एंबेसडर हैं। पिछले आठ सालों मे, डेक्स्टेरिटी ग्लोबल नासा, यूनिसेफ़, यूएनईपी, यूएस कॉन्सुलेट जनरल, निजी बैंकों, प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और मीडिया घरानों के साथ काम कर चुकी है। इतना ही नहीं, 2015 में डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने बॉलीवुड अभिनेत्री काजल अग्रवाल को अपना ‘गुडविल-एंबेसडर’ बनाया, जिससे हर जरूरतमन्द बच्चे तक जरूरी शैक्षिक अवसर पहुंचाया जा सके।

image


स्टार्ट-अप्स को सलाह

युवा उद्यमियों को संदेश देते हुए शरद कहते हैं कि वास्तव में एक ‘उद्यमी’ ‘समस्या निवारक’ है। वह कहते हैं, 

"चाहे कोई भी बिजनेस (स्टार्ट-अप) हो, उसमें लाभ हो या न हो, अगर वो दुनिया की कोई ऐसी समस्या दूर करता है जो उसे (दुनिया को) और अच्छा और समृद्ध बनाती है, तो मान लीजिये आप सही रास्ते पर हैं। आप चाहे प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनी (स्टार्ट अप) चलाते हैं या फिर किफ़ायती दरों की सेवाओं वाला स्वास्थ्य से जुड़ा स्टार्ट-अप, अगर आपकी कंपनी का ‘उद्देश्य’ और ‘विजन’ लोगों (कर्मचारियों या टीम) को बांधे रखता है, तो आप (उद्यमी) जरूर कामयाब होते हैं। चीजों को केवल करने के लिए मत कीजिये। स्टार्ट-अप की शुरुआत में आप (उद्यमी) लोगो की ज्यादा न सुनें, असफलता के बारें में ज्यादा न सोचें। अगर आप में काबिलियत और जुनूनी नेतृत्व- क्षमता है, तो ऐसा कोई मिशन नहीं जिसे आप पूरा नहीं कर सकते।"


उपलब्धियां

शरद की बड़ी एवं विशेष उपलब्धियों में उनका अमेरिका की मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय के उद्यमी- पाठ्यक्रम (सिलेबस) में शामिल होना है। शायद ही कोई युवा उद्यमी इससे पहले किसी विश्वविद्यालय की पाठ्यचर्या का हिस्सा बना है। शरद को चौथे ग्लोबल इकनॉमिक लीडर्स सम्मिट का भी विशेष एवं वीआईपी आमंत्रण मिला था। उन्हे यूएन वर्ल्ड सम्मिट यूथ अवार्ड मिला है। वह भारत का प्रतिनिधित्व, बांग्लादेश, भारत, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका में हुए यूएन सम्मिट में कर चुके हैं। 

image


शरद इतनी कम उम्र में कई वैश्विक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित हो चुके हैं। इसी साल जनवरी में, फोर्ब्स की (प्रभावशाली युवाओं की) अंडर 30 की 30 की सूची में शरद शामिल थे। इस सूची में शरद के अलावा फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग, नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफ़ज़ई, इन्सटगरम संस्थापक केविन सिस्टरोम जैसे बड़े नाम शामिल थे। यूके आधारित पत्रिका रिच्टोपीया द्वारा जारी, दुनिया के 100 शक्तिशाली युवा उद्यमियों की सूची में, शरद 9वें स्थान पर थे। रोकफेल्लर फ़ाउंडेशन की 100 ‘नैक्सट सेंचुरी इन्नोवटोरस’ की सूची में भी शरद शामिल थे। जून 2015 में, ताइवान सरकार ने भी उनके कार्यों की प्रशंसा की। ताइवान के मंत्री ने (इटली) मिलान में सोशल एंटरप्राइज़ वर्ल्ड फॉरम में बोलते हुए शरद का नाम (सामाजिक उद्यम के जनक माने जाने वाले) बिल ड्रायटोन के साथ लिया गया।

डेक्स्टेरिटी की आधिकारिक वैबसाइट : www.dexglobal.org

शरद सागर का आधिकारिक फेसबुक पेज : www.facebook.com/sharadsagarofficial

फोर्ब्स की अंडर 30 की सूची : http://www.forbes.com/30-under-30-2016/social-entrepreneurs/

दुनिया के 100 शक्तिशाली युवा उद्यमियों की सूची: http://richtopia.com/people/young-entrepreneurs