बैंक में ले रहे हैं लॉकर तो जान लें नॉमिनी को लेकर क्या है नियम
बैंक लॉकर के मामले में भी नॉमिनेशन जरूरी है ताकि लॉकर खुलवाने वाले की मृत्यु होने की स्थिति में लॉकर में रखा सामान उसके उत्तराधिकारी तक पहुंच सके.
लॉकर (Bank Locker) को सेफ डिपॉजिट लॉकर (Safe Deposit Locker) भी कहा जाता है. प्रॉपर्टी पेपर्स, वसीयत जैसे जरूरी कागजात, ज्वैलरी, कोई बेहद महंगा आइटम आदि को सुरक्षित रखने के लिए अक्सर लोग बैंक में लॉकर खुलवाते हैं. लॉकर सुविधा का लाभ उठाने के लिए ग्राहक को सालाना चार्ज देना होता है. सेविंग्स अकाउंट, FD, EPF, Insurance व अन्य स्कीम्स की तरह ही बैंक लॉकर के मामले में भी नॉमिनेशन जरूरी है ताकि लॉकर खुलवाने वाले की मृत्यु होने की स्थिति में लॉकर में रखा सामान उसके उत्तराधिकारी तक पहुंच सके. आइए जानते हैं बैंक लॉकर के मामले में नॉमिनी के लिए RBI के नियम क्या हैं…
चाहे तो लॉकर जारी रख सकता है नॉमिनी
नियमों कहते हैं कि अगर लॉकर धारक ने अपने लॉकर के लिए कोई नॉमिनी बनाया है तो तो बैंक को लॉकर धारक की मौत के बाद उस नॉमिनी को लॉकर एक्सेस करने और उसका सामान निकालने का अधिकार देना होगा. बैंक, लॉकर धारक के मृत्यु प्रमाण पत्र का वेरिफिकेशन करने और क्लेम करने वाले की पहचान व वास्तविकता से संतुष्ट होने के बाद बैंक, यह एक्सेस देंगे. नॉमिनी चाहे तो बैंक लॉकर आगे बरकरार रख सकता है या फिर उसकी चीजें निकालकर उसे बंद करा सकता है. नॉमिनी को लॉकर का इस्तेमाल करने के लिए बैंक को जरूरी दस्तावेजों के साथ एक आवेदन देना होगा.
अगर जॉइंट लॉकर का है मामला
अगर लॉकर जॉइंट में खुला है, उसे लॉकर धारकों के जॉइंट सिग्नेचर्स के साथ ही ऑपरेट किया जा सकता है और खुलवाने वालों में से किसी एक ने या दोनों ने ही नॉमिनी बनाया हुआ है तो लॉकर धारकों में से किसी एक की मौत होने पर नॉमिनी दूसरे लॉकर धारक के साथ लॉकर एक्सेस कर सकता है. ऐसे में दोनों को जॉइंटली लॉकर की चीजें निकालने की अनुमति होगी. अगर जॉइंट में खोले गए लॉकर को ऑपरेट करने के मामले में सर्वाइवरशिप क्लॉज है और लॉकर धारकों ने लॉकर की एक्सेस के मामले में 'either or survivor' या 'anyone or survivor' या 'former or survivor' मोड रखा है या बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के प्रावधानों के तहत मंजूर किसी अन्य सर्वाइवरशिप क्लॉज के मुताबिक एक्सेस देने का निर्देश दिया है तो बैंकों को जॉइंट लॉकर धारकों में से एक की या सभी की मृत्यु होने पर इस निर्देश के अनुसार कदम उठाना होगा.
अगर नहीं है कोई नॉमिनी
अगर लॉकर धारक/धारकों ने बैंक लॉकर के लिए कोई नॉमिनी नहीं बनाया है या जॉइंट लॉकर के मामले में धारकों ने किसी स्पष्ट सर्वाइवर क्लॉज के जरिए एक या अधिक सर्वाइवर्स को एक्सेस दिए जा सकने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया है, तो बैंकों को निर्देश है कि वे मृत लॉकर धारक/धारकों के कानूनन उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि को लॉकर की एक्सेस देने के लिए बोर्ड अप्रूव्ड पॉलिसी अपनाएं. अगर नॉमिनी या कानूनन उत्तराधिकारी लॉकर को आगे जारी रखना चाहता है तो इसके लिए नया कॉन्ट्रैक्ट बनेगा.
15 दिनों के अंदर लॉकर की चीजों को करना होता है रिलीज
नियमों के मुताबिक, मृत लॉकर धारक के मामले में बैंकों को दावा प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों के अंदर लॉकर की चीजों को सर्वाइवर/नॉमिनी को (जैसा भी मामला हो) रिलीज करना होगा. हालांकि यह बैंक की संतुष्टि के लिए लॉकर धारक की मृत्यु का प्रमाण प्रस्तुत करने और नॉमिनेशन के संदर्भ में दावेदार/दावेदारों की उपयुक्त पहचान के अधीन भी है. लॉकर धारक/धारकों में से किसी एक की मृत्यु होने पर नॉमिनी या जीवित होल्डर्स को बैंक लॉकर से चीजें निकालने की अनुमति देने से पहले बैंक का लॉकर कस्टोडियन, लॉकर में रखी वस्तुओं की इन्वेंट्री बनाता है. नॉमिनी या जीवित होल्डर्स की मौजूदगी में इन्वेंट्री बनाई जाती है. इस दौरान दूसरे गवाह भी मौजूद रहते हैं.
नॉमिनी/सर्वाइवर को लॉकर की चीजों की एक्सेस देने से पहले ये चीजें सुनिश्चित करेंगे बैंक-
- उपयुक्त दस्तावेजी साक्ष्य प्राप्त करके सर्वाइवर/नॉमिनी की पहचान और लॉकर धारक की मृत्यु के तथ्य को स्थापित करने में उचित सावधानी बरतना
- यह पता लगाना कि क्या अदालतों/फोरम्स से कोई आदेश या निर्देश तो नहीं है जो बैंक को मृतक के लॉकर की एक्सेस प्रदान करने से रोकता है.
- सर्वाइवर/नॉमिनी को यह स्पष्ट करना कि लॉकर की चीजों की एक्सेस उन्हें केवल मृत लॉकर धारक के कानूनी वारिसों के ट्रस्टी के रूप में दी जाती है, यानी उन्हें दी गई यह एक्सेस, संबंधित सर्वाइवर/नॉमिनी के खिलाफ किसी व्यक्ति द्वारा किए जा सकने वाले दावे या अधिकार को प्रभावित नहीं करेगी.
- बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि जब किसी नाबालिग नॉमिनी की ओर से लॉकर की चीजें हटाने की मांग की हो रही हो तो उसे ऐसे व्यक्ति को सौंपा जाएगा, जो नाबालिग की ओर से सामान प्राप्त करने के लिए कानूनी रूप से सक्षम है. इसके अलावा, बैंक दो स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में चीजों की एक सूची तैयार करेंगे. एक बैंक का एक अधिकारी होगा, जो लॉकर सुविधा या वस्तुओं के सेफ डिपॉजिट से जुड़ा हुआ नहीं है और दूसरा दावेदार होगा. दावेदार नॉमिनी हो सकता है या वह व्यक्ति हो सकता है जो नाबालिग की ओर से लॉकर की चीजें प्राप्त करेगा.
- बैंक नॉमिनी या नाबालिग की ओर से सामान प्राप्त करने वाले व्यक्ति से बयान लेंगे कि लॉकर में जमा सभी चीजें प्राप्त हो गई हैं और लॉकर खाली है. साथ ही यह भी बयान कि उन्हें नियमों के अनुसार किसी अन्य ग्राहक को लॉकर आवंटित किए जाने में कोई आपत्ति नहीं है.
- सर्वाइवर/नॉमिनी को लॉकर की चीजों की एक्सेस देते वक्त बैंकों को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, प्रशासन पत्र या प्रोबेट आदि को प्रस्तुत करने पर जोर देने या सर्वाइवर/नॉमिनी की ओर से क्षतिपूर्ति या जमानत का कोई बॉन्ड मांगने की जरूरत तब तक नहीं है, जब तक नॉमिनेशन में कोई विसंगति न हो.
बैंक की सेफ कस्टडी में रखी गई चीजों की वापसी के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.