अब QR कोड से पता चलेगा दवा असली है या नकली, 300 दवाओं की बारकोडिंग का आदेश
दिसंबर, 2023 तक सभी दवा कंपनियां और उनके सभी दवाइयां बारकोडिंग के दायरे में आ जाएंगी.
किसी भी तरह के रोग और शारीरिक पीड़ा की स्थिति में दवाइयां ही सहारा हैं. बीमार पड़ते ही हम सीधे डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन लेकर मेडिकल स्टोर में जाते हैं और दवाइयां खरीदकर खा लेते हैं. लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि जो दवा आप खा रहे हैं, वो सही है भी या नहीं. भारत में जिस तेजी से खराब और नकली दवाइयों का कारोबार और नेटवर्क फैल रहा है, ऐसे में ये पता लगाना मुश्किल है कि आप जो दवा खरीदकर लाए हैं, वो कितनी ऑथेंटिक है.
नकली दवाइयों पर रोक लगाने के लिए सरकार कुछ जरूरी और ठोस कदम उठाने जा रही है. सरकार ने तय किया है कि अब 300 से ज्यादा दवाइयों पर QR कोड लगाया जाएगा. सरकार ने इन दवा कंपनियों को आदेश दिया है कि उन्हें अपनी दवाओं पर बार कोड (Bar Code) छापना होगा. इस बार कोड के जरिए ग्राहकों के लिए यह जानना सरल हो जाएगा कि वो जिस दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो असली है या नकली.
ऑथेंटिसिटी की जांच क्यों है जरूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने इसी साल जून के महीने में एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था. इस नोटिफिकेशन के जरिए लोगों से नकली दवाओं, दवाओं की ऑथेंटिसिटी की पहचान और दवाओं की विश्वसनीयता को तय करने के लिए बार कोड के इस्तेमाल जैसे सवालों पर उनकी राय और प्रतिक्रियाएं मांगी गई थीं.
ज्यादातर लोगों ने इस बात की शिकायत की कि बाजार में उपलब्ध असली और नकली दवाइयों में कोई ठोस अंतर न होने के कारण यह पता लगा पाना मुश्किल है कि आप जो दवाएं ले रहे हैं, कहीं वह नकली तो नहीं. कुल मिलाकर उसकी सत्यता को जांचने का कोई ठोस पैमाना नहीं है.
कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची कि नकली दवाइयों का बाजार बहुत तेजी के साथ फैल रहा है और कोई भी, कहीं भी इसकी गिरफ्त में आ सकता है. इस पर शिंकजा कसने के लिए जरूरी है कि सही दवाइयों की शिनाख्त का ठोस तरीका अख्तियार किया जाए, जिसके जरिए सामान्य ग्राहक के लिए भी यह जांचना सरल हो कि वह सही दवाई का उपयोग कर रहे हैं.
300 दवाओं पर लगेंगे बार कोड
स्वास्थ्य मंत्रालय दवाइयों की बारकोडिंग की इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है. शुरुआती चरण में 300 दवाओं को इस दायरे में रखा गया है. यह सामान्य तौर पर इस्तेमाल में आने वाली दवाइयां हैं, जिन्हें लोग किसी भी जनरल मेडिकल स्टोर से आसानी से खरीद सकते हैं. जिन दवाओं और दवा कंपनियों की बारकोडिंग की जा रही है, वह टोटल मार्केट का तकरीबन 35 फीसदी हिस्सा हैं. कहा जा रहा है कि दिसंबर, 2023 तक सभी दवा कंपनियां और उनके सभी दवाइयां बारकोडिंग के दायरे में आ जाएंगी.
मई, 2023 से लागू हो जाएगा ये नियम
अगले साल मई से जो भी दवाइयां मार्केट में आएंगी, उनके पैकेट पर एक बार कोड छपा होगा. इस बारकोड को स्कैन करते ही उसकी मैन्युफैक्चरिंग डीटेल, लाइसेंस संख्या, बैच संख्या और उसकी ऑथेंटिसिटी से जुड़ी सारी जानकारियां स्क्रीन पर देखी जा सकेंगी. इसके लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 (Drugs and Cosmetic Rules, 1945) में संशोधन भी मई, 2023 से लागू हो जाएगा. नकली दवाओं की आपूर्ति को रोकने और पब्लिक हेल्थ सर्विस में सुधार करने के उद्देश्य से सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है.