किसान के बेटे की रंग लाई मेहनत , शुरु किया Yupp tv, दुनिया भर के 400 मिलियन घरों तक है पहुंच
तेलंगाना के एक गरीब किसान परिवार में जन्म हुआ उदय रेड्डी का। - दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़ाई के बाद टेलिकॉम क्षेत्र में रखा कदम।- अपनी सेविंग से नीव रखी यप्प टीवी की। बेसमेंट में खोला पहला ऑफिस।- आज दुनिया भर के 400 मिलियन घरों में यप्प टीवी की है पहुंच।
आभाव भरी जिंदगी किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत कष्टकारक होती है लेकिन कई बार यही आभाव नई सोच का आधार भी बन जाता है और इंसान सोचते-सोचते कुछ ऐसा सोच जाता है जो उस समय किसी ने न सोचा हो। यप्प टीवी के फाउंडर और सीईओ उदय रेड्डी के साथ भी ऐसा ही हुआ। तेलंगाना के एक बेहद गरीब परिवार में जन्में उदय के पिता किसान थे। उदय ने बचपन से ही गरीबी को बहुत करीब से देखा और भोगा। बेशक उदय एक आभावग्रस्त जीवन जी रहे थे लेकिन उनके सपने बहुत ऊंचे थे। वे आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे और गरीब भारत की समस्या सुलझाना चाहते थे। उनका लक्ष्य अपने गांव को विकास पथ पर लाना था। वे हेल्थ केयर और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की इच्छा रखते थे। लेकिन उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वे तकनीक के माध्यम से दुनिया में नाम कमाएंगे और लोगों को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करेंगे।
स्कूलिंग के बाद उदय ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। उसी दौरान उनकी सीमेंस कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट हो गई। उन्होंने तय किया कि वे एक साल काम करेंगे उसके बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करेंगे। लेकिन काम के दौरान उनका टेलिकॉम क्षेत्र में रुझान बढ़ता चला गया। वे तकनीक की ओर आकर्षित होते चले गए और उन्होंने इसी क्षेत्र में काम करना तय कर लिया। सन 1995 में उन्होंने नॉरटेल कंपनी ज्वाइन की। उदय बताते हैं कि उस समय भारत में वायरलेस नेटवर्क की बस शुरुआत ही हुई थी। इस दौरान उन्होंने कई देशों की यात्रा की। उन्होंने सिंगापुर, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी काम किया। अगले 11 सालों तक उन्होंने सर्बिया और लेटिन अमेरिका की मार्किट को समझा। उदय बताते हैं कि सीखने की दृष्टि से यह साल मेरे लिए बहुत फायदेमंद रहे। इस दौरान मैं बहुत कुछ सीखा।
सन 2006 में उदय ने यप्प टीवी यूएसए आईएनसी की शुरुआत की। उनका यह आइडिया अमेरिका के लिए भी नया था। उदय ने विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की परेशानी को हल करने का निश्चय किया। उन्होंने देखा कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए उनकी भाषा में बहुत कम मनोरंजन की सामग्री उपलब्ध है। यहां तक की उन्हें अपनी भाषा में समाचार तक सुनने को नहीं मिलते। वे इस कल्चरल गैप को भरना चाहते थे और विदेश में रहने वाले लोगों को उनके कल्चर से जोडऩा चाहते थे। उदय ने बेसमेंट से अपना ऑफिस शुरु किया। उस दौरान ब्रॉडबैंड तकनीक उतनी विकसित नहीं थी। यहां तक कि स्मार्ट टीवी और स्मार्ट फोन भी बहुत चलन में नहीं थे। कहा जाए तो उदय ने समय से काफी पहले ही अपना काम शुरु कर दिया था। उदय ने अपनी सेविंग से ही काम शुरु किया। वे इंटरनेट के माध्यम से लाइव टीवी प्रसारण उपलब्ध कराना चाहते थे। साथ ही वे यह भी सोचा करते थे कि अगर किसी व्यक्ति का ओरिज़नल टेलिकॉस्ट छूट जाए तो उसके पास यह विकल्प होना चाहिए कि वह उस कार्यक्रम को बाद में भी देख सके। उदय की यह यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें बाजार से ज़रा भी मदद नहीं मिली। इसके अलावा ग्राहकों को बनाए रखना भी बहुत मुश्किल होता जा रहा था। बहुत जल्द ही उनका पैसा खत्म हो गया। सन 2010 में उन्होंने अपना एक प्लॉट बेच दिया और अपने एक मित्र से लोन भी लिया। इस बार उन्हें इसका अच्छा फल मिला। यप्प टीवी के दर्शकों में लगातार इजाफा होता चला गया। आज 50 देशों और पांच महाद्वीपों में हर महीने पांच मिलियन लोग यप्प टीवी देखते हैं और कई बार यह आंकड़ा बीस मिलियन तक पहुंच जाता है। आज यप्प टीवी नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। दुनिया भर के 400 मिलियन घरों में यप्प टीवी की पहुंच है। इसके अलावा इनकी एप को 7.5 मिलियन डाउनलोड मिल चुके हैं जोकि भारत में एड्रॉयड प्ले स्टोर में मनोरंजन के क्षेत्र में यह दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके अलावा यप्प टीवी की स्मार्ट टीवी एप को डाउनलोड करने का आंकड़ा भी बहुत ज्यादा है। हाल ही में उदय को 'टॉप हंडरेड कंपनीज इन द वर्डÓ पुरस्कार भी मिला।
यप्प टीवी की शुरुआत दो चैनलों से हुई थी, आज इनके पास 200 से ज्यादा भारतीय चैनल हैं। इसके अलावा 5000 फिल्में और 100 से ज्यादा टीवी शोज़ 13 भारतीय भाषाओं में इनके पास हैं। इनकी लाइब्रेरी में 25 हजार घंटे की मनोरंजन सामग्री भी उपलब्ध है। उदय अपनी इस यात्रा से खुश तो हैं लेकिन उन्हें लगता है कि अभी बहुत कुछ और भी है जो उन्हें करना है।
यप्प टीवी के पैकेज भारत में मात्र पांच रुपए प्रतिदिन के हिसाब से उपलब्ध हैं और ये भारत का नम्बर वन इंटरनेट पे टीवी प्लेटफॉर्म है उन भारतीयों के लिए जो विदेश में रहे रहे हैं। उदय बताते हैं कि किसी भी नए उद्यमी के लिए यह जरूरी है कि उसे पता हो कि वो असल में क्या करना चाहता है। उसके दिमाग में किसी प्रकार का कोई संशय नहीं होना चाहिए। आगे वे बताते हैं कि अब दुनियाभर में अच्छी तकनीक उपलब्ध है इसलिए जरूरी नहीं कि आपको किसी काम के लिए अमेरिका या किसी दूसरे देश में जाने की जरूरत पड़े। आप भारत में अपने घर पर रहकर भी सारे काम कर सकते हैं।
कहानी- सौरभ रॉय
अनुवादक- आशुतोष खंतवाल