रिटायरमेंट के बाद आराम करने का नहीं है मन तो इनसे मिलिए जो वृद्धों को दिलाते हैं नौकरी
60 के बाद काम करने वालों का जॉब पोर्टल...
भारत में अधिकतर सेवाओं में 58 या 60 साल के बाद लोगों को रिटायरमेंट दे दिया जाता है। कुछ लोग इससे खुश होते हैं कि अब उनके पास फुरसत ही फुरसत ही होगी, लेकिन वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें चैन नहीं मिलता। ऐसे लोग 60 की उम्र के बाद भी खुद को ऐक्टिव महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि शारीरिक रूप से अभी वे काम करने के लिए सक्षम हैं। लेकिन दिक्कत ये है कि ऐसे लोगों के लिए नौकरी खोजना आसान नहीं होता। ऐसा नहीं है कि इन लोगों के लायक कोई नौकरी नहीं होती, मुश्किल ये है कि नौकरी खोजने के लिए सही और आसान प्लेटफॉर्म नहीं है।
काफी अच्छी संख्या में ऐसे लोग हैं जो 60 के पार भी अच्छे से काम कर सकते हैं और उनमें से कई तो कंप्यूटर और स्मार्टफोन का भी इस्तेमाल करते हैं।
भारत में अधिकतर सेवाओं में 58 या 60 साल के बाद लोगों को रिटायरमेंट दे दिया जाता है। कुछ लोग इससे खुश होते हैं कि अब उनके पास फुरसत ही फुरसत ही होगी, लेकिन वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें चैन नहीं मिलता। ऐसे लोग 60 की उम्र के बाद भी खुद को ऐक्टिव महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि शारीरिक रूप से अभी वे काम करने के लिए सक्षम हैं। लेकिन दिक्कत ये है कि ऐसे लोगों के लिए नौकरी खोजना आसान नहीं होता। ऐसा नहीं है कि इन लोगों के लायक कोई नौकरी नहीं होती, मुश्किल ये है कि नौकरी खोजने के लिए सही और आसान प्लेटफॉर्म नहीं है।
दिल्ली में रहने वाले विपुल के 77 वर्षीय अंकल अपनी नौकरी से रिटायर हो गए थे, लेकिन लगता नहीं था कि उनकी उम्र इतनी हो चली थी। ऐसे ही बातचीत के दौरान विपुल को महसूस हुआ कि कोई ऐसा प्लेटफॉर्म होना चाहिए जहां 60 पार उम्र के लोग नौकरी खोज सकें। विपुल कहते हैं, 'मेरे ग्रैंड पैरेंट्स रिटायरमेंट के बाद भी काफी ऐक्टिव थे। लेकिन कुछ दिनों के बाद खाली रहने पर उनका स्वभाव बदलता गया और वे चिड़चिड़े होते गए। हर चीज में कमी निकालना उनका काम बन गया।' यही वजह थी कि विपुल ने 'हम' (HUM) नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की जहां रिटायरमेंट के बाद लोगों के लिए नौकरियों की जानकारी उपलब्ध हो सके।
'हम' के संस्थापक विपुल ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए दावा किया कि यह भारत का पहला ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। इसे बनाने में विपुल के 77 वर्षीय अंकल और रिटायर्ड टेक्नॉक्रेट क्रितार्थ मल्होत्रा ने भी काफी मदद की। साथ मिलकर उन्होंने एम्प्लॉयर्स और वरिष्ठ नागरिकों को एक करना शुरू किया। जुलाई 2017 में उन्होंने इसे दिल्ली से लॉन्च किया। अब उनकी योजना देश के बाकी शहरों में भी विस्तार करने की है। सोशल मीडिया और वॉट्सऐप के जरिए 5,000 सीनियर सिटिजन को जोड़ा।
विपुल का कहना है कि इस सेक्शन में काफी अवसर हैं। जरूरत बस इस पर काम करने की है। 'हम' ने एम्प्लॉयर्स की जरूरतों को समझने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के बीच एक सर्वे कराया और जानने की कोशिश की कि क्या 60 पार लोग नौकरी के योग्य हैं या नहीं। उन्होंने पाया कि काफी अच्छी संख्या में ऐसे लोग हैं जो 60 के पार भी अच्छे से काम कर सकते हैं और उनमें से कई तो कंप्यूटर और स्मार्टफोन का भी इस्तेमाल करते हैं।
रमेश विज कहते हैं कि रिटायरमेंट के कुछ दिनों तक तो आराम की जिंदगी अच्छी लगती है, लेकिन काफी दिन तक ऐसे ही पड़े रहने पर आपके शरीर से ऐक्टिवनेस खत्म होती जाती है। इस हालत में आपको अच्छा नहीं महसूस होता। इसलिए रिटायरमेंट के बाद काम करना कई तरह से अच्छा है। इससे दिमाग और शरीर में ऊर्जा बरकरार रहती है। वे कहते हैं कि रिटायरमेंट के 10-15 सालों तक तो आसानी से लोग काम कर ही सकते हैं। कृतार्थ बताते हैं कि कई लोग ऐसे हैं जो इस उम्र में भी काम करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। 'हम' ऐसे लोगों को जोड़ने का काम कर रहा है। अगर किसी सीनियर सिटिजन को लगता है कि उन्हें काम की जरूरत है तो वह अपना सीवी [email protected] पर भेज कर इसका सदस्य बन सकता है।
यह भी पढ़ें: चोट की परवाह न करते हुए इस एयरहोस्टेस ने बचाई 10 माह के बच्चे की जान, एयरवेज़ ने किया सम्मानित