असम में लड़कियों को सैनिटरी पैड के लिए मिलेगा एनुअल स्टाइपेंड
किशोर बालिकाओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छी पहल...
इस योजना के लिए सरकार ने 30 करोड़ रुपये का बजट रखा है। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य में महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हो सकेगा। लड़कियों के स्कूल छोड़ने में सबसे प्रमुख कारण मासिक धर्म भी होता है।
यह स्टाइपेंड सीधे लड़कियों के खाते में दे दिया जाएगा। बैंक अकाउंट में उनकी जन्मतिथि दर्ज होगी, जिसके हिसाब से अपने आप पेमेंट हो जाया करेगी। 20 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद स्टाइपेंड अपने आप बंद हो जाएगा।
लड़कियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए असम सरकार ने एक नई पहल शुरू करने का ऐलान किया है। असम के वित्त मंत्री हिमंत बिसवा ने 5 लाख से कम आय वाले परिवार की लड़कियों को स्टाइपेंड देने की घोषणा की है। यह स्टाइपेंड 12-20 वर्ष की लड़कियों को मिलेगा, ताकि वे बिना किसी अड़चन के सैनिटरी पैड्स खरीद सकें। यह घोषणा विधानसभा में डिजिटल बजट पेश करते वक्त की गई। पहली बार असम का बजट डिजिटली पेश किया गया।
एक स्थानीय समाचार पत्र के मुताबिक यह स्टाइपेंड सीधे लड़कियों के खाते में दे दिया जाएगा। बैंक अकाउंट में उनकी जन्मतिथि दर्ज होगी, जिसके हिसाब से अपने आप पेमेंट हो जाया करेगी। 20 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद स्टाइपेंड अपने आप बंद हो जाएगा। सरकार की मानें तो यह स्टाइपेंड 600 रुपये होगा। इसे पाने के लिए लड़कियों को ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर के द्वारा रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा। मंत्री ने बताया कि इससे राज्य की पांच लाख लड़कियों को लाभ मिलेगा।
इस योजना के लिए सरकार ने 30 करोड़ रुपये का बजट रखा है। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य में महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हो सकेगा। लड़कियों के स्कूल छोड़ने में सबसे प्रमुख कारण मासिक धर्म भी होता है। अगर उन्हें सैनिटरी पैड्स जैसी सुविधा मिल जाए तो स्कूल ड्रॉप आउट रेट भी कम हो सकता है। मंत्री बिस्वा ने कहा, 'मैं हमेशा से इस बात पर यकीन करता हूं कि असम देश में गुड गवर्नेंस, आर्थिक प्रगति, मानव विकास सूचकांक और हैपिनेस की लिस्ट में टॉप फाइव में रहेगा।'
यह देश की कड़वी हकीकत है कि स्कूलों में लड़कियों के पास सुविधा नहीं होती है और पैड जैसी मूलभूत जरूरत की चीजें वह नहीं खरीद सकती हैं, ऐसी दशा में उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ता है। इसके साथ ही खराब स्वास्थ्य की वजह से लड़कियों को कई तरह की शारीरिक और मानसिक चुनौतियां उठानी पड़ती हैं। देश में कई राज्य की सरकारें किशोर बालिकाओं के लिए मुफ्त सैनिटरी पैड्स की व्यवस्था करवाती हैं। उसी क्रम में असम सरकार की यह पहल सराहनीय है।
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