इकलौती बेटी के टॉप करने पर फूले नहीं समा रहे जफर आलम
जिस क्षेत्र में शिक्षा का स्तर है काफी मामूली, वहां की बेटी ने किया टॉप...
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले के जफर आलम खां की खुशियों का ठिकाना नहीं है। उनकी बेटी अलमास ने हाईस्कूल परीक्षा बोर्ड में टॉप किया है। उनकी खुशहाली की और भी कई वजहें हैं। एक तो उनके क्षेत्र में शिक्षा का स्तर मामूली है और बेटी की कामयाबी के लिए मात्र गृहिणी मां ने भी उस पर अपना सारा वक्त दिया है। अलमास का सपना है इंजीनियर बनना, जबकि जफर चाहते हैं बेटी सिविल सर्विसेस में किस्मत आजमाए।
स्कूल-कॉलेजों से निकली युवा प्रतिभाएं सैन्य जेट तक उड़ाने हैं। ऐसे समय में जब कोई छात्रा बोर्ड परीक्षाओं में टॉप टेन की सूची में सफलता परचम लहराती है, अभिभावकों नहीं, उस पूरे इलाके की आंखें खुशी से खिल उठती हैं।
कोई भी हो, स्त्री हो या पुरुष, जीवन में उसकी कामयाबी का पहला द्वार खुलता है शिक्षा-परिसर से। इसी परिसर से निकल कर देहरादून में एक सौभाग्यशाली ऑटो चालक की पुत्री न्यायाधीश बन जाती है, अथवा प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच जाती है, यद्यपि उसमें जीवन की बाकी योग्यता में मायने रखती हैं। देश विकासशील प्रक्रिया से गुजर रहा है, ऐसे में महिला साक्षरता, शिक्षा, प्रशिक्षण, रिसर्च, उद्यमिता, सेवा, वित्त प्रबंधन, सूचना प्रोद्योगिकी तथा इंजीनियरिंग, कौशल विकास, श्रम, नियोजन आदि के क्षेत्रों में आधी आबादी का योगदान सबसे पहले गौरतलब हो जाता है।
इस सभी क्षेत्रों में आधी आबादी की सतत सक्रियता एवं भागीदारी अत्यावश्यक हो जाती है, जो पिछले दो दशक से लगातार संभव होती जा रही है। स्कूल-कॉलेजों से निकली युवा प्रतिभाएं सैन्य जेट तक उड़ाने हैं। ऐसे समय में जब कोई छात्रा बोर्ड परीक्षाओं में टॉप टेन की सूची में सफलता परचम लहराती है, अभिभावकों नहीं, उस पूरे इलाके की आंखें खुशी से खिल उठती हैं। ऐसी ही एक कामयाबी का परचम पिछले दिनो एक साधारण परिवार में परवरिश पाने वाली उत्तर प्रदेश के अकरहरा गांव की अलमास ने लहराया है। उसे उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा-2018 में दसवीं क्लास में लखनऊ में पहली रैंक मिली है।
साथ ही वह प्रदेश की वह एकलौती मुस्लिम छात्रा हैं, जिन्हें बोर्ड परीक्षाफल की टॉप-10 सूची में छठवां स्थान मिला है। निश्चित ही उनकी यह सफलता उनके जीवन में रंग लाएगी। इस कामयाबी पर उनके घर-गांव के लोगों की खुशियों का ठिकाना नहीं है। सोलह वर्षीय अलमास प्रदेश की राजधानी लखनऊ पब्लिक कालेज की छात्रा हैं। उन्होंने 600 में से 562 अंक प्राप्त किए हैं। यानी अलमास को 93.67 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। यद्यपि छठवें स्थान पर दो अन्य छात्राएं सोमिया सिंह और रेशू यादव भी रही हैं।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में भी एक मेधावी छात्रा एसकेडी एकेडमी की कीर्ति सिंह 91.8 फीसदी नंबर लाकर राजधानी में टॉप पर रही हैं। एलपीएस की ही अरीशा पाठक ने 91.40 प्रतिशत अंक हासिल करके प्रदेश में सातवां और लखनऊ में दूसरा स्थान हासिल किया है। अलमास के पिता जफर आलम खां पेशे से अध्यापक हैं। बलरामपुर जिले के उतरौला स्थित मोहम्मद यूसुफ उस्मानी इंटर कॉलेज में उर्दू के टीचर हैं। मां अलमास की उच्च शिक्षा के लिए उनके साथ ही लखनऊ में रहती हैं।
अलमास अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को ही देती हैं। अलमास कहती हैं कि भले उन्होंने अपनी मेहनत से यह सफलता हासिल की है, उनके पिता ने उन्हें अच्छी शिक्षा के लिए तैयार किया तो मां ने मेरी पढ़ाई-लिखाई में कोई घरेलू अड़चन न आने देने के लिए अपना पूरा वक्त उन पर खर्च किया है। वह अपने माता-पिता के इस योगदान को कभी नहीं भूल सकती हैं। कॉलेज लाइफ सिमटने के बाद वह पेशे से इंजीनियर बनना चाहती हैं। यद्यपि उनके पिता चाहते हैं कि वह सिविल सर्विसेस में जाएं या फिर पीएचडी कर एजुकेशन सेक्टर में जगह बनाएं। उन्हें शिक्षा के दौरान अपने अध्यापकों से भी अपेक्षित सहयोग मिला है। उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में भी वह अपने माता-पिता और विद्यालय का नाम रोशन करेंगी।
जफर आलम खान कहते हैं कि आज उनकी बेटी की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि अगर स्वयं अपना लक्ष्य लेकर चलता है, उसे कामयाबी जरूर हासिल होती है। उनका परिवार ऐसे मौके पर आज जितना खुश है, भविष्य में इससे ज्यादा की उन्हें उम्मीदें हैं। अभी तो अलमास की कामयाबी का सिलसिला शुरू हुआ है। उनके पूरे इलाके में आज शिक्षा का अभाव है। ऐसे में अलमास का परचम फहराना बहुत मायने रखता है। सिद्धार्थनगर (उ.प्र.) के विकास खंड बढ़नी के ग्राम अकरहरा के जफर आलम बताते हैं कि बढ़नी से मात्र सात किमी की दूरी पर स्थित उनका गांव शिक्षितों के मामले में ज्यादा उर्वर नहीं रहा है।
यद्यपि इस गांव ने एक-से-एक हस्तियों को जन्म दिया है। उनका मानना है कि परिवार के लोगों का सहयोग किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है। बेटियां शिक्षित रहेंगी तो पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करेंगी। अलमास की मां अफशाना खान गृहिणी हैं। इन दिनो टॉपर अलमास को बधाई देने के लिए उनके घर लोगों का ताँता लगा हुआ है। लखनऊ पब्लिक कॉलेज की प्रधानाध्यापिका किरन मिश्रा अलमास खान और उनके माता-पिता को बधाई देते हुए कहती हैं कि घर-परिवार के संस्कारों ने ही प्रतिभावान बनाया है।
अलमास ने हमारे कॉलेज का नाम ऊंचा किया है। उसकी कामयाबी पर हम सब भी आज बहुत खुश हैं। अलमास हमारी श्रमशील छात्रा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक कहते हैं कि इस बार उत्तीर्ण परीक्षार्थियों की सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत रही है। लड़कियों ने अपने स्कूल-कॉलेजों का नाम रोशन किया है। अलमास के साथ ही हाईस्कूल में अंजली वर्मा ने प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है। इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी अनन्या राय दूसरे स्थान पर रही हैं।
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