व्हील चेयर के पहिये से विकलांग लोगों के जीवन की नई कहानी लिखने की कोशिश...
योग पर अथाह विश्वास....शारीरिक रुप से कमजोर लोगों का है सहारा...40 सालों से योग दर्शन से जुड़ाव...‘एबिलिटी अनलिमिटे फाउंडेशन’ एक धर्मार्थ संगठन...
आपने लोगों को दो पांव पर थिरकते हुए अक्सर देखा होगा, लेकिन क्या आप विश्वास करेंगे कि व्हील चेयर में उतना ही बेहतर भारतीय शास्त्रीय नृत्य और योग किया जा सकता है? इस मुश्किल काम को आसान बनाने का श्रेय जाता है सैयद सलाउद्दीन पाशा को। पाशा योग के काफी शौकीन हैं। इसी योग के कारण वो छह साल की उम्र में अपने साथ के बच्चों के मुकाबले ज्यादा चुस्त और फुर्तीले थे। उनको संगीत के सुर और संस्कृत के श्लोकों की अच्छी जानकारी है। उनका मानना है कि अच्छी चीज़ें सीखने के लिए कभी भी कोई धर्म आड़े नहीं आता। पाशा का कहना है ये उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी है कि वो दूसरों को योग सिखायें क्योंकि ये समानता, न्याय और सशक्तिकरण से जुड़ा है।
गुरु पाशा महसूस करते हैं कि एक खास समुदाय की आत्मा, मन और शरीर को जोड़ने की सख्त जरूरत है और ये समुदाय है शारीरिक रुप से कमजोर लोग। पिछले 40 सालों के दौरान उन्होने योग दर्शन पर काफी काम किया है। इसका फायदा उन लोगों को मिला है जो शारीरिक तौर पर कमजोर हैं। गुरू पाशा के मुताबिक योग कोई सनक नहीं है बल्कि ये जीवन का दर्शन है। यही वजह है कि इसके अनुयायियों में स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस जैसे लोग रहे हैं। गुरु पाशा जब शारीरिक रुप से कमजोर लोगों को योग सिखाते हैं तो उनकी कोशिश होती है छात्रों को ‘पंच भूत’ के दौरान संतुलन बनाने में मदद मिले। ये हमारे ब्रह्मांड का एक हिस्सा है। ये सिर्फ योग की तरह एक व्यायाम नहीं है बल्कि ये संगीत, नृत्य, मंत्र, मुद्राओं और आध्यात्मिकता का मिश्रण है।
गुरु पाशा के मुताबिक “मैं सिर्फ योग करना ही नहीं सिखाता बल्कि चाहता हूं कि लोग कर्म योग, धर्म योग और अध्यात्म योग के माध्यम से स्वस्थ्य कैसे रह सकें।” अपने शुरूआती दिनों में गुरु पाशा पानी में पद्मासन, शवासन और प्राणायाम का काफी अभ्यास करते थे। किसी भी इंसान में शारीरिक अक्षमता जन्म से, किसी दुर्घटना में या मानसिक विकलांगता से हो सकती है। योग सिर्फ आत्मविश्वास दिलाता है और भीतर में छुपी हुई क्षमताओं को बाहर निकालता है। उदाहरण के लिए गुरु पाशा के शिष्य जो व्हील चेयर में रहते हैं वो शीर्षासन और मयूरासन जैसे मुश्किल आसन अपने नृत्य में करते हैं। गुरु पाशा के मुताबिक तब वो व्हील चेयर शरीर का एक हिस्सा होती है। ये आसन उनकी शारीरिक और मानसिक रुकावटों को खोलता है जो बताता है कि वो अपने को शारीरिक तौर पर कमजोर ना माने। ये उन्हे आजादी देता है।
एबिलिटी अनलिमिटे फाउंडेशन एक धर्मार्थ संगठन है। जिसे गुरु पाशा ने स्थापित किया था। योग का अभ्यास डांस थेरेपी, संगीत चिकित्सा, पारंपरिक योग चिकित्सा, समूह चिकित्सा और रंग चिकित्सा का मेल है। गुरू पाशा के मुताबिक जब आप संगीत में योग करते हैं तो उसकी एक ताल भी नहीं छोड़ना चाहते। इससे एकाग्रता का स्तर बढ़ता है। योग के साथ संगठन को चलाने में अपनी दिक्कते हैं खासतौर से तब जब छात्र शारीरिक रुप से कमजोर हों। गुरू पाशा के मुताबिक उनके साथ जुड़ने वाला हर छात्र की शारीरिक दिक्कत अलग होती है। इसलिए उनको ना सिर्फ छात्रों के साथ बल्कि उनके अभिभावकों के साथ भी ज्यादा से ज्यादा सलाह मशहवरा करना पड़ता है। कई बार किसी छात्र को मनोवैज्ञानिक सदमें या निराशा से निकालने में सालों लग जाते हैं। गुरू पाशा सुनामी प्रभावित बच्चों का भी इलाज करते हैं उनका कहना है कि वो इस हादसे के बाद पूरी तरह खो चुके थे। इसके लिए उन्होने बच्चों के मन से भय की स्थिति को दूर करने और उन्हे शांत करने के लिए ध्यान का सहारा लिया। जिसका काफी असर भी पड़ा। ये भले ही धीमी प्रक्रिया हो लेकिन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। गुरु पाशा का कहना है कि अगर किसी को कछुए जैसी जिंदगी जीनी है तो उसे धीमे ही चलना होगा लेकिन अगर कोई तेजी से बढ़ना चाहता है तो उसकी जिंदगी अपने आप छोटी हो जाएगी।
देश में योग की लोकप्रियता बढ़ रही है। जो धीरे धीरे ग्लैमरस वाणिज्यिक उत्पाद बन बिक रहा है। ये अब आकर्षक व्यवसाय और नौटंकी बन गया है। जहां हजारों लोग बैठते हैं और कुछ आसन करते हैं। गुरु पाशा इस बात से नाराज हैं। तभी तो वो कहते हैं कि योग के जरिये गुरू-शिष्य परंपरा को सिखने की जरूरत है। वो किसी गुरू का नाम नहीं लेते लेकिन वो कहते हैं कि कोई किसी को ये नहीं कह सकता कि वो ये करे या वो करे। आप कैसे जान सकते हैं कि किसी इंसान का क्या दिक्कत है? गुरु पाशा कहते हैं कि वो मेडिकल योग अपने दोस्तों के साथ करते हैं और ये काम काफी गंभीरता से किया जाता है। अगर किसी की पीठ में दर्द है तो वो कैसे चक्रासन कर सकता है? तब आपको ऐसे आसन करने चाहिए जो रीढ़ के लिए असरदार ना हों।
जो लोग योग सिखने के शौकीन हैं उनको खुले में नंगे पैर और सूती कपड़ों में आना चाहिए और ऐसे लोगों से बचना चाहिए जो सिर्फ सनक के लिए योग करते हैं और हजारों रुपये कपड़े और मेट खरीदने में खर्च कर देते हैं। मुस्लिम होने के नाते गुरु पाशा का मानना है कि वो अपने आप को राष्ट्रीय एकता के एक प्रतीक के तौर पर देखते हैं। उनका मानना है कि काबा के लाखों चक्कर लगाना, वैदिक मंत्र, ईसाई भजन और हर आध्यात्मिक प्रवचन का एक ही मतलब है--- मन, शरीर और आत्मा की एकता। उनका अपना मानना है कि हर किसी को योग करना चाहिए।