घर बैठे अपने बच्चों को दें खिलौने और किताबें, 'friendlytoyz' मुहैया कराएगा किराये पर
नेहा भटनागर और रितिका गुप्ता ने वर्ष 2012 में दिल्ली के करीब फरीदाबाद में बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से अनुकूल खिलौने उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अपनी तरह के पहले किराये पर खिलौने उपलब्ध करवाने वाले friendlytoyz.com की स्थापना की और आज उनका यह उद्यम दिल्ली और एनसीआर के अलावा हैदराबाद और कोलकाता के बच्चों को भी खेलने के लिये खिलौने उपलब्ध करवा रहा है।
नेहा बताती हैं, ‘‘आज की व्यस्त दिनचर्या में अधिकतर अभिभावकों के पास अपने बच्चों के लिये खिलौने खरीदने का समय ही नहीं है। इसके अलावा बाजार में इतने प्रकार के खिलौने मौजूद हैं कि उनमें से अपने बच्चों के लिये उपयोगी खिलौने छांटना भी एक काफी टेढ़ी खीर है। ऐसे में हमनें अभिभावकों के इस अनुभव को आसान बनाते हुए उनकी जेब के बोझ को हल्का करने और बच्चों को ऐसे खिलौने उपलब्ध करवाने जिनकी मदद से वे खेल-खेल में कुछ सीख भी सकें, फरीदाबाद में इस मंच की स्थापना की।’’
प्रारंभ में सिर्फ फरीदाबाद में एक स्थानीय सेवा के रूप में स्थापित हुआ यह मंच बहुत ही कम समय में दिल्ली और समूचे एनसीआर के क्षेत्र में अभिभावकों और बच्चों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब रहा है। याॅरस्टोरी के साथ विशेष बातचीत में नेहा कहती हैं, ‘‘अधिकतर बच्चों के साथ यह होता है कि उनके पास जो खिलौने मौजूद होते हैं उनसे उनका दिल बहुत ही जल्दी भर जाता है और उन्हें खेलने के लिये नित नए खिलौनों की आवश्यकता होती है। बाजार में मिलने वाले अधिकतर खिलौने इतने महंगे होते हैं कि अधिकतर अभिभावकों के लिये उन्हें खरीदना काफी महंगा सौदा होता है। ऐसे में हम दोनों ये यह सोचा कि क्यों न एक ऐसा मंच स्थापित किया जाए जहां बच्चों को खेलने के लिये खिलौने किराये पर उपलब्ध करवाए जाएं और वह भी इस अंदाज में कि बच्चों के माता-पिता की सिरदर्दी भी कम हो। बस इस प्रकार वर्ष 2012 में friendlytoyz की स्थापना फरीदाबाद में हुई।’’ फिलहान यह मंच दिल्ली और समूचे एनसीआर में अपनी सेवाएं देने के बाद हैदराबाद में भी अपनी एक फ्रेंचाइजी खोलने में सफल रहा है और कोलकाता में भी इन्होंने एक लाइब्रेरी की स्थापना की है।
बच्चों के खेलने के लिये खिलौने किराये पर उपलब्ध करवाने वाले एक मंच में रूप में प्रारंभ हुआ यह उद्यम वर्तमान में अपने उपयोगकर्ताओं को चार प्रकार की सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है जिनमें लाईब्रेरी, रिटर्न गिफ्ट, बच्चों के लिये विशेष वाॅलपेपर्स और विभिन्न प्रकार की कार्यशालाएं शामिल हैं। नेहा बताती हैं, ‘‘हमारी पहली सेवा लाईब्रेरी की है जिसमें हम बच्चों के लिये खिलौने और किताबें किराये पर उपलब्ध करवाते हैं। इस सेवा के माध्यम से अभिभावक अपने बच्चों के लिये खिलौने या किताबें या फिर दोनों को किराये पर मंगवा सकते हैं। हमारी दूसरी सेवा रिटर्न गिफ्ट की है जिसमें हम बच्चों के जन्मदिन पर होने वाली पार्टियों में आने वाले मेहमानों को विदाई के समय दिये जाने वाले उपहारों को मुहैया करवाते हैं। उपहारेां के चयन में हम इस बात की विशेष ख्याल रखते हें कि वे मुख्यतः भारतीय स्टार्टअप्स के द्वारा तैयार किये हुए ही हों। इसके अलावा हमारा पूरा प्रयास रहता है कि हम घर पर रहकर खिलौने तैयार करने वाली महिलाओं के द्वारा तैयार किये गए खिलौनों इत्यादि को ही चुनें।’’ इस प्रकार से ये महिलाओं को आत्मनिर्भर होने में भी अपनी तरफ से मदद करने के प्रयास कर रही हैं।
इसके अलावा ये बच्चों के लिये विशेष रूप से तैयार किये गए वाॅलपेपर्स भी उपलब्ध करवा रही हैं। इस बारे में आगे जानकारी देते हुए नेहा बताती हैं, ‘‘हम अभिभावकों को उनके बच्चों की पसंद के कार्टून किरदार इत्यादि वाले विशेष वाॅलपेपर्स भी उपलब्ध करवाते हैं। इनके बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे ये वालपेपर्स इको-फ्रेंडली होने के चलते पर्यावरण के बिल्कुल अनुकूल हैं और हम इन्हे विशेष रूप से अमरीका से आयात कर रहे हैं। इसके अलावा हम बच्चों के लिये विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं इत्यादि का आयोजन भी करते रहते हैं जहां बच्चे आर्ट और क्राफ्ट के अलावा क्रियेटिव राईटिंग इत्यादि सीखने में कामयाब रहते हैं।’’
अपनी सेवाओं के बल पर इन्होंने वर्ष 2014 में अपने सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी गुड़गाव की कंपनी टाॅयपीडिया का अधिग्रहण करने में सफलता प्राप्त की और ये खिलौने के संग्रह और उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े खिलाड़ी बनने में कामयाब रहे। इसके बाद ये गुड़गांव की एक और खिलौना लाइबेरी ‘खिलौना’ का अधिग्रहण करने में भी कामयाब रहे।
अपने बच्चों के लिये खिलौने किराये पर लेने के इच्छुक अभिभावक इनकी वेबसाइट पर जाकर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं और इसके बाद वे एक निर्धारित शुल्क चुकाकर इन सेवाओं का उपयोग प्रारंभ कर सकते हैं। नेहा आगे बताती हैं, ‘‘कोई भी अभिभावक हमारी वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करवा कर हमारे खिलौने और किताबें किराये पर ले सकता है। हमारी सेवा 600 रुपये प्रतिमाह से प्रारंभ होती है जिसमें उपयोगकर्ता को एक महीने में चार बार प्रतिसप्ताह 1 खिलौना उपलब्ध करवाया जाता है। इसके अलावा हमारी सेवाओं की और भी कई श्रेणियां हैं जिनका उपयोग अभिभावक आसानी से कर सकते हैं।’’
नेहा आगे बताती हैं, ‘‘हमारी सेवा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हमारो उपयोगकर्ता घर बैठे हमारीे खिलौनों और किताबों के संग्रह में से अपनी पसंद के उत्पाद को चुनते हें और हमारे कर्मचारी उनकी पसंद के उत्पाद की उनके दरवाजे तक फ्री-होम डिलीवरी करते हैं। इस प्रकार अभिभावकों का बहुमूल्य समय बचता है और उन्हें घर बैठे ही अपने बच्चों के लिये खिलौने मिलते रहते हैं। इसके अलावा हम प्रत्येक खिलौने के साथ उसके उपयोग से संबंधित एक विस्तृत इंस्ट्रक्शन शीट भी मुहैया करवाते हैं जिसमें उस खिलौने के बारे में तमाम जानकारियां होती हैं और साथ ही अभिभावक आसानी से यह जान पाते हैं कि वह खिलौना उनके बच्चे के लिये कैसे उपयोगी साबित हो सकता है। साथ ही हमारा प्रत्येक उत्पाद एक साफ-सुथरे जैकेट में पैक होकर मिलता है ताकि खिलौना आपके बच्चे तक बिल्कुल सुरक्षित और हाईजीनिक अवस्था में पहुंचे।’’ इनका कहना है कि इन लोगों का पूरा प्रयास रहता है कि अभिभावकों को उनके द्वारा खर्च किये गए पैसे का पूरा मूल्य मिले और खिलौने किराये पर लेने का यह अनुभव वास्तव में यादगार बने।
विस्तार के क्रम में अपने कदम आगे बढ़ाते हुए इन्होंने हाल ही में कोलकाता में अपनी एक लाइब्रेरी की स्थापना की है और फ्रेंचाईजी देते हुए माॅमप्रेनर्स बनाने के लिये देशभर की तमाम माताओं के साथ वार्ता के दौर जारी हैं।
नेहा आगे बताती हैं, ‘‘हमारा इरादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का है और इसीलिये हमारा प्रयास है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाली महिलाएं हमारे साथ जुड़े और उद्यमिता के क्षेत्र में आएं। हमनें अगस्त के महीने में हैदराबाद में अपनी पहली फ्रेंचाईजी का संचालन प्रारंभ किया है और हम देशभर के तमाम हिस्सों में विस्तार करने के क्रम में हैं।’’
अंत में आत्मविश्वास से भरपूर नेहा कहती हैं, ‘‘हमारा इरादा एक ऐसी कंपनी का निर्माण करना है जो बच्चों के लिये सबसे बेहतरीन खिलौनों और सेवाओं को एक ही मंच पर उपलब्ध करवाये और साथ ही अभिभावकों का समय बचाने के साथ-साथ उनके पैसे का संपूर्ण मूल्य भी उन्हें प्रदान करने में सहायक हो। इसके अलावा हमारा सोचना है कि इस कंपनी के संचालन का जिम्मा पूरी तरह से माताओं के हाथ में हो क्योंकि बच्चों को माताओं से बेहतर और कौन जान सकता है।"