Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

ज़ाकिर खान तब से चुटकुले सुनाकर लोगों को हंसा रहे हैं, जब बच्चा अपना नाम बोलना सीखता है

ज़ाकिर खान उन स्टैंड-अप कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने हालिया समय में काफी लोकप्रियता हासिल की है। वे हास्य का प्रभावी ढंग से उपयोग करके समाज की बुराइयों को इंगित करने के लिए जाने जाते हैं।

ज़ाकिर खान तब से चुटकुले सुनाकर लोगों को हंसा रहे हैं, जब बच्चा अपना नाम बोलना सीखता है

Tuesday April 11, 2017 , 5 min Read

स्टैंड-अप कॉमेडी कला की एक ऐसी विधा है, जिसके बारे में कुछ साल पहले तक हम में से बहुतों को कुछ नहीं मालूम था और आज स्थिति ये है कि पिछले कुछ सालों में ये मनोरंजन के सबसे लोकप्रिय माध्यमों में से एक बन गया है। अब तो लगभग हर बड़े शहर में स्टैंड-अप कॉमेडी की बाढ़ सी आ गई है, इसके साथ ही क्रिएटिव सामग्री साझा करने वाले अनगिनत यूट्यूब वीडियो का उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा, जिन्हें देखने के लिए सभी तत्पर रहते हैं।

<h2 style=

स्टैंड-अप कॉमेडियन ज़ाकिर खान, फोटो साभार: फेसबुक प्रोफाईलa12bc34de56fgmedium"/>

 '90 सेकंड में मंच छोड़ कर चले जाने के लिए कहे जाने से लेकर लोगों द्वारा अनेकों अवसर पर उनके सम्मान में खड़े होने तक' ज़ाकिर खान ने निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है।

ज़ाकिर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था, जहां उनके दादा राजस्थान से आये थे। ज़ाकिर संगीत की एक मजबूत पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं।

ज़ाकिर खान उन स्टैंड-अप कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने हालिया समय में काफी लोकप्रियता हासिल की है। वे हास्य का प्रभावी ढंग से उपयोग कर के समाज की बुराइयों को इंगित करने के लिए जाने जाते हैं। ज़ाकिर धीरे-धीरे स्टैंडअप कॉमेडी के क्षेत्र में दृढ़ता से पैर जमाने में सफल रहे हैं। उनके इस मुकाम तक पहुँचने की यात्रा काफी दिलचस्प रही है। ज़ाकिर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था, जहां उनके दादा राजस्थान से आये थे। ज़ाकिर संगीत की एक मजबूत पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं।

कलाकारी ज़ाकिर की परवरिश में है और उनकी परवरिश ने उनमें न सिर्फ संगीत में अच्छी रूचि विकसित की, बल्कि उन्हें संगीत को गंभीरता से लेना भी सिखाया। 'यूथ की आवाज़' के अनुसार, उन्होंने रेडियो मिर्ची 98.3 FM पर एक साक्षात्कार में RJ रोहित से कहा,

'मैं एक ऐसे परिवार से हूं जिसका संगीत के साथ 300 साल से रिश्ता रहा है। मेरे माता-पिता के लिए 9-5 की नौकरी करना एक अपरंपरागत बात थी।'

ज़ाकिर कॉलेज से ड्रॉप आउट हो गये और रेडियो निर्माता बनने का अरमान अपने दिल में लेकर दिल्ली आ पहुंचे। कुछ दिन पहले चायपानी के साथ एक इंटरव्यू में ज़ाकिर ने बताया था,

'यार कॉलेज में रहने का कोई मतलब नहीं था। क्लासेज हम अटेंड करते नहीं थे और डिग्री से ज़्यादा अपनी ख्वाहिशों से प्यार था। वैसे वास्तव में डिग्री हासिल करने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी। मेरे पास मेरे अपने लिए अन्य योजनाएं थीं और मैं उन्हें हासिल करना चाहता था।'

जाकिर ने एआरएसएल में रेडियो प्रोग्रामिंग के एक साल के कोर्स में एडमिशन लिया। फिर फरवरी 2009 में वs इंटर्नशिप के लिए जयपुर चले गये। कॉलेज छोड़ कर एक नये क्षेत्र में किस्मत आजमाने की उनकी कोशिशों को लेकर उनके परिवार को उनसे काफी उम्मीदें थीं। वे अपनी परिस्थितियों में संतुलन बिठाने में सफल रहे। उन्हें अपने परिवार और अपने जुनून दोनों से ही बहुत प्यार था। चायपानी के साथ बातचीत में उन्होंने बताया,

'मैंने जयपुर आने के बाद घर से पैसा लेना बंद कर दिया। उन दिनों मेरे पास नौकरी नहीं थी, लेकिन मैंने घर वालों से झूठ बोला, कि मैं नौकरी कर रहा हूँ।'

पैसे कमाने के लिए ज़ाकिर खान ने ऐसे कई काम भी किये हैं, जो उनके लिए काफी मुश्किल थे।

ज़ाकिर ने जयपुर में मुश्किल कामों को हाथ में लेना शुरू कर दिया ताकि वे पर्याप्त पैसे कमा सकें। वे एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो हमेशा से आगे बढ़ने में विश्वास करते हैं और उन्होंने जयपुर से वापस दिल्ली जाने का फैसला किया। आने वाले सालों में उन्होंने थिएटर से रेडियो तक विभिन्न क्षेत्रों में अपना हाथ आजमाया। आखिरकार उन्होंने खुद को इस लायक बना ही लिया, कि जो लोग पहले उन्हें काम देने के लिए मना कर चुके थे, वे ही उन्हें नौकरी का प्रस्ताव देने लगे और फिर उन्हें उस जगह पर नौकरी मिल गई, जहाँ उन्होंने पहले कभी आवेदन भी नहीं किया था और वो जगह थी एचटी रेडियो।

ज़ाकिर हमेशा से टैलेंटिड थे। उनकी काबिलियत को देखकर उनके एक करीबी दोस्त ने उन्हें सुझाया कि उन्हें अपने टैलेंट को दुनिया के सामने लाना चाहिए और स्टेज पर अपने टैलेंट का प्रदर्शन करना चाहिए।

अपने पहले स्टैंड-अप कॉमेडी कार्यक्रम के अनुभव के बारे में बात करते हुए ज़ाकिर कहते हैं,

'मैं जब बच्चा था तब से ही छोटे-छोटे चुटकुले लिखता था। मैंने लड़कों के स्कूल में पढ़ता था। बचपन के दिनों से मेरे पास ऐसे अनगिनत चुटकुले हैं, जिन्हे सुनकर लोग लोटपोट हो जायें।'

कई कॉमेडी घटनाओं के माध्यम से दिल्ली में बेहद लोकप्रियता प्राप्त करने के बाद एक नई कॉमेडी शो के लिए ज़किर को मुंबई में बुलाया गया, इस शो का नाम था- 'ऑन एयर विथ एआईबी (AIB)' और एक टीवी शो के लिए स्क्रिप्ट लिखना निश्चित तौर पर एक मील का पत्थर था। उन्होंने 'कॉमेडी सेंट्रल इंडिया' द्वारा बनाये गए एक शो में 'इंडियाज बेस्ट स्टेंड अप कॉमेडियन' का खिताब भी जीता है। 'यूथ की आवाज़' के ज़ाकिर कहते हैं,

'सिर्फ सफर की शुरूआत ज़रूरी है, रास्ता और मंज़िल खुद-ब-खुद मिल जाती है। लेकिन हर मंज़िल की शुरूआत चलने से होती है। यदि आप जोखिम नहीं उठा सकते, तो किसी काम को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।'

ज़ाकिर खान जैसे हैं वे अपने आप को इकदम वैसा ही दिखाते हैं। बनावटीपन और नकलीपना उन्हें छू तक नहीं गया। खुद पर हंसने और सामाजिक परिदृश्यों को बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी ढंग से बाहर लाने की उनकी क्षमता सामने वाले को एक पल के लिए असहज कर देती है, लेकिन दूसरे ही पल उन्हें और करीब से जानने का अवसर भी देती है। एक अच्छा कॉमेडियन वही है, जो खुद पर चुटकुले बनाकर दुनिया को हंसाने का हुनर जानता हो और ज़ाकिर में ये हुनर कूट-कूट के भरा है।

90 सेकंड में मंच छोड़ कर चले जाने के लिए कहे जाने से लेकर लोगों द्वारा अनेकों अवसर पर उनके सम्मान में खड़े होने तक, इस आदमी ने निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है।


यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुंचना चाहिए...! तो आप हमें लिख भेजें [email protected] पर। साथ ही सकारात्मक, दिलचस्प और प्रेरणात्मक कहानियों के लिए हमसे फेसबुक और ट्विटर पर भी जुड़ें...