Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

NoPo Nanotechnologies: EV बैटरी, सेमीकंडक्टर के लिए कार्बन नैनोट्यूब बनाने वाली भारत की इकलौती कंपनी

बेंगलुरु मुख्यालय वाली कंपनी ने भारत को सिंगल वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब (SWCNTs) के उत्पादन में ग्लोबल लीडर के रूप में अपनी पहचान दिलाई है. इन SWCNTs का इस्तेमाल अंतरिक्ष, रक्षा, जल, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और बायो टेक्नोलॉजी सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है.

NoPo Nanotechnologies: EV बैटरी, सेमीकंडक्टर के लिए कार्बन नैनोट्यूब बनाने वाली भारत की इकलौती कंपनी

Friday September 06, 2024 , 4 min Read

कार्बन नैनोट्यूब (CNT) का उपयोग उन चीजों में किया जाता है जिनमें अन्य पारंपरिक सामग्रियों की तुलना में उच्च शक्ति, विद्युत चालकता, स्थायित्व, हल्के वजन के गुण और तापीय चालकता की आवश्यकता होती है. इंटीग्रेटेड सर्किट (IC), लिथियम बैटरी, फ्यूल सेल, दवा वितरण, सौर पीवी सेल, हाइड्रोजन स्टोरेज और फील्ड एमिशन डिस्प्ले आदि सेक्टर में इन नैनोट्यूब की मांग ज्यादा है. ये नैनोट्यूब विद्युत चुम्बकीय उपकरणों और रेडियो के लिए एंटेना के रूप में कार्य करते हैं. इनका उपयोग कमर्शियल इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए ब्रश में किया जाता है क्योंकि वे ब्रश के प्लास्टिक मैट्रिक्स के माध्यम से फैलने पर तापीय और विद्युत चालकता में सुधार करते हैं.

दुनिया भर के कार्बन नैनोट्यूब बाजार का आकार 2023 में 6.30 अरब डॉलर था और पूर्वानुमान अवधि (2024-2032) के दौरान 13.3% की CAGR (Compound annual growth rate) पर 2024 में 6.88 अरब डॉलर से बढ़कर 2032 में 18.67 अरब डॉलर होने का अनुमान है. 2023 में 38.89% बाजार हिस्सेदारी के साथ एशिया प्रशांत ने कार्बन नैनोट्यूब बाजार पर अपना दबदबा बनाया. ये आंकड़े Fortune Business Insights से जुटाए गए हैं.

भारत में NoPo Nanotechnologies इकलौती ऐसी कंपनी है जो कार्बन नैनोट्यूब बनाती है. साल 2011 में गदाधर रेड्डी (Gadhadar Reddy) और डॉ. केली ब्रैडली (Dr. Kelley Bradley) ने मिलकर इसकी स्थापना की थी. कंपनी ने 2023 में अरुणिमा पटेल (Arunima Patel) और एंटो गॉडविन (Anto Godwin) को बतौर को-फाउंडर पदोन्नत किया था.

बेंगलुरु मुख्यालय वाली कंपनी ने भारत को सिंगल वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब (SWCNTs) के उत्पादन में ग्लोबल लीडर के रूप में अपनी पहचान दिलाई है. इन SWCNTs का इस्तेमाल अंतरिक्ष, रक्षा, जल, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और बायो टेक्नोलॉजी सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है.

bengaluru-based-nopo-nanotechnologies-pioneering-carbon-nanotube-swcnts-innovation-ev-batteries-semiconductors

NoPo के को-फाउंडर और सीईओ गदाधर रेड्डी YourStory से बात करते हुए बताते हैं, “हम सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और EV बैटरी सेक्टर में एडवांस्ड इनोवेशन पर काम करने वाले दुनिया भर के शोधकर्ताओं के साथ काम करते हैं. हम सिंगल वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब और इसके वेरिएंट मुहैया करते हैं जो उनके डिजाइन में चालकता, ताकत और अन्य गुणों को प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं की आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त हैं.”

वे आगे बताते हैं, “कार्बन नैनोट्यूब का इस्तेमाल कई चीजों में होता है. हम कार्बन नैनोट्यूब का उपयोग करके कार्बन युग की शुरुआत करने के जा रहे हैं. हम एक ऐसे भविष्य में दृढ़ता से विश्वास करते हैं जहाँ हमारे जीवन की कई महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी सिंगल वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब का उपयोग करेंगी. उच्च शक्ति वाली सामग्री, सुचालक तार, तेज़ इलेक्ट्रॉनिक्स, लंबे समय तक चलने वाले EV, अधिक कुशल जल फ़िल्टर, कैंसर उपचार, कॉम्पैक्ट एक्स-रे सभी कार्बन नैनोट्यूब के साथ साकार हो रहे हैं.”

कंपनी ने अब तक कुल 5 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है. NoPo ने आखिरी बार, मई, 2024 में अपने प्री-सीरीज़-ए फंडिंग राउंड में 3 मिलियन डॉलर जुटाए थे. इस राउंड का सह-नेतृत्व डीप टेक फंड Axilor’s Micelio Fund, और Inflexor Ventures ने किया.

NoPo के रेवेन्यू मॉडल के बारे में समझाते हुए गदाधर [रेड्डी] बताते हैं, “हम कंपनियों और शोधकर्ताओं से रेवेन्यू हासिल करते हैं जो सिलिकॉन एनोड, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर आदि में उपयोग करने के लिए हमारी सामग्री खरीदते हैं. हमें उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में जब हम EV बैटरी के लिए प्लांट लॉन्च करेंगे, तो हम 1 मिलियन डॉलर के ARR (annualised revenue run rate) तक पहुँच जाएँगे.”

bengaluru-based-nopo-nanotechnologies-pioneering-carbon-nanotube-swcnts-innovation-ev-batteries-semiconductors

NoPo Nanotechnologies की टीम

इस बिजनेस को खड़ा करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इस सवाल के जवाब में फाउंडर और सीईओ गदाधर रेड्डी कहते हैं, “हम जो सामग्री बनाते हैं, उसे नया रूप देना और उसका उत्पादन करना बेहद मुश्किल है. दुनिया भर में इस सामग्री को बनानी वाली गिनी-चुनी कंपनियां हैं और भारत में केवल हम ही ये सामग्री बनाते हैं. इस सामग्री को विकसित करना सबसे बड़ी कठिनाई रही है और इसे बनाने में हमें कई साल लग गए. हमारे पास एक लंबा बिक्री चक्र भी है क्योंकि हमारे ग्राहक इस सामग्री के आधार पर प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जिसमें समय लगता है. हमारे सामने दूसरी चुनौती भारत में इंजीनियरिंग प्रतिभा की उपलब्धता है. अधिकांश इंजीनियर अच्छी सैलरी के कारण सॉफ़्टवेयर चुनते हैं और प्रशिक्षित मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य इंजीनियरों की उपलब्धता न के बराबर हो जाती है.”

अंत में, NoPo को लेकर भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए गदाधर रेड्डी कहते हैं, “दुनिया भर में हमारे कई ग्राहक हैं, मुख्य रूप से जापान, अमेरिका और यूरोप में. हमने हाल ही में EV बैटरी के लिए अपना प्रोडक्ट लॉन्च किया है. हम इस प्रोडक्ट की स्थानीय और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए क्षमता का विस्तार करने के लिए बेंगलुरु में एक नया प्लांट खोलने की सोच रहे हैं.”

यह भी पढ़ें
Asian Paints की नौकरी छोड़कर इस जोड़ी ने खड़ी कर दी 450 करोड़ रु रेवेन्यू वाली कंपनी