दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, रिकॉर्ड समय में हुई तैयार
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में गुजरात में बनने वाली प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसे बनाने वाली कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो ने दावा किया है कि यह सिर्फ 33 महीने के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है।
यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कंपनी ने कहा कि रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया।
देश के स्वतंत्रता आंदोलन के एक सुदृढ़ स्तंभ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अग्रणी नेता वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के रूप में कुशल प्रशासक तथा दक्ष रणनीतिकार की ख्याति अर्जित की। किन्तु उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि 565 देसी रियासतों का भारतीय संघ में विलय मानी जाती है। इसीलिए उन्हें लौहपुरुष का खिताब दिया गया था। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में गुजरात में बनने वाली प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
इसे बनाने वाली कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो ने दावा किया है कि यह सिर्फ 33 महीने के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है। यह चीन में स्थित स्प्रिंग टेंपल की बुद्ध की प्रतिमा (153 मीटर) से भी ऊंची है और न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने कहा कि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा। जबकि इसे सिर्फ 33 महीने के भीतर तैयार कर लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण करेंगे। इस मूर्ति का निर्माण 2,989 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। उसने कहा कि कांसे की परत चढ़ाने के एक आशिंक कार्य को छोड़ कर इसके निर्माण का सारा काम देश में किया गया है।
यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कंपनी ने कहा कि रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया। एलएंडटी के सीईओ एस एन सु्ब्रमण्यन ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘स्टैच्यू आफ यूनिटी जहां राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक है वहीं यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है।”
इस प्रतिमा को देखने के लिए देश और दुनिया के लोग आएंगे। इस वजह से आसपास के परिसर को टूरिस्ट स्पॉट बनाने का भी इंतजाम किया गया है। स्टैचू के नीचे एक म्यूजियम है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी।
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