जीवन से निराश हैं तो इस दृष्टिहीन इंसान की कहानी पढ़िए, उत्साह से भर जाएंगे
एक ऐसे व्यक्ति की कहानी, जिन्हें जन्म के कुछ ही पलों बाद अंधा करार दिया गया था, लेकिन इनकी इस विसंगति ने उनके जीने के जज़्बे को कभी कम नहीं होने दिया। पैसे कमाने के लिए वो अगरबत्ती बनाकर बेचते थे। ऑर्केस्ट्रा में गाना भी गाया ताकि पैसे कमा सकें। इन सबके बावजूद वो देर रात तक पढ़ाई भी करते थे। आईये थोड़ा और करीब से जाने इस शख़्सियत को, जो प्रेरणा हैं उनके लिए जिन्हें आता है ज़िंदगी से लड़ना...
जिंदगी शायद ही किसी के लिये सबकुछ लेकर आती हो। हर व्यक्ति कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे अपनी ज़िंदगी को जीना चाहते हैं। फेसबुक पर ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे ने एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताई जिन्हें जन्म के कुछ ही पलों बाद अंधा करार दिया गया था।
जीवन क्या है? इसके जवाब में अलग-अलग दर्शनशास्त्री कई तरह की परिभाषाएं, अवधारणाएं पेश करते हैं। किसी के लिए जिंदगी एक संघर्ष है, किसी के लिए प्रेम, किसी के लिए बहता पानी। हो न हो, जीवन किसी चक्र के समान होता है, चक्का घूमता रहता है। इंसान कभी बुलंदियों पर आता है, कभी गर्दिशों में। या तो इंसान परिस्थितियों का दास बन जाए या तो इंसान परिस्थियों को अपने हिसाब से चलाने की कला सीख जाए। निसंदेह दूसरा विकल्प ज्यादा बेहतर और ज्यादा प्रयत्नों वाला है। लेकिन असली सूरमा वही तो होते हैं, जो हर विषम स्थितियों को अपने पक्ष में कर लेते हैं।
जिंदगी शायद ही किसी के लिये सबकुछ लेकर आती हो। हर व्यक्ति कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे अपनी ज़िंदगी को जीना चाहते हैं। फेसबुक पर ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे ने एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताई जिन्हें जन्म के कुछ ही पलों बाद अंधा करार दिया गया था। पर उनकी इस विसंगति ने उनके जीने के जज़्बे को कभी कम नहीं होने दिया। आज उनके पास एक समझदार पत्नी और बेहतरीन सहकर्मी हैं, जो बताते हैं कि उनके दोस्त में किसी बात की कोई कमी नहीं है। इनकी कहानी को हजारों लोगों ने शेयर किया है और अब भी यह व्यक्तित्व लोगों के दिलों को छू रहा है।
इस दृष्टिहीन व्यक्ति के मुताबिक, 'जन्म के कुछ ही पलों के बाद डॉक्टरों ने मुझे अंधा घोषित कर दिया था। हम जैसे लोगों के लिये यूपी में कोई खास व्यवस्था नहीं है इसलिये मैं मुंबई चला आया, जब मैं 16 साल का था। पहली सर्जरी फेल हो गई। पर मैंने इसे अपनी किस्मत के रूप में स्वीकार किया। क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं थे मैंने विक्टोरिया मेमोरियल स्कूल फॉर ब्लाइंड्स में पढ़ाई के बाद अगरबत्ती बनाकर बेचना शुरू कर दिया। स्कूल मुझे बहुत पसंद था, क्योंकि मुझे वहां कई दोस्त मिले और मैंने आत्मनिर्भर बनना सीखा। ऑर्केस्ट्रा में गाना तक गाया कि पैसे कमा सकूं। फिर उसके बाद देर रात में पढाई भी करता था। पोस्ट ग्रैजुएशन के लिये मैंने कुछ इस तरीके से मैंने पैसे इकट्ठा किये। और उसके बाद आखिरकार में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी कर रहा हूं।
मुझे मेरी नौकरी बहुत पसंद है। मेरे सहकर्मी बहुत अच्छे हैं । उन्होंने मुझे सिखाया कि कैसे मैं खुद से ही ट्रेन पकड़ सकता हूं। यहां तक कि मैं अपने लिये चावल और दाल भी बना लेता हूं अब तो। जब लगा कि ठीक ठाक पैसे कमाने लगा हूं तो जिससे प्यार करता था, उससे शादी कर ली। मैंने उसे कभी देखा तो नहीं है, पर इतना ज़रूर पता है कि वो बहुत अच्छी है। उसका दिल बहुत अच्छा है। उसने मुझे इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि मुझमें किसी तरह की कोई कमी नहीं है। हमने बहुत बढ़िया ज़िंदगी साथ जी है, और एक बहुत प्यारी बेटी भी है हमारी।
आज 55 साल हो गए हैं, मैंने दुनिया नहीं देखी, रंगों को नहीं देखा। पर फिर भी ज़िंदगी मेरे लिये बेहद खूबसूरत है। आपको जैसी जिंदगी मिली उसे उसी तरह स्वीकार कीजिये प्यार कीजिये, और दुनिया आपके लिये सबसे खूबसूरत हो जाएगी। मुझे मेरे अंधे होने के कारण कोई परेशानी नहीं है, कोई जद्दोजहद नहीं है। यह सब बस इसलिये संभव है क्योंकि मेरे दिल में सबके लिये प्यार भरा है, और वो प्यार मुझे अपने घर और काम की जगह पर सबके लिये दिखता हैं। जब मैं लोगों के डिप्रेशन और बच्चों की सुसाइड की खबरें सुनता हूं, तो लगता है यहीं दिक्कत है। उनकी लाइफ में प्यार की कमी है। यही बदलाव आएगा, और सब बदल जाएगा।'
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