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वो IAS भले न बन पाए, तकनीक के बल पर पूरी दुनिया में 'उदय' किया 'कहीं भी, कभी भी' की अद्भुत सोच

वो IAS भले न बन पाए, तकनीक के बल पर पूरी दुनिया में 'उदय' किया 'कहीं भी, कभी भी' की अद्भुत सोच

Monday January 04, 2016 , 9 min Read

यप टीवी के संस्थापक सीईओ उदय रेड्डी ने दुनिया को नए अंदाज़ में दिखाया लाइव टीवी और और दी कैचअप टीवी की सेवाएं...

नयी सोच और काबिलियत के बल पर अमेरिका में भी बजाया जीत का डंका...

दुनिया-भर में इंटरनेट टीवी को लोकप्रिय बनाने का लिया है संकल्प...

टेक्नोलोजी के सहयोग से देश के गाँवों में पहुँचाना चाहते हैं स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं...

कारोबार के साथ-साथ अब समाज-सेवा पर भी दे रहे हैं ध्यान...


दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वो जो शोहरत के पीछे भागते हैं और दूसरे वो जिनके पीछे शोहरत भागती है। ज़ाहिर तौर पर दूसरे तरह के लोगों का लक्ष्य हमेशा काम रहा है और उसी को कमाने में वो दुनिया कमा जाते हैं। ऐसे लोगों की राहों में जोखिम बहुत है पर लगातार चलते रहने पर ही उन्हें मिलती है एक उम्मीद-भरी राह। ऐसे लोगों ने कठिन राहों की यात्रा में कई बाधाओं के बावजूद गंतव्य से अपनी नज़र नहीं हटायी। यप टीवी के संस्थापक सीईओ उदय रेड्डी का नाम ऐसे ही लोगों की सूची में है, जिन्होंने टेक्नोलॉजी एवं उद्योग की नई राहों पर कामयाबी की झंडे गाडे हैं। वे "टेलीविजन,कहीं भी और कभी भी" को साध्य बनाते हुए इन्टरनेट की पर टी वी चैनलों को मन चाहे समय पर दिखाने को संभव बना रहे हैं।

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तेलंगाना एवं आंध्र-प्रदेश की संयुक्त राजधानी हैदराबाद से 140 किलोमीटर की दूरी पर तीन शहरों की श्रृंखला है, काज़ीपेट, हनमकोंडा एवं वरंगल। उदय रेड्डी का सम्बन्ध इन्हीं में से एक हनमकोंडा के एक किसान परिवार से है। एक छोटे से मध्यम वर्ग के परिवार में पले-बढ़े उदय रेड्डी सिविल सर्विस में अपनी जगह बनाना चाहते थे। कलेक्टरी करते हुए अपने गाँव की तरह ही भारत के गाँवों की तस्वीर बदलना चाहते थे। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में परिवर्तन लाना उनका सपना था। यही सपना लेकर वे देश की राजधानी दिल्ली चले आये थे। दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने का उद्देश्य भी सिविल सर्विस का हिस्सा बनना ही था।

उदय रेड्डी

उदय रेड्डी


योर स्टोरी से बात-चीत के दौरान अपने उस सपने का जिक्र करते हुए उदय बताते हैं, 

गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज हनमकोंडा में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान मैंने सोचा था कि सिविल सर्विस ज्वाइन करूँ। मेरे घर वालों का भी यही सपना था। मैं ग्रामीण लोगों के जीवन की समस्याओं को देख रहा था,उनके लिए कुछ करने का इरादा था, लेकिन दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रानिक्स एवं टेलिकम्युनिकेशन में जब डिग्री पूरी की तो कैम्पस सलेक्शन की प्रक्रिया में ही दुनिया-भर में मशहूर डिजिटल कंपनी सीमेन्स के लिए चुन लिया गया। सोचा था एक साल काम करके फिर सिविल सर्विस में चला जाउँगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उस समय अपनी तरह का अलग काम भारत में शुरू हो गया था, बल्कि भारत में अभी नया बाज़ार खुल रहा था। हालाँकि घर के लोग सिविल सर्विस के बारे में दिमाग़ में बिठा चुके थे, लेकिन सीमेन्स में भारत के कई शहरों में काम करने का मौका मिला और फिर नॉरटेल में नौकरी के बाद टेलिकम्युनिकेशन क्षेत्र का ही होकर रह गया।

उदय के जीवन में ये यह समय काफी उड़ान का समय था। वे नॉरटेल जैसी बड़ी कंपनी के साथ जुड़ गये। विख्यात केलॉग स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट से वित्त में कार्यकारी प्रबंधन का पाठ्यक्रम भी पूरा किया। 1995 के बाद उनके कार्य जीवन में जैसे बहार के दिन थे। वे बताते हैं,' वह क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रारंभिक दौर था। अभी वायरलेस नेटवर्क की शुरुआत ही थी। सिंगापुर,ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया सहित कई देशों में काम करने का मौका मिला। नॉरटल्स के साथ डायरेक्टर सेल्स के रूप में काम किया। सेरेबियन एवं लातीनी अमेरिकी बाज़ारों को जानने का मौका मिला। हर साल अलग देश में अलग काम, अलग अनुभव, नॉरटेल के साथ 11 साल काम किया। उन्नत टेक्नोलोजी का ज्ञान प्राप्त करने का मेरे लिए यह सुनहरा दौर था।अलग-अलग देशों में नौकरी करते समय ही लोगों की ज़रूरतों , उनकी उम्मीदों को भी समझा। अलग-अलग देशों की संस्कृति और रहन-सहन के तौर तरीके जाने '

एक उद्यमशील व्यक्ति को दुनिया की अच्छी से अच्छी, आकर्षक से आकर्षक वेतन वाली नौकरी अधिक दिन तक बाँधे नहीं रख सकती है। उसे अपनी दुनिया बसाने की ललक हमेशा रहती है। उदय के साथ भी ऐसा ही हुआ। 2006 में उन्होंने यप टीवी यूएसए इंक की स्थापना की। यह कंपनी उन्होंने अमेरिका में ही शुरू की। यह विचार उनके लिए तो नया नहीं था, लेकिन अमेरिका में भी अभी यह उद्योग फला-फूला नहीं था। फिर भी कोई भी उद्यम शुरू करना इतना आसान नहीं होता। उसके लिए न केवल पूंजी की आवश्यकता होती है, बल्कि प्रबंधन कौशल और नवोन्मेषी तथा परिपक्व विचारों के साथ सशक्त रूप से खड़े रहना अनिवार्य होता है। वे दिन उदय के लिए काफी संघर्ष भरे रहे। उदय अपनी उस शुरुआत के बारे में बताते हैं, 

अमेरिका में एक भवन के बेसमेंट में मैंने अपना कार्यालय शुरू किया। ब्राडबैंड टेक्नोलोजी का अभी विस्तार नहीं हुआ था। स्मार्ट टीवी और स्मार्ट-फोन भी अभी उतने लोकप्रिय नहीं थे। एक तरह से मेरा उद्यम समय से कुछ पहले शुरू हो गया था। मैंने इसके लिए बाज़ार से पूंजी नहीं ली, बल्कि अपनी ही जमा राशि से अपना उद्यम शुरू किया। मेरे दिमाग़ में था कि लोग ब्राडबैंड इंटरनेट के सहयोग से लाइव टीवी देखें. इतना ही नहीं, "कहीं भी, कभी भी" का दृष्टिकोण भी मेरी सोच में था। मैं सोचता था कि टीवी पर दिखाया जाने वाला कार्यक्रम उस समय फुर्सत न हो तो बाद में क्यों नहीं देखा जा सकता? इसी विचार ने 'लाइव टीवी और कैचअप टीवी सेवाओं' की अवधारणा को जन्म दिया और आज वह साकार रूप में सामने है।
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उदय के लिए इतना सब कुछ आसान नहीं था। दरअसल उनकी यह सोच अपनी मिट्टी और देश से दूर अमेरिका एवं अन्य देशों में रहने वाले लोगों के लिए भारतीय टेलिविजन के मनोरंजन चैनल उपलब्ध कराने की कल्पना से जन्मी थी। उनकी कड़ी मेहनत ने उस सपने को साकार रूप भी दे दिया, लेकिन उद्यमता की यात्रा में कई चुनौती भरे लम्हे उनके सामने खड़े रहे। बताते हैं कि अमेरिका में जब उन्होंने व्यापार की नींव डाली केवल एक ही कंपनी का एकाधिकार था। उन्होंने जिस कंपनी को अपना सहयोगी बनाया था, उस प्रतिस्पर्धा में प्रतिस्पर्धी कंपनी ने बड़ी चालाकी से उसे अपनी ओर कर लिया। वे कहते हैं,'अच्छा हुआ कि उस सहयोगी कंपनी ने हमारे साथ अचानक रिश्ता नहीं तोड़ा। हमें कुछ समय दिया गया। हम जितने ग्राहकों तक पहुँचे थे, उन्हें बनाए रखने के लिए हमें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

उदय ने बताया, 

फिर आगे हैदराबाद में एक कार्यालय में शेरिंग के साथ मैंने अपनी कंपनी का काम शुरू किया। अब तक मैंने अपनी जमा राशि ही खर्च कर दी थी। इस व्यापार में अभी लोगों में उतनी जागरूकता नहीं आयी थी, इसलिए राजस्व की दृष्टि से अधिक सफलता नहीं मिली थी। कुछ समय तक इन्तेज़ार करना पड़ा।2010 में मैंने अपना प्लॉट बेचा, परिवार के अलावा कुछ मित्रों ने भी आर्थिक सहयोग किया। अब चूँकि लोगों में कुछ जागरूकता बढ़ गयी थी, इस लिए व्यापार की संभावनाएँ भी बढ़ीं। फिर काम चल पड़ा।

आज यप टीवी अमेरिका ही नहीं बल्कि भारत सहित कई देशों में 13 भाषाओं के 200 से अधिक टेलीविजन चैनलों की सेवाएँ अपने ग्राहकों तक पहुँचा रहा है। इस तरह यह कई क्षेत्रों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों के बीच समझ भी पैदा कर रहा है।

आज यप टीवी एक सफल उद्यम है। उनकी इस सफलता के पीछे कई राज़ हैं। एक व्यक्ति में बाज़ार की समझ, नयी टेक्नोलोजी की उपयोगिता की क्षमताओं का अंदाज़ा तथा लोगों के बीच काम करने का प्रबंध कौशल, जिसने लोगों तक पहुँचने के मार्ग को सहज एवं सरल बना दिया है। हालाँकि उदय इस सफलता को काफी सहज लेते हैं। वे कहते हैं,'आज इस मकाम पर बहुत अच्छा लगता है,लोग जब मिलते हैं तो यप टीवी की सफलता के बारे में बात करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि मंज़िल अभी आगे हैं। हालाँकि मैं यहाँ तक पहुँचने के लिए काफी कठिन दौर से गुज़रा हूँ। 50 प्रतिशत से अधिक समय अपने परिवार से दूर रहा हुँ। आज भी सफलता हमारे दिमाग़ में नहीं चढ़ी है। आज भी हम स्टार्टअप संस्कृति का ही हिस्सा हैं। मैंने देखा है कि जो लोग तेज़ी से आगे बढ़े हैं, वे उतनी ही तेज़ी से पीछे भी हटे हैं, बल्कि उस दौड़ में पिछड़ने के बाद दौड़ने वालों की सूची में अपना नाम भी शेष नहीं रख पाये हैं। कुछ लम्हे मेरे साथ भी कठिन रहे हैं। एक टीवी चैनल को राज़ी करने के लिए उनके कार्यालय पर 8 बार गया हूँ। एक और को राज़ी करने के लिए एक साल लगा, लेकिन जब रिश्ते बने तो काफी पक्के रहे। हाँ एक दो चैनल जब सूची से हटे तो कुछ चिंता ज़रूर हुई कि कहीं कुछ ग़लत तो नहीं हो रहा है, लेकिन बाद में सब ठीक रहा और वे चैनल वापस यप टीवी के पास आ ही गये।'

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ब्राड बैंड पर टेलीविजन चैनलों की सेवा देने के मामले में उदय रेड्डी की कंपनी प्रथम स्थान पर है। मनोरंजन चैनलों के बाद उन्होंने समचारों की दुनिया में भी कदम रखा है। मीडिया की सामग्री भी वे देने लगे हैं। कई सारी योजनाएँ अभी उनके दिमाग में हैं, जिन पर अमलावरी नहीं हुई है। उदय नई पीढी़ को अपने अनुभवों से बताना चाहते हैं कि अपने हक्ष्य पर सीधी नज़र न रखने के कारण सफलता दूर भाग सकती है। कुछ नया करने की सोच के साथ नया क्या है, इसके बारे में पूरी स्पष्टता दिमाग़ में होनी चाहिए। आज अपना उद्यम दुनिया भर में फैलाने के लिए अमेरिका जाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि भारत में रहकर भी वैश्विक हुआ जा सकता है।

इस सफलता की यात्रा में वे सपने क्या हुए जो उदय रेड्डी ने बचपन में देखे थे कि आई ए एस बन कर लोगों की समस्याओं को सुलझाएँगे? उदय रेड्डी इस प्रश्न के उत्तर में कहते हैं कि आज भी वे इस सपने के लिए काम कर रहे हैं। अपनी सीएसआर गतिविधियों के अंतर्गत उन्होंने एक गाँव में काम शुरू किया है। यहाँ वे टेलिमेडिसिन द्वारा छोटी छोटी बीमारियों के इलाज की सुविधा तथा शिक्षा को सरल बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह उनके लिए नमूना होगा, जिसको वे देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में ले जाना चाहेंगे।