एक दिन का इंस्पेक्टर बना कैंसर पीड़ित अर्पित मंडल
मुंबई पुलिस ने सात साल के अर्पित मंडल को बनाया एक दिन का इंस्पेक्टर...
सात साल का है मुंबई का कैंसर पीड़ित बच्चा अर्पित मंडल। उसने सपना देखा कि कभी बड़ा होकर वह भी पुलिस ऑफिसर बनेगा। यह सपना साझा करते हुए मुंबई पुलिस ने एक दिन के लिए अर्पित को इंस्पेक्टर की कुर्सी पर बैठा दिया, उसको सैल्यूट मारा और ट्विटर पर उसकी तस्वीरें भी शेयर कीं।
कैंसर की महामारी ने जबकि पूरी दुनिया को हैरान-परेशान कर रखा है, ऐसे में जब कैंसर पीड़ित सात वर्षीय अर्पित मंडल को मुंबई पुलिस एक दिन के लिए पुलिस इंस्पेक्टर बना देती है, उसकी बची-खुची जिंदगी में खुशियों के हजार पंख लग जाते हैं। मुंबई पुलिस की सोशल मीडिया टीम ने सात साल के 'इंस्पेक्टर मंडल' की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की है। तस्वीरों में अर्पित खुशी से कुर्सी पर बैठा है और पुलिस उसे केक खिला रही है।
कहीं कैंसर से जंग जीतने के लिए लखनऊ के लोग हाफ मैराथन दौड़ लगा रहे हैं तो कहीं कैंसर के इलाज में सुपरहीरो मास्क से मदद ली जा रही है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अभी दो दिन पूर्व कैंसर और हदय रोग की दवाएं मुफ्त बांटने का प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है। हरियाणा के एक गांव में तो हर पांचवां घर कैंसर से पीड़ित है और महाराष्ट्र सरकार की सूचना के मुताबिक राज्य में 2.6 लाख लोगों में कैंसर के लक्षण पाये गए हैं। कैंसर की महामारी ने जबकि पूरी दुनिया को हैरान-परेशान कर रखा है, ऐसे में जब कैंसर पीड़ित सात वर्षीय अर्पित मंडल को मुंबई पुलिस एक दिन के लिए पुलिस इंस्पेक्टर बना देती है, उसकी बची-खुची जिंदगी में खुशियों के हजार पंख लग जाते हैं। मुंबई पुलिस की सोशल मीडिया टीम ने सात साल के 'इंस्पेक्टर मंडल' की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की है। तस्वीरों में अर्पित खुशी से कुर्सी पर बैठा है और पुलिस उसे केक खिला रही है।
ट्वीट में लिखा गया है कि अगर मुंबई पुलिस के बस में होता तो वह अर्पित की सारी ख्वाहिशें पूरी कर देती। ट्विटर पर लोग मुंबई पुलिस के इस सुखद कारनामे की जमकर तारीफ कर रहे हैं। तस्वीरों में मुंबई पुलिस के ऑफिसर अर्पित को सैल्यूट मारते भी नजर आ रहे हैं। मुंबई पुलिस ट्विट कर बताती है कि मुलुंड पुलिस स्टेशन ने अर्पित मंडल को एक दिन का पुलिस इंस्पेक्टर बनाया है, जो कैंसर से लड़ रहा है। नन्हे अर्पित मंडल को कैंसर से डर नहीं लगता है। वह पुलिस स्टेशन इंचार्ज बनने का हकदार है।
'मेक अ विश फाउंडेशन' की पहलकदमी पर मुंबई पुलिस ने इतना प्रशंसनीय सामाजिक सरोकार निभाया है। मुलुंड पुलिस स्टेशन की तरह ही तीन साल पहले पांच वर्ष के एक बच्चे को भोइवाड़ा पुलिस स्टेशन ने एक दिन का पुलिस ऑफिसर बनाया था। उसे ब्लड कैंसर था। इसी तरह पिछले साल अक्टूबर में भी साकीनाका पुलिस स्टेशन ने एक शिकायतकर्ता के जन्मदिन पर सरप्राइज पार्टी दी थी। कैंसर पीड़ित बच्चों के मामले में मुंबई महानगर की जागरूरकता निश्चित ही हमारे पूरे देश के लिए एक सुखद सीख हो सकती है। पुलिस के अलावा भी यहां समय-समय पर कैंसर पीड़ित बच्चों को लेकर अन्य सामाजिक गतिविधियां चलती रहती हैं। मुंबई में फैशन और बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियां भी कैंसर पीड़ित बच्चों के साथ रैंप पर उतर चुकी हैं।
अभिनेत्री सोनल चौहान, मधुरिमा तुली, सोनाली राउत, सागारीका छेत्री, केन फेर्न्स, एकता जैन, रेनी ध्यानी आदि इस उद्देश्य से रैंप पर उतरीं कि उस शो के ज़रिए पीड़ित बच्चों की मदद हो सके। इन मॉडल्स के लिए डिज़ाइनर संजय और सुजाता ने सुन्दर कपड़े तैयार किए थे। मुंबई में 'एक्सेस लाइफ' संस्था की सहायता के लिए उस फैशन का आयोजन किया गया। 'एक्सेस लाइफ' संस्था कैंसर से पीड़ित बच्चों के इलाज में सहयोग के साथ ही उनके रहने और भोजन आदि में मदद करती है।
कैंसर पीड़ित अर्पित मंडल का सपना है कि वह बड़ा होकर पुलिस ऑफिसर बने। उसके इस तरह के सपने की बात की जब मुंबई पुलिस को जानकारी मिली, वह स्वयं इस दिशा में पहल करती हुई सामने आ गई। स्वयं पुलिस की ओर से अर्पित को एक दिन के लिए पुलिस ऑफिसर बनने काऑफर दिया गया। इसके बाद मुंबई पुलिस की ओर से उसे खाकी वर्दी पहनाकर कुर्सी पर बैठाया गया। कुर्सी संभालने के बाद पुलिस अधिकारियों और कर्मियों ने अर्पित के साथ खूब एन्जॉय किया। दिखाया गया कि वह किस तरह पुलिस के विजिटर रजिस्टर की जांच कर रहा है। उसमें अर्पित के स्वयं के व्यूज भी लिखे गए। इसके बाद अर्पित ने पुलिस स्टेशन पहुंचे फरियादियों से मिलकर उनकी समस्या भी सुनीं। इस दौरान अर्पित के माता-पिता भी पुलिस स्टेशन में मौजूद रहे। पुलिस स्टेशन के कर्मचारियों ने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई और ऑटोग्राफ लिया।
हमारे देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में बड़ी संख्या में कैंसर पीड़ित बच्चे जिंदगी और मौत की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 10 लाख से ज्यादा कैंसर के नए मामले सामने आते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों की भी गिनती शामिल है। हर साल देश में लगभग ढाई हजार बच्चे ब्रेन ट्यूमर के शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में बच्चे मस्तिष्क मेरु-द्रव्य (सीएसएफ) के जरिए फैलने वाले एक घातक मस्तिष्क ट्यूमर से भी पीड़ित हो रहे हैं। भारत में हर साल 40-50 लोगों में मस्तिष्क कैंसर का मूल्यांकन किया जाता है, जिनमें से 20 प्रतिशत तो सिर्फ बच्चे होते हैं। दुनिया में कितनी बड़ी संख्या में बच्चे तरह तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी के लिए यह आकड़ा पर्याप्त होगा कि पांच करोड़ से ज्यादा बच्चे हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं, जिनमें 21 लाख बच्चे एचआईवी-एड्स से पीड़ित पाए गए हैं।
इसके साथ ही कैंसर पीड़ित बच्चों की हिफाजत में भी तमाम लोग खुले दिल से हाथ बंटा रहे हैं। रियो ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाले पोलैंड के चक्का फेंक खिलाड़ी पिओत्र मालाचोवस्की ने तो तीन साल के एक कैंसर पीड़ित बच्चे के इलाज के लिए अपना पदक ही नीलाम कर दिया था। हमारे देश में हर रोज कम से कम पचास कैंसर पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है। विकसित देशों में तो कैंसर से पीड़ित लगभग 85 फीसदी बच्चों का समुचित इलाज हो जाता है, जबकि हमारे देश में मेडिकल डाटा की कमी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।
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