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गूगल के डूडल से याद आए कवि अब्दुल कावी देसनवी

गूगल के डूडल से याद आए कवि अब्दुल कावी देसनवी

Saturday November 04, 2017 , 3 min Read

अब्दुल कावी देसनवी का जन्म 1930 को देसना गाँव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम सय्यद मोहम्मद सईद रजा था, जिनकी पीढ़ी पैगम्बर मुहम्मद की इतिहासकार भी मानी जाती है। 

अब्दुल देसनवी

अब्दुल देसनवी


 उनकी प्रारंभिक शिक्षा आरा गाँव में हुई। वह मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से आगे की पढाई पूरी कर 1961 में सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कालेज में उर्दू विभाग में शामिल हुए। 

भोपाल में कई शायर और लेखको ने निर्देशन में पढ़ाई की। कई एक ने शोध रिसर्च किए। उनको खासकर रिसर्च के लिए ही याद किया जाता है। उन्होंने ही ग़ालिब से भोपाल का रिश्ता बताया था।

गूगल भी ऐसे कवि का डूडल क्यों न बनाए, जिनकी सुयोग्या दीक्षा ने देश को जावेद अख्तर, मुजफ्फर हनफी, इकबाल मसूद जैसे शायर दिए। उर्दू के उस महान कवि-लेखक का नाम है, अब्दुल कावि। गूगल उनका 87वां जन्मदिन मना रहा है। वह अपने तीनो इन नामवर शिष्यों के मेंटर रहे हैं। देसनवी की मुहम्मद इकबाल, मिर्जा गालिब और अब्दुल कलाम आजाद पर लिखी बिबिलोग्राफी काफी प्रसिद्ध हैं। वह बिहार के नालंदा जिला के देसना में 1930 में पैदा हुए थे। वह भोपाल के सेफिया कॉलेज में उर्दू विभाग के प्रभारी रहे। अपने करियर के 50 वर्षों में उन्होंने हजारों कविताओं के साथ कई किताबें लिखीं। उनको उर्दू साहित्य के विकास का क्रेडिट जाता है। रिटायर होने के बाद भी कावि मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, ऑल इंडिया अंजुमन तरक्की उर्दू बोर्ड और बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी में प्रमुख पदों पर रहे। वर्ष 2011 में 81 की उम्र में भोपाल में उनकी मृत्यु हो गई थी।

अब्दुल कावी देसनवी का जन्म 1930 को देसना गाँव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम सय्यद मोहम्मद सईद रजा था, जिनकी पीढ़ी पैगम्बर मुहम्मद की इतिहासकार भी मानी जाती है। उनके दो भाई हैं बड़े भाई सय्यद मोही रज़ा और छोटे भाई अब्दुल वली देसनवी। मुख्यतः उनके अबुल कलाम आज़ाद, मिर्ज़ा ग़ालिब और अल्लामा इकबाल पर की गयी रिसर्च के लिए जाना जाता है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा आरा गाँव में हुई। वह मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से आगे की पढाई पूरी कर 1961 में सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कालेज में उर्दू विभाग में शामिल हुए। बाद में वह उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोन्नत हो गए।

सन 1990 में उर्दू विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद भी कई पदों पर कार्यरत रहे- जैसे, सेक्रेटरी , मध्यप्रदेश उर्दू अकेडमी, भोपाल, मनोनीत सदस्य, मजलिस-ए-आम अंजुमन तरक्की उर्दू ( हिंदी ) नई दिल्ली, सदस्य, प्रोग्राम एडवाइजरी कमिटी, आल इंडिया रेडियो, भोपाल, सदस्य, एग्जीक्यूटिव काउंसिल, बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ़ स्टडीज, उर्दू, पर्सियन, अरबी, बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल, कला संकाय के डीन, बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल, सदस्य, कार्यकारिणी समिति, ताज-उल-मस्जिद, भोपाल।

जावेद अख्तर, मुजफ्फर हनफी, इकबाल मसूद के अलावा भी अनेकशः उर्दू विद्वान उनसे दीक्षित हुए। भोपाल में कई शायर और लेखको ने निर्देशन में पढ़ाई की। कई एक ने शोध रिसर्च किए। उनको खासकर रिसर्च के लिए ही याद किया जाता है। उन्होंने ही ग़ालिब से भोपाल का रिश्ता बताया था। 

Qavi Desnavi

Qavi Desnavi


उनके रिसर्च के कुछ उल्लेखनीय विषय रहे -अल्लामा इकबाल भोपाल में, भोपाल और ग़ालिब, नुस्खा-ए-भोपाल और नुस्खा-ए-भोपाल सानी, मोतला -ए-खुतूत-ए-ग़ालिब, इकबाल उन्नीसवी सदी में, इकबाल और दिल्ली, इकबाल और दारुल इकबाल भोपाल, इक्बालियत की तलाश, मक्तबा, जामिया, इक्बालियत की तलाश, अबुल कलाम आज़ाद उर्दू, मौलाना अबुल कलाम मोहिउद्दीन अहमद आज़ाद देहलवी, तलाश-ए-आज़ाद, हयात अबुल कलाम आज़ाद आदि। दुख है कि इतने बड़े विद्वान को हिंदी-उर्दू जगत में उस तरह याद नहीं किया जाता है, जिस तरह कि गूगल ने एक डूडल बनाकर याद किया है। 

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