ग़ालिब कभी, या फैज़ कभी मैं मीर लिख देता..
"बना के मुल्क को मौज़ू कोई तहरीर लिख देता..
जैसे अभी हालात हैं,अवाम-ए-मुल्क की...
सियासत को अपने लफ्ज़ में शमशीर लिख देता..
एक लफ्ज़ में गर दर्द की करनी हो वज़ाहत..
रंज-ओ-अलम को छोड़ मैं कश्मीर लिख देता।"
(तहरीर- article, शमशीर- sword ,रंज-ओ-अलम - sorrow , वज़ाहत- explain , सियासत-politics)
नई कलम के लिए, बैंगलोर से फैज़ अकरम...