कैसे करें सही को-फाउंडर का चुनाव, ताकि हो आपके बिजनेस का विस्तार
किसी भी बिजनेस को खड़ा करने में सबसे महत्वपूर्ण होता है को-फाउंडर का चुनाव...
जल्दबाजी में न करें अपने को-फाउंडर का चुनाव...
अपने को-फाउंडर से रखें ओपन रिलेशनशिप...
अपने स्वभाव व विचारों से मिलता जुलता हो आपके को-फाउंडर का स्वभाव...
किसी भी इंसान की जिंदगी में अच्छे पार्टनर का चुनाव बहुत मायने रखता है। चाहे बात लाइफ पार्टनर की हो, अच्छे दोस्त की हो या फिर बिजनेस पार्टनर की हो। एक अच्छे पार्टनर का चुनाव जिंदगी की हर राह को आसान बना देता है। अगर बात नई कंपनी की शुरुआत की हो तो ऐसे समय में एक अच्छा और वफादार बिजनेस पार्टनर यानी को-फाउंडर आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। प्रसिद्ध उद्यमी पॉल ग्राहम किसी स्टार्टअप को अच्छे से चलाने के लिए एक अच्छे को-फाउंडर का चुनाव सबसे अहम मानते हैं। वे कहते हैं कि अगर आपके साथ एक अच्छा को-फाउंडर नहीं है तो सब काम छोड़ कर पहले एक अच्छे को-फाउंडर की तलाश में लग जाइए। क्योंकि उससे जरूरी कुछ नहीं है। एक ऐसा को-फाउंडर जो आपके आइडिया को पंख लगा दे और आपके बिजनेस को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो।
इसलिए सही पार्टनर के चयन में किसी प्रकार का भी समझौता न करें। एक स्टार्टअप में आपको एक अच्छे को-फाउंडर की जरूरत पड़ती है क्योंकि उस समय आप सारे काम अकेले नहीं कर पाते। आपके पास समय की भी कमी होती है और साथ ही बहुत सारे ऐसे काम भी होते हैं जिनके लिए सलाह-मशविरा बहुत जरूरी है। उस दौरान आपको काम के विस्तार के लिए जानपहचान का दायरा बढ़ाना पड़ता है। कई अलग-अलग डिपार्टमेंट जैसे मार्किटिंग, सेल्स, डिज़ाइनिंग, कोडिंग आदि कामों से जुड़े लोगों से बात करनी होती है। तथा उन्हें अपने साथ काम करने के लिए तैयार करना होता है। इसके अलावा दैनिक कामों के लिए भी को-फाउंडर की जरूरत पड़ती है। अब सवाल यह उठता है कि एक अच्छे को-फाउंडर का चयन किस प्रकार किया जाए। क्योंकि यह जरूरी नहीं कि आपके मित्र आपके काम में दिलचस्पी लें और आपके साथ को-फाउंडर बनने में रुचि लें। ऐसे में अपने लिए एक अच्छे को-फाउंडर का चुनाव कैसे किया जाए? इस सवाल का जवाब तलाशना बहुत मुश्किल है क्योंकि आप किसी को भी अपने साथ काम करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।
यहां हम कुछ विशेषताओं का जिक्र कर रहे हैं जो एक अच्छे को-फाउंडर में होनी चाहिए।
- उसका नज़रिया व चीज़ों को समझने की समझ आपसे मिलती हो तभी वह दिलचस्पी के साथ उस समस्या को समझेगा और उसे दूर करने के लिए साथ मिलकर प्रयास करेगा।
- आपका और आपके को-फाउंडर का आर्थिक स्तर और मानसिक स्तर का मेल होना भी बहुत जरूरी है। इससे इंसान की सोच व व्यवहार एक समान रहता है।
- आपके को-फाउंडर की समझ ऐसी होनी चाहिए कि वह आपके लक्ष्य को भी गहराई से समझता हो और आपके साथ मिलकर उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिल से प्रयास करे।
- कोई जरूरी नहीं कि आपका को-फाउंडर ऑल राउंडर हो लेकिन हां उसके अंदर सीखने की लगन होनी चाहिए ताकि जरूरत पडऩे पर कोई नई चीज़ सीखनी हो तो वह दिलचस्पी दिखाए।
देखा गया गया है कई बार लोग फेस बुक पर अपना को-फाउंडर तलाशने लगते हैं। ऐसे में कई नॉन सीरियस लोग भी वहां अपने कंमेंट लिख देते हैं। जो कि ठीक नहीं, जब आप ही अपने काम को लेकर गंभीर नहीं होंगे तो लोग भी आपके काम को गंभीरता से नहीं लेंगे। ऐसे में जरूरी है कि आप दूसरों के सामने खुद को गंभीरता से पेश करें। आप उन्हें बताएं कि इस काम से पहले आप क्या करते थे, आपने क्यों नए काम के विषय में सोचा और अब इस काम के माध्यम से आप अपना कौन सा लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं। अगर आप इस प्रकार खुद को प्रस्तुत करेंगे तो लोग भी आपको गंभीरता से लेंगे।
अपने विज़न को लोगों के सामने गंभीरता और मजबूती से रखें। आप लोगों को यह यकीन दिलाएं कि आपका प्रोडक्ट तो भविष्य में समय के साथ बदल सकता है लेकिन आपका विज़न स्थिर रहेगा और किसी भी परिस्थिति में वह डगमगाएगा नहीं। यकीन मानिए अगर आप एक बार अपनी एक विस्तारपूर्वक कहानी लोगों के सामने प्रस्तुत करेंगे तो आपको आपके जैसे लोग मिल ही जाएंगे। ऐसा करने के बाद जब लोग आपसे संपर्क साधें तो सबसे पहले आप उस व्यक्ति के बारे में विस्तार से जानें। यह जानें कि उसकी जिंदगी का उद्देश्य क्या है और आपके साथ स्टार्टअप में वह क्यों जुडऩा चाहता है। पहली बात तो यही है कि आप उसके बारे में जानें यदि इस पहले बिंदु पर आप संतुष्ट हैं तो फिर उसके आगे की बातें जैसे कंपनी की नियम व शर्तें क्या हैं? निवेश क्या और कैसा रहेगा? काम की जिम्मेदारी किस प्रकार बांटी जाएगी। पोस्ट व रैंक का बंटवारा किस प्रकार रहेगा? यदि आपको इस दौरान कहीं भी ऐसा लगे कि उसके अंदर ज्यादा धन कमाने और पद की लालसा है तो उसी समय तुरंत पीछे हट जाइए क्योंकि देर सवेर वह आपको नुक्सान ही देगा। यदि संभव हो तो अपने विश्वास पात्र लोगों को सलाहकार के रूप में अपने साथ जरूर रखें।
अपने उद्देश्य को सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाए। इस समय सोशल मीडिया पर कई स्टार्टअप ग्रुप्स हैं और कई स्टार्टअप इवेंट्स आजकल आयोजित होते रहते हैं आप इस प्रकार के इवेंट्स में जाएं और वहां लोगों के अनुभवों को जानें, उनके अनुभवों का लाभ लें। उन्हें अपने विषय में बताएं। उनके विजिटिंग कार्ड्स एकत्र करें। सबसे मेलजोल बनाएं। ऐसा करने से आप अपने मक्सद में काफी हद तक कामयाब हो सकते हैं। जल्दबाजी में कोई काम न करें क्योंकि कई बार कुछ चीज़ें दूर से दिखाई देने पर जितनी सुंदर लगती हैं असल में उतनी होती नहीं हैं। और समय आने पर आपको उनसे नुक्सान होता है इसलिए खुद को संयमित रखकर काम करें। अपने को-फाउंडर के साथ एक ओपन रिलेशनशिप रखें जिसमें बंधने के लिए वे बाध्य न हों। जब भी किसी को ऐसा महसूस हो रहा है कि वह मजबूरी में काम कर रहा है तो खुले मन से खुशी-खुशी अलग हो जाएं।
मूल आलेख (अंग्रेजी में)- प्रदीप गोयल