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एजुकेशन लोन लेने से पहले रहें सतर्क

अच्छी नौकरी और हाइ प्रोफाईल लाइफस्टाइल की चाह युवाओं को विदेश में पढ़ाई करने के लिए हमेशा से प्रेरित करती रही है, लेकिन हर किसी की फाइनेंशियल कंडीशन ऐसी नहीं होती कि वे बाहर जाकर आसानी से पढ़ाई कर सकें, ऐसे में ज़रूरत पड़ती है एजुकेशन लोन की। आईये जानें एजुकेशन लोन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

एजुकेशन लोन लेने से पहले रहें सतर्क

Tuesday March 28, 2017 , 4 min Read

"आमतौर पर एजुकेशन लोन की रकम बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में बैंक से कर्ज़ लेते समय कुछ सावधानी बरतनी ज़रूरी है। लोन लेते वक्त किन बातों का ध्यान रखा जाये, किन बातों का नहीं ये बेहद ही मुश्किल है, लेकिन योर स्टोरी दे रहा है आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां, जिनके बारे में जान कर एजुकेशन लोन के बाद आप खुद को ठगा हुआ नहीं पायेंगे।"

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फोटो: Shutterstocka12bc34de56fgmedium"/>

पड़ोस वाले मल्होत्रा अंकल का बेटा अविनाश जब एमबीए करने के लिए इग्लैंड गया, तो शर्मा जी की बेटी सिमी का भी दिल किया कि वो भी अपने रेज़्युमे में किसी विदेशी कॉलेज की डिग्री लगा ले, लेकिन शर्मा जी के पास इतने पैसे नहीं थे, कि सिमी भी लंदन या अमेरिका जाकर पढ़ाई कर पाये। पापा ने सिमी को सुझाया कि बैंगलोर से एमबीए कर लो। सिमी कहां मानने वाली थी। उसने सोचा, क्यों न एजुकेशन लोन लेकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की जाये। लेकिन लोन लेने से पहले उसने लोन की बारीकियां नहीं समझीं और जब एमबीए करके इंडिया लौटी तो खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगी। उसे लगा बैंक वालों ने एजुकेशन लोन के नाम पर उसे पूरी तरह से बेवकूफ बनाया है और ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि उसने लोन लेने से पहले उन पहलुओं पर ध्यान ही नहीं दिया, जो योरस्टोरी टीम आपको बताने जा रही है।

सावधानी से चुनें अपना बैंक

सबसे पहले ये पता लगायें, कि जिस यूनिवर्सिटी में आप एडमिशन लेना चाहते हैं, उसकी वास्तविक फीस कितनी है? कई यूनिवर्सिटीज़ स्कॉलरशिप भी देती हैं, जिसके लिए सीधे इंस्टीट्यूट से संपर्क किया जा सकता है। कभी बिचौलियों के ज़रिये एडमिशन न लें और सबसे महत्वपूर्ण बात, लोन लेने से पहले ये ज़रूरी पता कर लें कि जिस बैंक से लोन लिया जा रहा है, वो संबंधित देश की एंबेसी द्वारा लिस्टेड है या नहीं। यदि बैंक लिस्टेड नहीं होगा, तो वीज़ा रद्द हो सकता है। कोशिश यही हो कि भारतीय रिंज़र्व बैंक के अंतर्गत आने वाले पब्लिक सेक्टर बैंक्स से ही लोन लें। साथ ही एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे बड़े निजी बैंकों से भी लोन लिया जा सकता है।

लोन की राशि और दरों का रखें ध्यान

छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है,लेकिन लोन देते समय बैंक अपनी संतुष्टी के लिए छात्र की योग्यता, कोर्स, भविष्य में उसके कैरियर ग्रोथ, नौकरी की संभावनाओं और सह आवेदक की संपत्ति की भी जांच करता है।

बैंक दो तरह से लोन देता है, एक फिक्स्ड रेट और दूसरा फ्लोटिंग। फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने पर इंटरेस्ट रेट घटने पर लोन लेने वाले को फायदा होगा और बढ़ने पर घाटा। वहीं दूसरी तरफ फिक्स्ड रेट पर कर्ज़ लेने पर इंटरेस्ट रेट कम हो ज़्यादा कर्ज़ उसी दर पर भरना पड़ता है, जो लोन लेते समय तय हुआ था।

कौन हो सह आवेदक और गारंटर

एजुकेशन लोन देने से पहले बैंक सह आवेदक और गारंटर पूछता है, जिसके लिए छात्र को लोन देने से पहल माता-पिता या किसी दूसरे रिश्तेदार को सह आवेदक बनाया जाता है। इसकी मदद से बैंक भुगतान के लिए उन्हें उत्तरदायी बनाता है। साथ ही एक गारंटर की भी आवश्यकता होती है। लोन देते समय बैंक सह आवेदक की संपत्ति और गारंटर की जांच-पड़ताल करता है।

लोन की समय सीमा का रखें ख्याल

जब स्टूडेंट विश्वविद्यालय में प्रवेश की प्रक्रिया पास कर लेता है, तो कॉलेज की एक समय सीमा होती है जिसके भीतर-भीतर ही कॉलेज में प्रवेश लेना होता है। सभी बैंक्स ने अपनी अलग-अलग सीमा निर्धारित कर रखी है। सभी बैंक्स के अपने-अपने नियम हैं। ऐसे में बैंक के नियमों के बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए, ताकि यह अच्छे से मालूम हो कि कौन-सा बैंक तय सीमा में लोन की प्रक्रिया पूरी कर सकेगा। ऐसा इसलिए भी करना आवश्यक है, क्योंकि एडमिशन हमेशा यहीं आकर रुक जाते हैं, क्योंकि छात्र पहले से इस ओर ध्यान ही नहीं देते और बाद में इन सबकी छान-बीन करने में अच्छा-खासा समय चला जाता है।

लोन चुकाने की प्लानिंग्स

आपके पास लोन चुकाने के लिए कितना समय है, इसका आंकलन ज़रूर कर लेना चाहिए। अमेरिका और इंग्लैंड में छात्रों को आमतौर पर एजुकेशन लोन 20 से 30 साल के भीतर चुकाना होता है। लेकिन भारत में ये समय सीमा कम है। समय सीमा जितनी अधिक होगी छात्रों के लिए उतना अच्छा रहेगा। यदि संभव हो तो पढ़ाई के दौरान ही कोई पार्ट टाइम नौकरी करके लोन की रकम इकट्ठी की जा सकती है, ऐसा करने से आने वाले सालों में अच्छी खासी मदद मिलती है। हालांकि पढ़ाई का बर्डन इतना ज्यादा होता है, कि पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।