भारत की सड़को ंपर जल्द दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बस, दिल्ली से होगी शुरुआत
इलेक्ट्रिक बसें पर्यावरण के लिए बहुत बेहतर हैं और इनकी मेंटिनेंस का खर्चा भी बहुत कम है। ये बसें जरूर कुछ महंगी हैं, लेकिन इन्हें चलाने का खर्चा काफी कम आता है।
इलेक्ट्रिक बस को पिछले साल ट्रायल के तौर पर चलाया गया था और यह काफी सफल रहा था। अब दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक बसों को भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में शामिल करना चाहती है और इसके लिए तैयारियां शुरू की जा रही हैं।
दिल्ली सरकार कम से कम एक हजार मिनी बसें चलाना चाहती है। दिल्ली में ऐसी काफी जगह हैं, जहां पर बड़ी बसों को जाने में मुश्किल होती है।
बदलते वक्त में पर्यावरण प्रदूषण और ऊर्जा के सीमित संसाधनों को देखते हुए वैकल्पिक और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही है। इसी क्रम में केंद्रीय परिवहन एवं सड़क मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने को लेकर गंभीर है। उन्होंने बताया कि बस, टैक्सी और ऑटोरिक्शा के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा इस साल के अंत तक सड़कों पर होगा। उन्होंने कहा कि ऑटो इंडस्ट्री भी इसे लेकर काफी संजीदा है। गडकरी ने कहा कि मैं पेट्रोल, डीजल को रोकना चाहता हूं और बिजली पर आधारित परिवहन को लेकर प्रतिबद्ध हूं। मेरा मिशन, मेरा सपना है कि सार्वजनिक परिवहन बिजली पर चले।
अभी हाल ही में दो हजार नई बसों को लाए जाने के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों की योजना पर भी काम करना शुरू कर दिया है। दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने बताया कि दिल्ली इंटीग्रेटिड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्ट्स) की ओर से इलेक्ट्रिक बसों को लेकर अगले हफ्ते पहला प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद सरकार तय करेगी कि शुरुआत में कितनी इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएं। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक बसें पर्यावरण के लिए बहुत बेहतर हैं और इनकी मेंटिनेंस का खर्चा भी बहुत कम है। ये बसें जरूर कुछ महंगी हैं, लेकिन इन्हें चलाने का खर्चा काफी कम आता है।
इलेक्ट्रिक बस को पिछले साल ट्रायल के तौर पर चलाया गया था और यह काफी सफल रहा था। अब सरकार इलेक्ट्रिक बसों को भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में शामिल करना चाहती है और इसके लिए तैयारियां शुरू की जा रही हैं। दिल्ली सरकार ने पिछले साल 10 मार्च को एक इलेक्ट्रिक बस को ट्रायल के तौर पर दिल्ली सचिवालय से केंद्रीय टर्मिनल तक चलाया था और छह महीने तक ट्रायल चला था। सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया था कि इन बसों को चलाने का खर्चा कम था और मेंटिनेंस भी आसान है। वहीं दिल्ली सरकार के बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक नॉर्थ-साउथ
कॉरिडोर के लिए हाई स्पीड बस सर्विस का प्रपोजल भी तैयार करने का फैसला किया है। यह कॉरिडोर बनाए जाने के बाद यहां पर हाई स्पीड बसें चलेंगी और यहां पर चलने वाली सभी इलेक्ट्रिक बसें होंगी और मेन पॉइंट्स को चुना जाएगा, जहां से लोग आसानी से इन बसों का प्रयोग कर सकेंगे। ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने बताया कि दिल्ली सरकार कम से कम एक हजार मिनी बसें चलाना चाहती है। दिल्ली में ऐसी काफी जगह हैं, जहां पर बड़ी बसों को जाने में मुश्किल होती है। सरकार के पास जल्द ही स्टडी रिपोर्ट आ जाएगी, जिसमें बताया जाएगा कि मिनी बसों को कहां-कहां पर चलाया जा सकता है। उसके बाद सरकार मिनी बसों का प्रपोजल कैबिनेट की मीटिंग में लाएगी। उनका कहना है कि दिल्ली में टोटल 11 हजार बसों की जरूरत है और डीटीसी व क्लस्टर स्कीम की बसों को मिलाकर 5500 से ज्यादा बसें चल रही हैं। अब दो हजार नई बसों का लाने का फैसला हुआ है और मिनी बसों को भी लाया जाएगा।
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