अपनी जेब से 7 लाख रुपए खर्च कर गरीब बच्चों को ट्यूशन दे रहा है गुजरात का ये शिक्षक
बच्चों की मदद करने के लिए बलदेव ने कुछ समय के लिए ब्लैकबोर्ड से हटकर कुछ अलग करने की सोची। नतीजा निकला और उन्होंने वेबकैम लिया और खुद की वेबसाइट व यूट्यूब चैनल लॉन्च कर दिया।
बलदेव गुजरात के जूनागढ़ जिले में कक्षा 9 और 10 के छात्रों को गणित और विज्ञान पढ़ाते हैं। ये दो ऐसे विषय हैं जिनका हमारे जीवन पर खासा प्रभाव रहा है। हम सभी अपने जीवन में इन विषयों के महत्व के बारे में जानते हैं।
शिक्षा को लेकर अपने देश में भले की कितने प्रयास किए जाते रहे हों लेकिन काफी बच्चे अभी भी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। चाहें वह शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, हजारों बच्चे इस मूल अधिकार से वंचित हैं। हालांकि संसाधनो के आभावों के बीच कुछ शिक्षकों ने मिसालें पेश की हैं। पिछले दिनों कई ऐसी खबरें आईं कि किसी शिक्षक के गांव से जाने पर बच्चे और गांव वाले सब रो रहे थे। इसका कारण उन शिक्षकों की मेहनत और लगन रही होगी! एक ऐसे ही शिक्षक हैं जूनागढ़, गुजरात के बलदेवपरी गोस्वामी जो शिक्षा के जरिए बदलाव लाने के मिशन पर हैं।
बलदेव गुजरात के जूनागढ़ जिले में कक्षा 9 और 10 के छात्रों को गणित और विज्ञान पढ़ाते हैं। ये दो ऐसे विषय हैं जिनका हमारे जीवन पर खासा प्रभाव रहा है। हम सभी अपने जीवन में इन विषयों के महत्व के बारे में जानते हैं। बलदेव इसी महत्व को समझते हुए निरंतर प्रयास कर रहे हैं कि वे कम से उन बच्चों को शिक्षित कर सकें जो वंचित हैं। मिरर से बात करते हुए बलदेव कहते हैं, "स्कूल में पढ़ाने के दौरान, मैंने देखा कि कई छात्रों को अतिरिक्त मार्गदर्शन और मदद की जरूरत थी लेकिन वे बच्चे ट्यूशन की फीस वहन नहीं कर सकते थे।" बच्चों की मदद करने के लिए बलदेव ने कुछ समय के लिए ब्लैकबोर्ड से हटकर कुछ अलग करने की सोची। नतीजा निकला और उन्होंने वेबकैम लिया और खुद की वेबसाइट व यूट्यूब चैनल लॉन्च कर दिया।
बलदेव कहते हैं, "मैंने साल 2010 में अपनी वेबसाइट का रजिस्ट्रेशन कराया और इस पर काम करना शुरू कर दिया। हालांकि तब मैं इतना एक्सपर्ट नहीं था इसलिए इसे रेगुलर चलाने में मुझे एक साल लग गया और 2011 में मैंने इस पर रेगुलर काम करना शुरू कर दिया। छात्र जब भी चाहें साइट से मैटेरियल हासिल कर सकते हैं। मैंने अपनी वेबसाइट पर प्रश्न पत्र और उनके हल भी डाले हुए हैं।" जैसा कि बलदेव का फोकस केवल गुजरात के वंचित छात्रों पर है इसलिए उनकी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल दोनों गुजराती में ही हैं।
बलदेव के लिए एक डिजिटल चैनल खड़ा करना इतना आसान नहीं था। स्टूडियो बनाने के लिए उन्हें लगभग 7 लाख रुपये खर्च करने पड़े। यह पैसा उनकी खुद की बचत और उनकी पत्नी भवना की बचत के थे। अब इस स्टूडियो में वे अपने वीडियो रिकॉर्ड करते हैं। इसी के साथ में उन्होंने डिजिटल क्लासरूम्स भी सेटअप किए जो काफी इन्फोर्मेटिव और मजेदार हैं। बलदेव की डिजिटल क्लासरूम्स में क्विज्स, मूल्य शिक्षा के बारे में वीडियो और ऑडियो नोट्स भी होते हैं जो उन्हें रेगुलर क्लासेस से अलग बनाते हैं। क्विज और मॉडल पेपर हर क्लास के अनुसार अलग-अलग होते हैं। स्वंय बलदेव की पत्नी भवना इन डिजिटल क्लासेस के लिए अपनी आवाज दे रही हैं। इसके अलावा वे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के भाषणों का आयोजन भी कराते हैं।
इस तरह के प्रयासों के बाद दोनों पति-पत्नी को जल्द ही एहसास हुआ कि उनकी क्लास और यूट्यूब चैनल छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं। इससे उन्हें पता चला कि यह एक प्रकार की लोकप्रिय शिक्षण पद्धति ही है, और यदि अधिक शिक्षक इसे अपनाएं, तो यह शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसी विचार के साथ उन्होंने अपने स्टूडियो में शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करना शुरू कर दिया।
मिरर से बात करते हुए बलदेव कहते हैं, "वे (शिक्षक) टिप्स लेने के लिए हर रविवार को अपने खर्च पर आते हैं और अपना खाना भी साथ लाते हैं। अब तक, हमने 2000 से 3000 के आसपास शिक्षकों को प्रशिक्षित किया होगा। यहां तक कि (गुजरात) शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुदासमा ने इस तरह के एक कार्यक्रम में भाग लिया था।" यह कपल 'पुस्तक परब' नाम से एक पहल चला रहा है, जो एक प्रकार की लाइब्रेरी ही है। यहां लाइब्रेरी की ही तरह आप किताबें उधार ले सकते हैं। हालांकि इस पहल की खासियत ये है कि ये उधार दी हुई किताबों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं करती है। बलदेव कहते हैं, "हम कभी भी किताबें के वापस आने की उम्मीद नहीं करते हैं। हमने गहनों की तुलना में किताबों पर अधिक खर्च किया है!"
बलदेव के ये प्रयास निश्चित रूप से बेकार नहीं गए हैं। बलदेव को यूनिसेफ द्वारा एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे ब्लॉगर्स को प्रशिक्षित करता है। उन्होंने इस प्रशिक्षण का उपयोग अपनी डिजिटल कक्षाओं में किया है। अपनी वेबसाइट पर 93 लाख से अधिक विजिटर्स और YouTube पर 5553* फॉलोअर्स के साथ, बलदेव काफी हद तक छात्रों के बीच जाना पहचाना चेहरा हैं। 2017 में, उन्हें एचआरडी मंत्रालय द्वारा शिक्षकों को दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भी चुना गया। आज जब देश में शिक्षा को लेकर काफी लोगों में जागरुकता की कमी दिखती है तो ऐसे में बलदेव जैसे प्रेरणादायक और निःस्वार्थ शिक्षक ही हैं जो शिक्षा प्रणाली को हर किसी के लिए समान अवसरों का मंच बना रहे हैं।
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