Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

पर्यावरण बचाने के लिए इन स्कूली बच्चों की कोशिशें आपका दिल जीत लेंगी

पर्यावरण बचाने के लिए इन स्कूली बच्चों की कोशिशें आपका दिल जीत लेंगी

Monday September 03, 2018 , 4 min Read

बदलते दौर में स्कूलों की भूमिका अब महंगी फीस लेकर बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान बांटने तक सीमित रह गई है। ऐसे हाल में कोलकाता के इस स्कूल की अनोखी पहल की तारीफ करनी होगी...

image


स्कूल में चिड़ियों को आकर्षित करने के लिए खास तरह के फीडर रखे गए हैं, जिनमें उनके लिए दाने और पानी का इंतजाम किया जाता है। स्कूली में स्वच्छता के लिए पोस्टर डिजाइनिंग और निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं।

कहा जाता है कि विद्यालय शिक्षा प्रदान करने की ऐसी संस्थाएं होती हैं जहां किसी भी बच्चे का संपूर्ण व्यक्तित्व बदल जाता है और उसे नेक इंसान बनने की जिम्मेदारी भी विद्यालय पर ही होती है। लेकिन बदलते दौर में स्कूलों की भूमिका अब महंगी फीस लेकर बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान बांटने तक सीमित रह गई है। ऐसे हाल में कोलकाता में स्थित एक स्कूल की पहल की तारीफ करनी होगी। कोलकाता के लेनिन सरणी इलाके में स्थित यूनियन चपल स्कूल अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों को पर्यावण को सुरक्षित और संरक्षित रखने की प्रैक्टिकल सीख प्रदान करता है। इसके लिए स्कूल परिसर में ही कई तरह के उपाय किए गए हैं, जैसे:

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

स्कूल की प्रिंसिपल एंजेला घोष बताती हैं कि तीन साल पहले स्कूल में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया था ताकि वर्षा का जल बर्बाद न हो। इसे लगाने के बाद पूरे स्कूल से पानी की काफी बचत की गई। अब इसके जरिए जो पानी बचता है उसे कार धुलने से लेकर, शौचालय और स्कूल के बगीचे में पौधों को सींचने के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं बच्चों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया जाता है और उनसे कहा जाता है कि वे इन आदतों का घर पर भी पूरी कड़ाई से पालन करें, जितना कि स्कूलों में करते हैं।

बिजली की बचत

आज के वक्त में महानगर में रहने वाला कोई इंसान बिना बिजली के अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता। यही वजह है कि घर-घर पर इन्वर्टर लग गए हैं और बिजली जाने पर झट से वे चालू हो जाते हैं, लेकिन फिर भी बिजली की बचत करने के बारे में कोई नहीं सोचता। इस स्कूल में हर रोज 15 मिनट के लिए बिजली बंद कर दी जाती है। इसके साथ-साथ बच्चों को जागरूक करने के लिए कई सारे क्रियाकलाप आयोजित किये जाते हैं जिसमें ईंधन की बचत, बिजली का इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक करने और प्राकृतिक संसाधनों का भी संरक्षण करने की प्रेरणा दी जाती है। बच्चे इसके लिए रैली निकालते हैं और पेट्रोल पंप तक लोगों को जागरूक करने के लिए जाते हैं।

प्लास्टिक पर पाबंदी

पौधे लिए नन्हें बच्चे

पौधे लिए नन्हें बच्चे


इन दिनों कई राज्य सरकारों द्वारा प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने की घोषणा हुई, लेकिन फिर भी लोगों का प्लास्टिक का इस्तेमाल जारी है। चपल स्कूल में प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने के लिए भी कई प्रयास किए गए हैं। स्कूल में ही बच्चे प्लास्टिक के बैग बनाते हैं और उसे घर में भी इस्तेमाल करते हैं। स्कूल द्वारा पैरेंट्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने बच्चों को पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित करें। स्कूल में समय-समय पर बच्चों द्वारा पौधरोपण अभियान चलाए जाते हैं।

स्कूल को हरा-भरा बनाने की कोशिश

स्कूल प्रशासन ने बच्चों द्वारा मिलकर प्लास्टिक की बोतलों को गार्डन में गमलों के रूप में बदलने की कोशिश शुरू की है। इसके जरिए बच्चे स्कूल में खूबसूरत वर्टिकल गार्डन बना देते हैं। पर्यावरण संरक्षण की इन सभी गतिविधियों की संचालित करने के लिए स्कूल में नेचर क्लब की स्थापनना की गई है। स्कूल में चिड़ियों को आकर्षित करने के लिए खास तरह के फीडर रखे गए हैं, जिनमें उनके लिए दाने और पानी का इंतजाम किया जाता है। स्कूली में स्वच्छता के लिए पोस्टर डिजाइनिंग और निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा बच्चों को मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से दूर रहने के गुर भी सिखाए जाते हैं।

चिड़ियों के लिए रखे फीडर में भरा दाना और पानी

चिड़ियों के लिए रखे फीडर में भरा दाना और पानी


ये अभियान सिर्फ स्कूली बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों तक भी पहुंचाए जाते हैं। स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती एंजेला कहती हैं, 'मेरा मानना है कि अगर मेरे स्कूल का एक एक बच्चा जागरूक हो गया तो वो आने वाले समय में बाकी लोगों को भी अच्छी आदतों के लिए प्रेरित करता रहेगा।' अगर आपको भी किसी ऐसे स्कूल, संस्थान, एनजीओ की किसी ऐसी पहल के बारे में मालूम है जिससे समाज में बदलाव आ रहा है तो आप महें editor@yourstory पर लिख सकते हैं। हम आपकी कहानी जरूर प्रकाशित करेंगे।

यह भी पढ़ें: ट्यूशन पढ़ाकर पूरी की पढ़ाई: अंतिम प्रयास में हिंदी माध्यम से UPSC क्लियर करने वाले आशीष की कहानी