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12वीं की छात्रा ने खाने की बर्बादी रोकने के लिए बना डाला सस्ता, टिकाऊ फ्रिज

12वीं की छात्रा ने खाने की बर्बादी रोकने के लिए बना डाला सस्ता, टिकाऊ फ्रिज

Tuesday November 07, 2017 , 5 min Read

क्या आपने कभी सोचा है कि हम हर दिन भोजन की कितनी मात्रा बर्बाद कर देते हैं? मंहगे रेस्टोरेंट और फास्टफूड चेन के खूब सारे पैसे फेंक देते हैं फिर भी पसंद न आने पर वो खाना डस्टबिन में डालने से नहीं हिचकते? यह सब हमारे पेट में नहीं जाता है और न ही रेस्तरां के कर्मचारी इसे घर ले जाते हैं। ढेर सारा भोजन कचरे में जाता है। वहीं इसी दुनिया में समानांतर रूप से तमाम जरूरतमंद लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है।

साभार: ट्विटर

साभार: ट्विटर


वो किसान जो अपना खून-पसीना लगाकर खेतों में ये सब उगाते हैं, उन्हें इसकी सही कीमत नहीं मिलती। उनके द्वारा उगाई गईं फल-सब्जियां बाजार में सही दाम न मिलने पर स्टोरेज में पड़ी-पड़ी सड़ जाती हैं।

दिल्ली की 12 वीं कक्षा की एक छात्रा, दीक्षिता खुल्लर को खाद्य पदार्थों को सड़ने से बचाने के लिए एक हल मिल गया है। उन्होंने एक फ्रिज विकसित किया है जिसके लिए बिजली की आवश्यकता नहीं है। आप उन सुदूर गांवों में भी इस फ्रिज का उपयोग कर सकते हैं जहां बिजली एक दूर का सपना है। ये फ्रिज किसानों और बिचौलियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है जो फलों और सब्जियों से सड़ जाने की समस्या से हर साल निपटते हैं।

क्या आपने कभी सोचा है कि हम हर दिन भोजन की कितनी मात्रा बर्बाद कर देते हैं? मंहगे रेस्टोरेंट और फास्टफूड चेन के खूब सारे पैसे फेंक देते हैं फिर भी पसंद न आने पर वो खाना डस्टबिन में डालने से नहीं हिचकते? यह सब हमारे पेट में नहीं जाता है और न ही रेस्तरां के कर्मचारी इसे घर ले जाते हैं। ढेर सारा भोजन कचरे में जाता है। वहीं इसी दुनिया में समानांतर रूप से तमाम जरूरतमंद लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है। कब मिलेगा खाना कब नहीं, कोई भरोसा नहीं। वो किसान जो अपना खून-पसीना लगाकर खेतों में ये सब उगाते हैं, उन्हें इसकी सही कीमत नहीं मिलती। उनके द्वारा उगाई गईं फल-सब्जियां बाजार में सही दाम न मिलने पर स्टोरेज में पड़ी-पड़ी सड़ जाती हैं।

क्या हम सोच पाते हैं उनके बारे में? उनकी भूख को बुझाने में क्या हम जरा भी सहयोग नहीं कर सकते हैं? मंहगी गाड़ियों, आलीशान बंगलों, और लजीज व्यंजनों से घिरे होने के बावजूद क्या हम थोड़ा सा प्रयास नहीं कर सकते किसी भूखे की क्षुधा शांत करने की? ये सब सवाल शायद हमारे दिमाग में नहीं आते लेकिन एक बच्ची के दिमाग में आया और उसने इस दिशा में अभूतपूर्व काम भी किया। भारत हर दिन पूरे देश को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन करता है, लेकिन हर कोई हमारे जैसे भोजन नहीं कर सकता है।

इसके अलावा, हम भी सरकार के एक अध्ययन के मुताबिक प्रति वर्ष 67 मिलियन टन बर्बाद कर रहे हैं। हम अक्सर कुम्हला गए खाद्य पदार्थों को फेंकने की आदत विकसित कर चुके हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि सड़ा हुआ भोजन कहां जाता है। क्योंकि जाहिर है, कोई इसे खरीद नहीं रहा है?

दिल्ली की 12 वीं कक्षा की एक छात्रा, दीक्षिता खुल्लर को खाद्य पदार्थों को सड़ने से बचाने के लिए एक हल मिल गया है। उन्होंने एक फ्रिज विकसित किया है जिसके लिए बिजली की आवश्यकता नहीं है। वह इसे मैजिक फ्रिज कहती हैं क्योंकि उसे बिजली की जरूरत नहीं है। आप उन सुदूर गांवों में भी इस फ्रिज का उपयोग कर सकते हैं जहां बिजली एक दूर का सपना है। ये फ्रिज किसानों और बिचौलियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है जो फलों और सब्जियों से सड़ जाने की समस्या से हर साल निपटते हैं।

साभार: ट्विटर

साभार: ट्विटर


दीक्षिता के मुताबिक, शुरुआत से ही मेरा पर्यावरण संबंधी मुद्दों की ओर झुकाव था और मैं इसके लिए एक टिकाऊ समाधान ढूंढना चाहती थी। दीक्षिता ने इस जादुई फ्रिज को बनाने के लिए निष्क्रिय वाष्पीकरण की अवधारणाओं का इस्तेमाल किया। सिर्फ ईंट, रेत, जूट बैग और बांस का उपयोग करके, उसने अपने प्रोटोटाइप फ्रिज को डिज़ाइन किया है। इसका इस्तेमाल किसानों द्वारा किया जा सकता है।

दीक्षिता अपने इस आविष्कार के स्ट्रक्चर के बारे में बताती हैं, कल्पना कीजिए एक बड़ी आयताकार संरचना ईंटों से बनी हुई है और एक बड़े आयताकार कक्ष के अंदर बनी एक और छोटे आयताकार संरचना है। इन दोनों संरचनाओं के बीच में कुछ स्थान छोड़ा गया है ताकि इसे रेत से भरा जा सके। कक्ष के ऊपरी हिस्से को बांस ढक्कन के साथ कवर किया गया है। अब तक, इस फ्रिज के कक्षों को 6 बक्से या 120 किलोग्राम सब्जियों तक पककर 7 दिनों तक ताज़ा रखा जा सकता है। ये कक्ष बाहरी तापमान से 10-15 डिग्री सेल्सियस कम तापमान बनाए रख सकते हैं और 90% सापेक्ष आर्द्रता का प्रबंधन कर सकते हैं।

दीक्षिता खुल्लर के पास एक शानदार दिमाग है, जिन्होंने मैजिक फ्रिज का आविष्कार किया। उन्होंने किसानों और उनकी दुर्दशा के बारे में सोचा। यह वास्तव में एक शानदार विचार है और उसका आविष्कार काफी कुछ मुश्किलें हल कर देगा। यह निश्चित रूप से किसानों और विक्रेताओं के तनाव को कम कर देगा। मैजिक फ्रिज सबसे महान आविष्कारों में से एक है और हम दीक्षित जैसे लड़कियों को सलामी देते हैं।

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