26 सालों से गरीब मरीजों को खाना खिला रहे हैं पटना के गुरमीत सिंह

26 सालों से गरीब मरीजों को खाना खिला रहे हैं पटना के गुरमीत सिंह

Wednesday December 05, 2018,

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 कई बार ऐसा भी होता है कि मरीज दवा खरीदने की स्थिति में नहीं होता। ऐसे में वे दवाओं का पर्चा हाथ में लेते हैं और मेडिकल स्टोर की तरफ निकल जाते हैं। उम्र के 60वें पड़ाव को पार कर रहे गुरमीत यह काम बीते 26 सालों से कर रहे हैं।

गुरमीत सिंह (तस्वीर साभार- फेसबुक)

गुरमीत सिंह (तस्वीर साभार- फेसबुक)


हालांकि अब उनकी उम्र इतनी ज्यादा हो गई है, कि डॉक्टरों ने उन्हें रक्तदान करने से मना कर दिया है। इससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

पटना में रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाने वाले गुरमीत सिंह गरीब और बेसहारा मरीजों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। वे हर रात 9 बजे के आसपास पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में जाते हैं और वहां मरीजों को मुफ्त में खाना खिलाते हैं, वह भी खुद के पैसे खर्च कर के। वे मरीजों को खाना देने के साथ ही उनका हालचाल लेते हैं, इतना ही नहीं मरीजों को खाना खिलाने वाले बर्तनों को वे अपने हाथों से धोते भी हैं।

खाना खिलाने और हालचाल लेने के दौरान अगर गुरमीत को किसी मरीज की हालत गंभीर मिलती है तो वे तुरंत डॉक्टर के पास जाते हैं और उसका हाल लेते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि मरीज दवा खरीदने की स्थिति में नहीं होता। ऐसे में वे दवाओं का पर्चा हाथ में लेते हैं और मेडिकल स्टोर की तरफ निकल जाते हैं। उम्र के 60वें पड़ाव को पार कर रहे गुरमीत यह काम बीते 26 सालों से कर रहे हैं।

इतना ही नहीं कई बार मरीजों को खून की जरूरत पड़ती है तो गुरमीत रक्तदान करने से भी पीछे नहीं हटते। हालांकि अब उनकी उम्र इतनी ज्यादा हो गई है, कि डॉक्टरों ने उन्हें रक्तदान करने से मना कर दिया है। इससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। लेकिन फिर भी वे अपने बच्चों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं। अस्पताल के मरीज कहते हैं, 'अगर गुरमीत नहीं होते तो न जाने कितने मरीजों की जान चली दाती। '

गुरमीत के काम से इतना अच्छा प्रभाव पड़ा है कि आसपास के कई अन्य लोगों ने भी उनका सहयोग करने का फैसला कर लिया। अब उनको देखते हुए कई लोग अपनी स्वेच्छा से लोगों की मदद करने के लिए आगे आने लगे। गुरमीत कहते हैं कि वे अपनी कमाई का 10 फीसदी हिस्सा इन गरीबों की सेवा में लगा देते हैं। वे बताते हैं, 'इतनी उम्र होने के बावजूद मैं मरीजों की सेवा में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतता।' योरस्टोरी गुरमीत के जज्बे को सलाम करता है और उम्मीद करता है कि समाज के और भी तमाम लोग ऐसे ही गरीब और बेसहारों की मदद करने के लिए आए आएंगे।

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