DBT के जरिए पूरे भारत में किसानों के खाते में जमा किए गए 49,965 करोड़ रुपये: सरकार
भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को खाद्य सब्सिडी और राज्यों के भीतर परिवहन से जुड़े खर्चों के लिए केंद्रीय सहायता के तौर पर 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का सारा खर्च वहन करेगी।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता के माध्यम से मीडियाकर्मियों को PMGKAY-3 और वन नेशन वन राशन कार्ड योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY III) के बारे में बोलते हुए, सचिव ने कहा कि विभाग द्वारा “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” को दो महीने की अवधि यानी मई और जून, 2021 के लिए लागू किया जा रहा है। इसी तरह के पैटर्न के अनुसार, प्रति माह पांच किलोग्राम प्रति व्यक्ति के मान से अतिरिक्त खाद्यान्नों (चावल/गेहूं) का एक अतिरिक्त कोटा प्रदान करके, उनकी नियमित मासिक एनएफएसए हकदारियों से ऊपर और अतिरिक्त दोनों श्रेणियों के तहत लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को एनएफएसए की दोनों श्रेणियों यानी अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता परिवार (पीएचएच) के तहत दायरे में लाया जाएगा।
भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को खाद्य सब्सिडी और राज्यों के भीतर परिवहन से जुड़े खर्चों के लिए केंद्रीय सहायता के तौर पर 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का सारा खर्च वहन करेगी।
पांडे ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि मई, 2021 महीने के लिए खाद्यान्न वितरण तय कार्यक्रम के अनुसार हो रहा है। 10 मई, 2021 तक 34 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों ने मई 2021 के लिए एफसीआई डिपो से 15.55 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न उठाया है और 12 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक लाभार्थियों को एक लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है। उन्होंने कहा कि लगभग सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों ने जून 2021 के अंत तक मई और जून 2021 के महीनों के लिए, पीएमजीकेएवाई-III के तहत खाद्यान्नों के वितरण को पूरा करने से जुड़ी कार्य योजना का संकेत दिया है।
उन्होंने साथ ही कहा कि विभाग इस योजना की लगातार समीक्षा कर रहा है और व्यापक प्रचार देने के लिए और जारी की गयी सलाहों के अनुरूप कोविड-19 से संबंधित सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद ईपीओएस उपकरणों के माध्यम से पारदर्शी तरीके से पीएमजीकेएवाई-III खाद्यान्नों का समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रहा है। 26 अप्रैल, मिलकर काम कर रहा है। 26 अप्रैल, 2021 को सचिव द्वारा और पांच मई 2021 को संयुक्त सचिव (बीपी, पीडी) द्वारा राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के खाद्य सचिवों/प्रतिनिधियों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया था ताकि खाद्यान्न वितरण की प्रगति की समीक्षा की जा सके और रणनीति बनायी जा सके।
पांडे ने 'वन नेशन वन राशन कार्ड' (ONORC) के महत्व पर जोर देते हुए साझा किया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) के तहत राशन की देशव्यापी सुवाह्यता लाने के लिए विभाग की एक महत्वाकांक्षी योजना और प्रयास है। इसका उद्देश्य सभी प्रवासी लाभार्थियों को देश में कहीं भी उनके NFSA खाद्यान्नों/लाभों का सहज रूप से उपयोग करने के लिए सशक्त करना है। वर्तमान में, इस प्रणाली को इन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग 69 करोड़ लाभार्थियों (86% NFSA आबादी) को दायरे में लाते हुए 32 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में मूल रूप से सक्षम किया गया है।
पांडे ने कहा कि ओएनओआरसी अब 32 राज्यों /केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत लगभग 1.5 से 1.6 करोड़ प्रति माह का औसत पोर्टेबिलिटी ट्रांजेक्शन दर्ज किया जा रहा है।
पांडे ने बताया कि अगस्त, 2019 में योजना शुरू किए जाने के बाद से इन राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में 26.3 करोड़ से अधिक की सुवाह्यता लेन देन (राज्यों के भीतर हुए लेन देन शामिल हैं) हुए हैं जिसमें लगभग 18.3 करोड़ सुवाह्यता लेन देन अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 के कोविड-19 प्रभावित अवधि के दौरान दर्ज की गई हैं।
उन्होंने आगे बताया कि कोविड-19 संकट के दौरान प्रवासी एनएफएसए लाभार्थियों को एनएफएसए खाद्यान्नों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना की संभावनाओं को देखते हुए, यह विभाग वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठकों/सलाहों/पत्रों के माध्यम से राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के साथ लगातार काम कर रहा है ताकि प्रवासी लाभार्थियों तक अगसक्रिय रूप से पहुंचकर कार्यक्रम को उसकी पूरी क्षमता में लागू किया जा सके।इन राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से, टोल-फ्री नंबर 14445 और 'मेरा राशन' मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए योजना का व्यापक प्रचार और उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।
यह ऐप हाल ही में एनएफएसए लाभार्थियों खासकर प्रवासी लाभार्थियों के लाभ के लिए एनआईसी के सहयोग से विभाग द्वारा विकसित किया गया है और नौ विभिन्न भाषाओं - अंग्रेजी, हिंदी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, गुजराती में उपलब्ध है। ऐपमें और अधिक क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पांडे ने कहा कि रबी विपणन सीजन 2021-22 में खरीद सुचारू रूप से चलने के साथ नौ मई को 2021 कुल 337.95 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई है, जबकि पिछले वर्ष 248.021 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई थी। उन्होंने आगे बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 34.07 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं जो पिछले साल 28.15 लाख थे। उन्होंने कहा कि खरीद पूरे भारत में 19,030 खरीद केंद्रों के माध्यम से की गई है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा और पंजाब ने किसानों को लाभ के ऑनलाइन हस्तांतरण के लिए एमएसपी के अप्रत्यक्ष भुगतान से हटा गया और, किसानों को अब देश भर में बिना किसी देरी के अपनी फसलों की बिक्री के खिलाफ प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है।
सचिव ने बताया कि कुल डीबीटी भुगतान में से अब तक 49,965 करोड़ रुपये किसानों के खाते में सीधे हस्तांतरित किए गए हैं और ये गेहूं की खरीद के लिए किए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि पंजाब में 21,588 करोड़ रुपये और हरियाणा में लगभग 11,784 करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित किए गए हैं।
पांडे ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के मद्देनजर, खुले बाजार में गेहूं और चावल के भंडार को आसानी से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए ओएमएसएस (डी) नीति को उदार बनाया है। यह बताया गया है कि इस नीति के तहत खाद्यान्न की बिक्री गैर-खरीद वाले राज्यों में शुरू हो गई है और अब तक 2800 एमटी खाद्यान्न बेचे जा चुके हैं।
यह भी बताया गया है कि कोविड -19 महामारी के दौरान, एक अप्रैल, 2020 से 31 मार्च 2021 की अवधि में वितरण के लिए लगभग 928.77 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न - 363.89 एलएमटी गेहूं और 564.88 एलएमटी चावल केंद्रीय पूल से दिए गए।
खाद्य तेलों के मूल्य वृद्धि के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, श्री पांडे ने कहा कि सरकार द्वारा खाद्य तेलों की कीमत की बारीकी से निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोविड हालत के कारण कुछ भंडार विभिन्न एजेंसियों द्वारा मंजूरी संबंधी जांचों के कारण बंदरगाहों पर अटक गए हैं, अब समस्या का समाधान हो गया है और जल्द ही भंडार को बाजार में जाने दिया जाएगा और इससे तेल की कीमतों में कमी आएगी।
पांडे ने चीनी की सब्सिडी से जुड़े एक दूसरे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीनी और इथेनॉल उद्योग को लेकर विस्तृत समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा, हमने इस साल 7.2% का सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल किया है और हम इस वर्ष के अंत तक 8.5% सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अब तक देश के 11 राज्यों ने पहले ही 9-10% के सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है, जबकि बाकी राज्य इस दिशा में काम कर रहे हैं।