माविया मलिक बनीं पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर
मिलें पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर से...
आज-कल एक नाम सोशल मीडिया पर खासा चर्चा में है और वो नाम कोई और नहीं बल्कि माविया मलिक का है। माविया दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर हैं। पाकिस्तान की माविया मलिक अपने समुदाय के बाकी लोगों की तरह नाच-गाकर सड़कों पर भीख नहीं मांगना चाहतीं, बल्कि ऐसा कुछ कर दिखाना चाहती हैं जो बाकी ट्रांसजेंडर्स के लिए भी नजीर बने और वह अपनी अपमानजनक पहचान की गिरफ्त से बाहर आ सकें।
दुनिया में पहली बार पाकिस्तान की ट्रांसजेंडर माविया मलिक एक चैनल की न्यूज एंकर बनी हैं। इस एंकर ने हाल ही में अपना पहला न्यूज बुलेटिन पढ़ा तो दर्शक चौंक गए। इसके साथ ही इस पर सोशल मीडिया की पहलकदमी चर्चाओं में छा गई।
आधुनिक विश्व में मीडिया क्षेत्र भी नए-नए प्रयोग कर सामाजिक सरोकारों को पुख्ता कर रहा है। इसी दिशा में पाकिस्तानी मीडिया का एक अनोखा प्रयोग सामने आया है। दुनिया में पहली बार पाकिस्तान की ट्रांसजेंडर माविया मलिक एक चैनल की न्यूज एंकर बनी हैं। इस एंकर ने हाल ही में अपना पहला न्यूज बुलेटिन पढ़ा तो दर्शक चौंक गए। इसके साथ ही इस पर सोशल मीडिया की पहलकदमी चर्चाओं में छा गई। पाकिस्तान के निजी टीवी न्यूज चैनल ‘कोहेनूर न्यूज’ पर ट्रांसजेंडर एंकर माविया ने लाइव बुलेटिन पढ़ा।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने अभी कुछ ही वक्त पहले वहां की संसद में थर्ड जेंडरों के शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना को रोकने के लिए एक बिल भी पारित किया है। बिल के मुताबिक ट्रांसजेंडर को किसी भी तरह की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना पहुंचाई गई तो दोषी व्यक्ति को इस पर सजा मिल सकती है। माविया मलिक के न्यूज एंकर बनने की सूचना को पाकिस्तान के ख्यात पत्रकार शिराज हसन ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर बनी। न्यूज एकंर के तौर पर ट्रांसजेंडर को मौका दिए जाने के बाद चैनल की काफी तारीफ हो रही है। लोगों ने जैसे ही स्क्रीन पर न्यूज बुलेटिन पढ़ते हुए ट्रांसजेंडर को देखा तो सभी हैरान थे लेकिन खुशी भी थी क्योंकि पाकिस्तान में ऐसा पहली बार हुआ है।'
पाकिस्तान में 10 हजार से ज्यादा ट्रांसजेंडर हैं। उनमें से एक माविया मलिक का बचपन से ही न्यूज एंकर बनने का सपना रहा है। ग्रेजुएशन कर चुकी माविया लाहौर की रहने वाली हैं। वह न्यूज एंकर बनने से पूर्व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में भी शिरकत कर चुकी हैं। वह मॉडलिंग भी करती रही हैं। हाल ही में सनसिल्क फैशन शो में वह रैंप वॉक करती हुई भी नजर आई थीं। इस घटना ने भी मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी थीं। माविया का कहना है, कि वह अपने साथी ट्रांसजेंडर की तरह सड़कों पर नाच-नाचकर भीख मांगना पसंद नहीं करती हैं। वह ऐसा कुछ कर दिखाना चाहती हैं, जो उनके समुदाय के उज्ज्वल भविष्य के काम आ सके।
हाल ही में पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार 'द इंटरनेश्नल न्यूज' के साथ एक साक्षात्कार में माविया मलिक ने कहा था कि मीडिया में उनका अब तक सफर कत्तई आसान नहीं रहा है। माता-पिता ने उनको बचपन में ही अपने से अलग कर दिया था लेकिन होश संभालते ही वह स्वयं अपने सफल भविष्य की दिशा में जुट गईं। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया और वहां से जर्नलिज्म की डिग्री प्राप्त करने के बाद उनके कदम टीवी मीडिया की ओर बढ़ चले। अभी कुछ ही महीने पहले उन्होंने 'कोहेनूर न्यूज' में इंटरव्यू दिया था। उनकी परफॉर्मेंस से प्रभावित होकर चैनल ने उन्हें उसी दिन नौकरी पर रख लिया। उसके बाद अब तीन महीने गुजारने के बाद उन्हें एंकरिंग का अवसर मिला है। यह उनकी जिंदगी की एक बहुत बड़ी कामयाबी है। इसी दिन का उन्होंने कभी सपना देखा था। यद्यपि उनकी इतनी बड़ी सफलता पर भी परिजनों ने चुप्पी साध रखी है। उनके लिए यह बहुत दुखद है।
दुनिया में आज ट्रांसजेंडर नित नये नये इतिहास रच रही हैं। हमारे देश में भी वह जज और प्रिसिंपल बन चुकी हैं। अभी पिछले साल अमेरिका की एक ट्रांसजेंडर डेमोक्रेट ने वर्जीनिया की जनरल असेम्बली के निचले सदन में चुनाव जीतकर इतिहास रचा। संगीतकार एवं पूर्व पत्रकार डानिका रोम हाउस ऑफ डेलीगेट्स की सीट जीतने वाली वर्जीनिया की और संभवत: उस देश की भी पहली ट्रांसजेंडर हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने ट्रांसजेंडर होने की बात स्वीकार की।
‘गे एंड लेस्बियन विक्ट्री फंड’ के मुताबिक डानिका रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी रॉबर्ट मार्शल को चुनाव में 55 प्रतिशत मत हासिल कर जनरल एसेंबली के निचले सदन में चुनाव जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर रहीं। गौरतलब है कि पाकिस्तान से पहले भारत सरकार ने देश में ट्रांसजेंडर को सामाजिक भेदभाव से बचाने, उनके अधिकारों के संरक्षण की उच्च सदन में संवैधानिक व्यवस्था दे दी है। लगभग साढ़े चार दशक बाद देश के सदन में ऐसे किसी निजी सदस्य विधेयक को मंजूरी दी गई। भारत सरकार का मानना है कि ट्रांसजेंडरों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए एक तंत्र विकसित किया जा रहा है। विधेयक से बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडरों को लाभ पहुंचेगा, उन्हें लांछन, भेदभाव से बचाने और हाशिये पर मौजूद इस वर्ग के खिलाफ दुर्व्ययवहार में कमी लाने तथा समाज की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी।
देश में ट्रांसजेडर समुदाय सबसे अधिक हाशिये पर है क्योंकि वे 'पुरुषों' या 'महिलाओं' के पारम्परिक लैंगिक वर्ग में फिट नहीं बैठते। यह निजी सदस्य विधेयक राज्यसभा सांसद तिरूची शिवा ने पेश किया था, जिसे राज्यसभा ने 24 अप्रैल 2015 को मंजूरी दी।
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