स्नैक्स में ‘योगा बार’ का इस्तेमाल कीजिए, पेट भी खुश दिमाग भी चुस्त
न्यूयाॅर्क से आई सुहासिनी और अनिंदिता संपत कुमार ने ऊर्जा से भरपूर ‘योगा बार’ को उतारा भारतीय बाजार मेंअगस्त 2014 में बैंगलोर के डोमलुर औद्योगिक क्षेत्र में शुरू किया खाने की पट्टियों का उत्पादनभारत के लोगों को अल्पाहार में और स्नैक्स के रूप में पौष्टिक उत्पाद उपलब्ध करवाना है प्राथमिकताफिलहाल सिर्फ बैंगलोर में कुछ स्टोर्स में उपलब्ध है उत्पाद, जल्द ही खोलने वाली हैं अपना स्टोर
क्या आपने कभी ‘योग पट्टी’ या ‘योगा बार’ के बारे में सुना है? यह कोई ऐसी पट्टी नहीं है जो आपको याग के कुछ बेहद कठिन आसनों को आसानी से करने में मदद करे और न ही यह कार्बनिक साबुन का एक स्वरूप है। और हाँ ये कोई ऐसा बार भी नहीं है जहां आप एल्कोवैदिक काॅकटेल के कुछ घूंट से अपना गला तर कर सकें! जी नहीं, हम बात कर रहे हैं गरिष्ठ, कुरकुरे और पौष्टिक पहले से तैयार ऊर्जा देने वाली प्राकृतिक सामग्री से बनी खाने की पट्टियों की। वर्ष 2014 में अगस्त के महीने में दो बहनों सुहासिनी और अनिंदिता संपत कुमार ने एक विशेष बढ़ोतरी के बाद इन्हें बनाना शुरू किया था।
उस समय यह दोनों बहनें सुहासिनी और अनिंदिता न्यूयाॅर्क में कार्यरत थीं जहां तुरंत ऊर्जा और पौष्टिकता से लबरेज इन खाने की पट्टियों का बेहद ही विविध और बड़ा बाजार है। ‘योगा बार’ से पहले अनिंदिता अर्नेस्ट एण्ड यंग के साथ कार्यरत थीं और सुहासिनी व्हार्टन बिजनस स्कूल के एक विनिमय कार्यक्रम के बीच में थीं। न्यूयाॅर्क में रहने वाली सुहासिनी को पढ़ाई के सिलसिले में नियमित रूप से घर और फिलाडेल्फिया के बीच का लंबा सफर तय करना पड़ता था। सुहासिनी बताती हैं, ‘‘मेरी बहन मुझे यात्रा के दौरान खाने के लिये ऊर्जा से भरपूर इन पट्टियों को खुद बनाकर देती थी और वास्तव में ये यात्रा के दौरान बहुत कारगर साबित होती थीं।’’
अमरीका में हुए इस अनुभव ने दोनों बहनों को इन ऊर्जा से भरपूर पट्टियों के बारे में गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्हें लगा कि चूंकि भारत में खाने का ऐसा कोई स्वस्थ विकल्प मौजूद नहीं है और ऐसे में उन्हें यहां पर इन खाने की पट्टियों के लिये एक बड़े बाजार की संभावनाएं खुली दिखीं और उन्होंने भारत में अपने कारोबार की स्थापना करने की ठान ली। न्यूयाॅर्क में ‘होल फूड’ जैसे स्थानों का दौरा करने के बाद तो उन्हें अहसास हुआ कि भोजन के कई ऐसे अच्छे विकल्प मौजूद हैं जिनका उत्पादन भारत में भी किया जा सकता है।
भारत वापस आने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी व्यापार शुरू करने के लिये प्रारंभिक निवेश की। उनकी इस समस्या का हल उनकी सबसे बड़ी बहन आरती ने उन्हें कुछ प्रारंभिक निवेश उपलब्ध करवाकर किया जिसके बाद इन्होंने इस क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाते हुए लोगों तक अपनी पहुंच बनानी शुरू की और उनकी अंर्तदृष्टि और प्रतिक्रिया लेनी प्रारंभ की। सुहासिनी कहती हैं, ‘‘वास्तव में हमें जो कोई भी मिला वह बेहद मददगार ही मिला। हमारी पहली रेसिपी हमें एक ऐसे व्यक्ति से मिली जिसे हमने ‘लिंक्डइन’ के जरिये संपर्क किया था।’’
वे आगे कहती हैं, ‘‘कोई भी नया व्यापार करने के लिये भारत एक आदर्श स्थान है कयोंकि यहां हर किसी के लिये ढेर सारा प्रोत्साहन और समर्थन मौजूद है। फिर चाहे बाते सही उत्पादों के चयन की हो या एक प्रारंभिक टीम के निर्माण की, लोग आपका समर्थन करने के लिये तैयार मिलते हैं। हमें सरकारी विभागों से बहुत आसानी से उत्पादन यूनिट लगाने के लिये अनुदान मिल गया। सरकार से प्राप्त अनुदान के आधार पर विजया बैंक ने भी हमारे ऋण को देखते ही देखते मंजूरी दे दी। इस मामले में मूल रूप से सरकार ने हमारे लिये गारंटर के रूप में काम किया।’’
इन पट्टियों का निर्माण शुरू करने से पहले ही इन दोनों बहनों ने तीन मुख्य बिंदुओं पर सहमति से एक फैसला ले लिया था। पहला तो यह था कि इनक उत्पाद पूर्णतः प्राकृतिक उत्पाद होगा जिसमें किसी भी प्रकार के कृत्रिम जायके या सामग्री का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाएगा। दूसरा यह कि इनका उत्पाद सस्ता और सबकी पहुंच के भीतर का होगा। तीसरा निर्णय इन्होंने यह लिया कि यह लोग अपने उत्पादों को जितना अधिक से अधिक संभव हो सके भारतीय सामग्रियों से तैयार कर स्वादिष्ट बनाने का प्रयत्न करेंगी।
इन योग पट्टियों में इस्तेमाल होने वाली प्रत्येक सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से आती है। उदाहरण के लिये अगर देश का कोई राज्य इलायची या किसी विशेष घटक के लिये प्रसिद्ध है तो उस सामग्री को उस विशेष प्रदेश से ही मंगवाया जाता है।
सुहासिनी आगे बताती हैं कि वे बाजार में मौजूद अन्य प्रतिस्पर्धियों राईटबाईट और नेचर्स वैल्यू की तरह अपने उत्पाद में मक्का का आटा या एडिटिव या अतिरिक्त विटामिन इत्यादि नहीं मिलाते हैं। हालांकि इस वजह से इनके उत्पादों का शेल्फ जीवन बहुत कम होकर मात्र 3 महीने का ही रह जाता है यानि के ये तेयार होने के सिर्फ तीन महीनों के भीतर ही प्रयोग की जा सकती हैं। और इस वजह से इनका बहुत सारा उत्पाद लगातार इनके पास वापस आता रहता है। यह सब देखते हुए ये बहनें अब प्राकृतिक उत्पाद सामग्री के साथ समझौते से बचने के लिये एक मौका लेने के बारे में विचार कर रही हैं।
उत्पादों के निर्माण के बारे में बात करते हुए सुहासिनी बताती हैं कि वे प्रारंभ से ही अपनी एक प्रणाली विकसित करना चाहती थीं। उन्हें अपना व्यवसाय स्थापित करने और उत्पादन के लिये आवश्यक पूंजी का इंतजाम करने में छः महीने का समय लगा और इसके बाद उन्हें अपने जैसी सोच और दृष्टि रखने वाले लोगों को ढूंढने में और छः महीने खपाने पड़े। उन्हें बाजार में व्यापारियों को अपना उत्पाद बेचने के लिये समझाने के लिये और उन्हें तैयार करने के लिये एड़ी-चोटी के जोर लगाने पड़े।
अपनी रेसिपी को अंतिम रूप देकर उसे बाजार में उतारने से पहले इन्हें दो वर्षों तक शहर के 50 से अधिक बेकरीवालों के साथ काम करना पड़ा। इसके अलावा उतपादन के लिये आवश्यक जरूरी मशीनरी को ढूंढने और अपनाने के लिये इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों के चक्कर काटने पड़े।
सुहासिनी कहती हैं, ‘‘भारत में व्यापार करना विशेष रूप से एक अलग अनुभूति है। आपको विभिन्न तरह के लोगों से मिलकर उनसे परामर्श लेना होता है और बहुत अधिक जमीनी काम करना पड़ता है। हालांकि यह बहुत रोमाचक है लेकिन इसमें बहुत कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है।’’
दोनों बहनों को एक साफ-सुथरी जगह चाहिये थी जो सौभाग्यवश उन्हें डोमलुर औद्योगिक क्षेत्र में मिल गई।
इनकी तैयार की हुई योगा बार मुख्यतः 25 से 30 वर्ष के वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं। ऐसे युवा जो विशेषकर एक हद तक सक्रिय और व्यस्त जीवनशैली का पालन करते हैं और जो अपने स्वास्थ्य और खाने के प्रति अधिक संजीदा भी होते हैं। सुहासिनी के अनुसार उनके ग्राहक मुख्यतः ऐसे लोग होते हैं जो एक स्वस्थ अल्पाहार या स्नैक के अवसरों की तलाश में होते हैं।
अगर आप संख्याओं पर गौर करें तो पता चलेगा कि वर्तमान में खाने की इन पट्टियों का बाजार और मुख्यतः अनाज/ग्रेनोला और ऊर्जा/पोषण की भोजन पट्टियों का बाजार सिर्फ अमरीका में ही वर्ष 2016 के अंत तक 8.3 बिलियन डाॅलर को पार करने का अनुमान है।
वर्तमान में इनके उत्पादों के अलावा राईटबाईट और नेचर्स वैल्यू के उत्पादों ने भी अब भारत में लोकप्रियता हासिल करनी शुरू कर दी है। यह ब्रांड भारत में वर्ष 2005-2006 में उस समय स्थापित किये गए थे जब यह विचार हमारे देश में अपेक्षाकृत अनजान ही था। इस जोड़ी ने भारत में ‘योगा बार’ को बिल्कुल सटीक समय पर प्रारंभ किया। आज के समय में जब 40 प्रतिशत से अधिक भारतीय स्वास्थ्य और फिटनेस से संबंधित उत्पादों की तलाश में हैं और फिटनेस एक बढ़ता हुआ बाजार है ऐसे में योगा बार्स अपने निशाने पर बिल्कुल सटीक बैठता है।
सुहासिनी के अनुसार भारत में विशेषकर हेल्थ फूड का क्षेत्र लगातार एक नई गति के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्हें विश्वास है कि जिस तेजी के साथ देश में खाद्य तकनीक के क्षेत्र में निवेश हो रहा है और रोजाना नए-नए खिलाड़ी इसमें प्रवेश कर रहे हैं भारतीय उपभोक्ताओं को एक स्वस्थ खाने की सुस्कृति से रूबरू होने का नया मौका मिल रहा है और वे लोग इसका भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं। सुहासिनी कहती हैं, ‘‘हमारा मुख्य लक्ष्य एफएमसीजी बाजार है लेकिन निश्चित ही हम कन्फैक्शनरी और बिस्कुट बाजार के एक बड़े हिस्से पर भी कब्जा कर सकते हैं।’’
फिलहाल ‘योगा बार’ बैंगलोर के कुछ चुनिंदा हेल्थकार्ट, बिगबास्केट, गोदरेज और नामधारी जैसे रिटेल आउटलेट पर ही उपलब्ध हैं। इसके अलावा ये गूगल, लिंक्डइन और इनमोगी जैसे बड़ी कंपनियों के कार्यालयों में भी उपलब्ध हैं।
सुहासिनी कहती हैं, ‘‘अगस्त में अपने प्रारंभिक दिनों में हम दो हजार पट्टियां बेच रहे थे। अब हम सिर्फ बैंगलोर के ही बाजार में औसतन 20 से 30 हजार पट्टियों को बेच रहे हैं। इनमें से 30 से 40 प्रतिशत हमारी वेबसाइट के जरिये आॅनलाइन बिक रही हैं और बाकी खुले बाजार में।’’
अपने प्रारंभिक दिनों में ‘योगा बार’ आउटसोर्स किये हुए पैकेजिंग डिजाइन के साथ बाजार में उतरी। इन्हें अभी भी लगता है कि वह एक अच्छा डिजाइन है लेकिन वे इसमें सुधार की बहुत गुजाइंश को देखते हुए उसमें बहुत कुछ जोड़ने की इच्छा रखती हैं। वह दुनिया को दिखाना चाहती हैं कि ‘योगा बार’ ऊर्जा, शांति, प्रेम, स्वाद और अच्छे स्वाद का दूसरा नाम है। सुहासिनी कहती हैं, ‘‘इस वर्ष जुलाई के महीने में जब हमारा वास्तविक स्टोर खुलेगा तो हम अपने उत्पादों में इन सब चीजों को मिलाना चाहते हैं। हम एक संपूर्ण ब्रांडिंग समाधान चाहते हैं। तब तक हम सभी स्टोर्स पर लगातार उपलब्ध रहना चाहते हैं।’’