5 अरब डॉलर की कंपनी की मालिक फाल्गुनी नायर से सीखें जीवन के चार जरूरी सबक
ऊषा गुप्ता ने एक किताब लिखी है- ‘स्टोरी ऑफ ब्यूटी आंत्रप्रेन्योर फाल्गुनी नायर.’ यह किताब उनकी जीवन यात्रा के अलावा उनके जीवन दर्शन और विचारों पर भी रौशनी डालती है.
कोटक महिंद्रा ग्रुप के साथ 20 साल काम करने के बाद एक दिन फाल्गुनी नायर ने नौकरी छोड़ दी और अपना खुद का बिजनेस शुरू करने की सोची. 10 साल पहले अप्रैल, 2012 में अपनी जेब से 20 लाख रुपए लगाए और शुरुआत की ब्यूटी और लाइफ स्टाइल रीटेल स्टोर नायका की. आज भारत की पांच सबसे अमीर महिलाओं में उनका नाम शुमार है. वह भारत की इकलौती ऐसी सफल बिजनेस वुमेन हैं, जो अपनी कंपनी का IPO लेकर आईं और आने के साथ ही स्टॉक एक्सचेंज में धमाका कर दिया और रातोंरात भारत की पहली सेल्फ मेड अरबपति महिला बन गईं.
फाल्गुनी नायर के जीवन और उनकी यात्रा में बहुत कुछ है, जिससे जीवन के बुनियादी सबक सीखे जा सकते हैं. ऊषा गुप्ता ने एक किताब लिखी है- ‘स्टोरी ऑफ ब्यूटी आंत्रप्रेन्योर फाल्गुनी नायर.’ यह किताब उनके जन्म से लेकर नायका की शुरुआत करने और भारत की सबसे सफल बिजनेस वुमेन बनने तक की उनकी समूची जीवन यात्रा के अलावा उनके जीवन दर्शन और विचारों पर भी रौशनी डालती है.
इस किताब से गुजरते हुए समझ आता है कि बात जीवन में हमेशा अरबपति बनने, सफलता के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचने, खूब पैसा कमाने की ही नहीं है. खुद फाल्गुनी मानती हैं कि सफलता को मापने का कोई एक रूढ़ पैमाना नहीं है. हर व्यक्ति अपनी सफलता की परिभाषा खुद लिखता है. सवाल सिर्फ ये है कि हमारी सोच और जीवन दृष्टि क्या है. हम अपने जीवन के व्यापक अर्थ और उसकी सार्थकता को कैसे परिभाषित करते हैं.
रोचक बात ये है कि ये किताब आपको अरबपति हो जाने का कोई रेडीमेड नुस्खा नहीं देती. बस इतना कहती है कि नजरिया सही रखो, पॉजिटिव सोचो और जीवन को सिर्फ यूं ही जीते रहने की बजाय उसे अर्थवान बनाने की कोशिश करो.
जीवन के ये पांच जरूरी सबक हम फाल्गुनी नायर की जिंदगी से सीख सकते हैं.
उम्र महज एक नंबर से ज्यादा कुछ नहीं
उम्र को लेकर अधिकांश लोगों का नजरिया इतना रूढ़ है कि उन्होंने जीवन के चार हिस्सों को चार अलग-अलग कामों के लिए बांट रखा है. बचपन से लेकर गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम वाली वही पुरानी सोच. हमें लगता है कि प्रेम करने, जीवन में कुछ नया शुरू करने की बात जवानी में ही सोची जा सकती है.
न सिर्फ फाल्गुनी नायर का जीवन, बल्कि उनकी सोच भी इस प्रचलित स्थापना को तोड़ती है. 2012 में जब फाल्गुनी ने नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करने की सोची तो उनकी उम्र 50 साल थी. 10 साल के भीतर वो और उनकी कंपनी एक बड़े ब्रांड में बदल गए. फाल्गुनी कहती हैं कि उम्र सिर्फ एक नंबर है. जीवन में कुछ नया करने के लिए उम्र का मुंह नहीं देखना चाहिए. आप जब चाहें, तब शुरुआत कर सकते हैं.
खुद पर यकीन
फाल्गुनी ने जब नायका की शुरुआत की तो ऑनलाइन रीटेल की दुनिया अपने शुरुआती चरण में ही थी. अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे कुछ प्लेटफॉर्म जरूर बड़े होने की कगार पर थे, लेकिन वो एक नीश मार्केट को टारगेट करने की बजाय हर तरह के प्रोडक्ट बेच रहे थे. ऐसे में फाल्गुनी ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म शुरू करने की सोची, जिसकी कंज्यूमर मुख्य तौर पर महिलाएं होंगी. जहां ब्यूटी, फैशन से जुड़ी चीजें ही मिलेंगी.
फाल्गुनी कहती हैं कि अब महिलाएं सिर्फ हाउस वाइफ नहीं हैं. वक्त बदल गया है. वो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं और अपने पैसे खर्च करने से जुड़े फैसले भी खुद ले रही हैं. मुझे यकीन था कि इस जगह बड़ा बाजार मौजूद है. उस बाजार को कैप्चर करने की जरूरत है.
फाल्गुनी ने अपनी समझ पर, नजरिए पर और सबसे बढ़कर खुद पर भरोसा किया और आज नतीजा हमारे सामने है.
समय के साथ कदम मिलाकर चलना
फाल्गुनी कहती हैं कि हमें अपनी सोच को कभी रूढ़ नहीं होने देना चाहिए. आज से 40 साल पहले बिजनेस का जो तरीका था, वह अब नहीं रहा. डिजिटल एज में चीजें बहुत तेजी के साथ बदल रही हैं और हमें उस बदलते वक्त के हिसाब से खुद को बदलने, नई चीजें सीखने और एडॉप्ट करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.
अपनी प्राथमिकताएं तय करना
फाल्गुनी का मानना है कि किसी एक लक्ष्य को तय करके उस पर फोकस करना बहुत जरूरी है. आप हर वक्त, हर जगह मौजूद नहीं हो सकते. इसलिए प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए और छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए. एक साथ बहुत बड़ा टारगेट तय करना जरूरी नहीं है. एक छोटा टारगेट तय करें, उसे पूरा करें और फिर अगले पर बढ़ें.
Edited by Manisha Pandey