आपकी एक छोटी सी मदद कर सकती है किसी का सपना साकार
- अपने स्वर्गवासी पिता के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया मधुर कपूर ने- एक कार एक्सीडेंट में हुई मधुर के पिता की मृत्यु
एक कहावत है समय से बलवान कोई नहीं होता। समय राजा को रंक तो एक रंक को पलक झपकते ही राजा बना सकता है। इसलिए समय का हमें सम्मान करना चाहिए और सदैव उसका सदुपयोग करना चाहिए। जन्म और मृत्यु भी समय का ही एक चक्र है, जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। और इंसान को चाहिए की वो इस सत्य को स्वीकार करे और आगे बढ़े ।
कई बार किसी के जाने का गम हमारी इच्छा शक्ति को और दृढ़ कर देता है और व्यक्ति किसी कार्य को और ज्यादा जोश और जुनून के साथ करता है। कुछ ऐसा ही हुआ मधुर कपूर के साथ। जब 28 अप्रैल 2015 को एक कार एक्सीड़ेंट में उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। दुर्घटना से पहले मधुर को अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे, इस कारण वे बार-बार अपने पिता को फोन कर रहे थे और उन्हें सावधानी पूर्वक ड्राइव करने के लिए कह रहे थे। उनके पिताजी एक शादी अटेंड़ करके आधी रात को घर आ रहे थे लेकिन रास्ते में उनका एक्सीड़ेंट हो गया और उनकी मृत्यु हो गई । ये एक्सीडेंट कानपुर से 80 किलोमीटर दूर हुआ जहां मेडिकल सुविधाएं मौजूद नहीं थीं। और अस्पताल पहुंचाने में काफी समय लग गया।
बचपन से ही मधुर कपूर एक होशियार और मेहनती छात्र था। मधुर ने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की। उसके बाद वे मास्टर्स करने के लिए विदेश में जाना चाहते थे, उन्होंने अपनी इस इच्छा को अपने पिता को बताया तो उनके पिता ने उनसे कहा कि वे पैसों की चिंता न करें और अपने सपने को पूरा करने के लिए विदेश के कॉलेज में अप्लाई कर दें।
मधुर ने विदेश में पढ़ाई के लिए अप्लाई किया उनका सलेक्शन भी हो गया व लोन भी पारित हो गया अब बस उन्हें वहां जाना था लेकिन तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद मधुर को पता चला की उनके पिता पर काफी लोन था जिसे उन्हें चुकाना था लेकिन वे अपने बेटे के सपने को नहीं मारना चाहते थे।
मधुर बताते हैं कि जब उन्हें अपनी पिता की मृत्यु के बारे मे पता चला तो उन्होंने अपनी मां को फोन लगाया लेकिन वे उन्हें सच्चाई नहीं बता पाए उन्हें अपने दादा-दादी को भी काफी फिक्र थी । किसी तरह उन्होंने बाद में मां को बताया। पिता के दाह संस्कार के बाद जब वे घर आए तो उनकी मां ने उनसे कहा कि तुम अपने सपने को पूरा करोगे और विदेश जाओगे यह केवल तुम्हारा सपना नहीं था तुम्हारे पिता भी चाहते थे कि तुम विदेश में जाकर पढ़ाई करो। इस बात ने मधुर को झकझोर दिया और उन्होंने भी ठान लिया कि वे इस सपने को पूरा जरूर करेंगे क्योंकि उनके इस सपने में उनके पिता की भी रजामंदी थी और वे भी चाहते थे कि मधुर विदेश जाकर पढ़ाई करे।
उसके बाद मधुर ने अपने रिश्तेदारों की मदद से अपने घर का लोन चुकाया और बाकी देनदारों का हिसाब किया उन्होंने तय किया कि वे विदेश तो जाएंगे लेकिन लोन नहीं लेंगे वे अपने परिवार पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहते थे। उनका परिवार एक युनीफार्म की दुकान चलाता है और वह उसी बिजनेस में कई वर्षों से लगे हुए हैं। वे उसे अभी बंद नहीं करना चाहते थे । अब उस दुकान को उनकी मां और दादजी चलाते हैं।
उनका यह कोर्स 6 भागों में बंटा है मधुर उसे 5 भागों में ही निपटाना चाहते हैं। हर भाग की ट्यूशन फीस 10 हजार डॉलर है। रहने और खाने के लिए वे अपनी निजी सेविंग से जोड़े पैसों का प्रयोग करना चाहते हैं, इस सेविंग का कुछ हिस्सा उन्हें देनदारों को चुकाने में भी निकल गया अब उनके पास 6 लाख रुपये हैं जो उनके रहने और खाने के लिए काफी होगा। लेकिन उन्हें चिंता ट्यूशन फीस की है। अपनी फैमली से और दूसरे सोर्स से भी उन्होंने काफी पैसा जोड़ लिया है लेकिन अभी भी उनके पास कोर्स के दो पार्ट के लिए पैसे नहीं हैं अभी भी उन्हें लगभग 20 हजार डॉलर की जरूरत है। मधुर ने इस फंड़ को जुटाने के लिए एक ऑनलाइन कैंपेन चलाई है। जहां लोग उनकी मदद कर रहे हैं। जिसका लिंक है -http://www.gofundme.com/help-madhur
मधुर बताते हैं कि वे चैरिटी के रूप में लोगों से मदद नहीं लेना चाहते वे लोगों से कहते हैं कि वे समय आने पर उनके द्वारा दिया गया सारा पैसा जरूर लौटा देंगे, हालाकि आज तक किसी भी मदददाता ने मधुर से पैसे लौटाने की बात नहीं कही है और लोग खुलकर उनके और उनके पिता को सपने को पूरा करने के लिए आगे आ रहे हैं।