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जीएसटी कानून लागू होने से बढ़ेंगे रोज़गार के नये अवसर: मोदी

भारत तीव्र वृद्धि हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है और एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिये अधिक आकषर्क गंतव्य है।

जीएसटी कानून लागू होने से बढ़ेंगे रोज़गार के नये अवसर: मोदी

Monday October 24, 2016 , 4 min Read

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून लागू होने से घरेलू मांग, कारोबार बढ़ेगा तथा रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। अब तक घरेलू बाजार खंडित रहा है और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कर की दर होने की वजह से वस्तु एवं सेवाएं महंगी होती हैं।

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इस व्यवस्था में अंतर-राज्य कारोबार की वृद्धि प्रभावित हुई है। हम एक समन्वित राष्ट्रीय बाजार तैयार करने के लिये वस्तु एवं सेवा कर कानून लागू करने जा रहे हैं। इससे घरेलू मांग में तेजी आएगी, घरेलू कारोबार भी बढ़ेगा तथा रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।

 भारत तीव्र वृद्धि हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है और एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिये अधिक आकषर्क गंतव्य है।

वास्तव में हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक आकषर्क स्थल के रूप में उभरे हैं। यह भारत के मजबूत बुनियादी ताकतों, लोकतंत्र, जनसंख्या संबंधी लाभ एवं मांग का नतीजा है। हमें इन शक्तियों को पूरी तरह उपयोग करने की जरूरत है। यह तभी हो सकता है जब कंपनियां दीर्घकालीन निवेश करें जिससे रोजगार सृजित हो और आर्थिक वृद्धि टिकाउ हो। 

मध्यस्थता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, कि भारत में डिजिटल क्रांति महसूस होने लगी है, जो देश में खासकर ग्रामीण समाज में डिजिटल और आर्थिक विभाजन को पाट रही है।

इस क्रांति से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। 

मोदी ने कहा, कि अनूठे व्यापार मॉडल और एप आधारित स्टार्ट-अप से भारतीयों में उद्यमिता की भावना बढ़ी है। उन्होंने कहा कि कल तक रोजगार तलाशने वाले आज रोजगार सृजन करने वाले बन गये हैं।

उधर दूसरी तरफ पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मध्यप्रदेश सरकार से कहा है, कि वह उद्योग जगत की मंशा के मुताबिक पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमत हों। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस फैसले से इन पदार्थों पर प्रदेश सरकार के कर राजस्व में कोई कमी नहीं आयेगी। प्रधान ने मध्यप्रदेश के वैश्विक निवेशक सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुखातिब होते हुए कहा, ‘प्रदेश में पिछले तीन-चार सालों के दौरान पेट्रोलियम पदार्थों की खपत में खासी वृद्धि दर्ज की गयी है। मैं अनुरोध करूंगा कि मुख्यमंत्री इन पदार्थों को जीएसटी वसूली के दायरे में लाने के बारे में राजी हों। इससे प्रदेश सरकार को कर राजस्व का नुकसान नहीं होगा। मैं उद्योग जगत की मंशा के मुताबिक कहना चाहता हूं कि निर्माण क्षेत्र के वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता रखने वाले मध्यप्रदेश जैसे राज्यों को पेट्रालियम पदार्थों को जीएसटी वसूली के दायरे में लाने की अनुमति देनी चाहिये।’ 

पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा मध्यप्रदेश में दो साल में 50 लाख नये एलपीजी कनेक्शन दिये जायेंगे। इसके मद्देनजर सूबे में गैस चूल्हा और अन्य उपकरणों के निर्माण के क्षेत्र में नये अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने यह भी कहा, कि सम्मेलन के दौरान पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन कंपनियों ने प्रदेश सरकार के साथ 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रस्तावित निवेश वाले तीन करार किये हैं। इनके तहत 3,200 करोड़ रुपये के निवेश से प्रदेश में 500 मेगावॉट का सौर उर्जा संयंत्र, 1,700 करोड़ रुपये के निवेश से डीजल, पेट्रोल और घरेलू गैस आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और खेतों में कटाई के बाद बचे अपशिष्ट से दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल बनाने के लिये 500 करोड़ रुपये के निवेश से हरित रिफाइनरी लगाने की परियोजनाओं से संबंधित हैं। फिलहाल हम हां और ना, दोनों की स्थिति में हैं। यह विषय जीएसटी परिषद के समक्ष है जहां केंद्र और राज्यों के बीच इस पर चर्चा होगी।’ 

उन्होंने कहा, ‘फिलहाल जीएसटी में प्रस्ताव है कि पेट्रोलियम पदार्थों को इस कर प्रणाली में शून्य कर के साथ रखा जाये। लेकिन उद्योग जगत का कहना है कि इन पदार्थों पर भी जीएसटी की वसूली होनी चाहिये, ताकि आने वाले दिनों में देशभर में इनके मूल्य एक जैसे हो सकें। उद्योगपतियों का मानना है कि सभी सूबों में इन पदार्थों के मूल्यों में एकरूपता आने से न केवल उनके कारोबार में इजाफा होगा, बल्कि राज्यों को भी इसका फायदा होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मामले से संबंधित पक्ष जीएसटी परिषद के सामने अपनी बात रखेंगे कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल किया जाये।’

देश के अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर कर की दरें अलग अलग हैं और उसकी वसूली को लेकर बड़े अंतर के बारे में पूछे जाने पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘यह राज्यों का विषय है कि वे किसी खास वस्तु पर कितना कर वसूलते हैं। हम कर वसूली को लेकर उन पर अपना कोई फैसला लाद नहीं सकते।’