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कोल्ड स्टोर के देसी जुगाड़ से एमपी के किसान ने मुनाफे को किया दस गुना

कोल्ड स्टोर के देसी जुगाड़ से एमपी के किसान ने मुनाफे को किया दस गुना

Thursday November 15, 2018 , 4 min Read

मध्य प्रदेश के धार जिले के किसान रवि पटेल ने कोल्ड स्टोर का देसी जुगाड़ कर अपनी तीन हजार क्विंटल प्याज को सड़ने से बचा लिया। इससे उनको दस गुना लगभग 96 लाख का मुनाफा हो गया। जो प्याज पैदावार के समय नौ हजार में बिकती, वो बरसात बाद एक करोड़ पांच लाख रुपए दे गई।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


प्याज मार्च-अप्रैल में खेतों से निकलती है। उस समय आवक अधिक होने से प्याज का मंडी भाव दो-तीन रुपए किलो रहता है। बारिश खत्म हो जाने के बाद उसी का भाव 35 रुपए किलो तक पहुंच जाता है।

मध्य प्रदेश के धार जिले के युवा किसान रवि पटेल अपने घर में ही कोल्ड स्टोरेज के देसी जुगाड़ से तीन रुपए किलो की प्याज पैंतीस रुपए में बेचकर दसगुना से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों के सामने बरसात के दिनो में कई सब्जियां, मसलन आलू-प्याज के सड़ने का डर रहता है। एक तरफ तो बारिश का पानी खेतों में जमा होने से सब्जी की फसल खेत में ही सड़ने लगती है, दूसरे बरसात से पहले घर में आ गई फसल के भी सड़ने का डर बना रहता है। आमतौर से जिस समय प्याज की फसल पैदा और पर्याप्त होती है, कीमत बहुत कम होने से किसान उसे मंडी में बेचना नहीं चाहते हैं। दाम में जब तक उछाल नहीं आए, उसका भंडारण उनकी मजबूरी होती है। इससे प्याज कुछ समय बाद, खास कर बरसात के दिनों में सड़ने लगती है। उस समय किसानों के सामने दोहरी मुश्किल पैदा हो जाती है और उनके पास भंडारण के लिए उपयुक्त जगह न होना बड़ा संकट रहता है। ऐसे में किसान प्याज बेंचने जाएं तो लागत भी न निकले और घर में स्टोर करें तो सड़ जाए। इसी मुश्किल का एक आसाना रास्ता ईजाद किया है रवि पटेल ने, जिससे उनको भारी मुनाफा हो रहा है। खरीदार नहीं, अपनी शर्तों पर वह प्याज बेच रहे हैं।

दरअसल, रवि पटेल ने प्याज स्टोर करने के लिए कोई ऐसा भी तरीका ईजाद नहीं किया है, जिसे हर किसान न कर सके। उन्होंने बंद कमरे में जमीन पर थोड़े-थोड़े फासले पर ईंट रखकर उसके ऊपर लगभग आठ इंच ऊंचाई पर लोहे की जाली को बिछा दिया। इसके बाद जाली पर प्याज बिछा दिया। लगभग 100 स्क्वेयर फीट की दूरी पर एक बिना पेंदे की कोठी रख दी। ड्रम के ऊपरी हिस्से में एग्जॉस्ट पंखे लगा दिए। पंखे की हवा जाली के नीचे से प्याज के निचले हिस्से से उठ कर ऊपर तक आती रही। इससे स्टोर प्याज में ठंडक बनी रही। दोपहर में तो हवा गर्म रहती ही, सिर्फ रात में पंखे चलाते।

इस तरह घरेलू देसी स्टोर में भंडारित उनकी एक हजार कुंतल प्याज साबुत पूरी तरह बच गई। इक्का-दुक्का जो प्याज सड़ जाए, उसे वे ढेर से हटा देते। जिस वक्त प्याज खेतों से आई, उस वक्त भाव दो-तीन रुपए किलो का था। बरसात बाद उसी प्याज का भाव जब पैंतीस रुपए तक पहुंच गया, रवि पटेल ने उसे बेचने में देर नहीं लगाई। उन्हे लगभग तीन हजार कुंतल प्याज की दस गुना से अधिक कीमत मिल गई। रवि ने कोल्ड स्टोर का देसी जुगाड़ कर अपनी तीन हजार क्विंटल प्याज को सड़ने से बचा लिया। इससे उनको दसगुना लगभग 96 लाख का मुनाफा हो गया। जो प्याज पैदावार के समय नौ हजार में बिकती, बरसात बाद एक करोड़ पांच लाख रुपए दे गई।

पिछले साल तो किसानों की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए कृषि मंडियों में सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य पर आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीदी प्याज 220 रुपए प्रति क्विंटल पर नीलाम कर देने की नौबत आ गई थी। तब भी हजारों कुंतल प्याज खुले में पड़ी रहकर नष्ट हो गईं। रवि पटेल बताते हैं कि उनके घरेलू जुगाड़ से अस्सी फ़ीसदी तक प्याज को सड़ने से बचाया जा सकता है। घरेलू कोल्ड स्टोरेज तैयार करने से पहले जहां दस प्याज खराब हो जाती थी, अब इक्का-दुक्का होती है। वह बताते हैं कि प्याज मार्च-अप्रैल में खेतों से निकलती है। उस समय आवक अधिक होने से प्याज का मंडी भाव दो-तीन रुपए किलो रहता है। बारिश खत्म हो जाने के बाद उसी का भाव 35 रुपए किलो तक पहुंच जाता है। ढेर में जमा होने से प्याज एक-दूसरे की गर्मी से ही खराब हो जाती है। मिट्टी की ठंडक से प्याज को बचाने का उनका देसी इंतजाम पूरी तरह कारगर साबित हुआ है।

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