जयपुर स्थित अपनी किड्स वियर कंपनी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना चाहती हैं स्निग्धा बिहान
बीस वर्षीय फैशन डिजाइनर और स्टाइलिस्ट स्निग्धा बिहान भी हमेशा से ही अपने क्षेत्र के पारंपरिक हस्तशिल्प से खासी प्रभावित रही हैं। शहर की पारंपरिक कला, शिल्प और कढ़ाई में उनकी मां की भागीदारी ने उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
स्निग्धा ने अपने पति और एक दोस्त से 10 लाख रुपये उधार लेकर शुरुआती निवेश के साथ अपना बिजनेस शुरू किया था। लेकिन अब स्निग्धा का ट्रेंडमोंगर्स 65 लाख रुपये का वार्षिक कारोबार करता है।
'पिंक सिटी ऑफ इंडिया' कहे जाने वाले जयपुर अपने ऐतिहासिक स्मारकों, जीवंत राजस्थानी संस्कृति, वास्तुकला, व्यंजन और विश्व प्रसिद्ध कला व शिल्प के लिए जाना जाता है। इसके अलावा भी जयपुर में बहुत कुछ है जो इस गुलाबी शहर को खास बनाता है। बीस वर्षीय फैशन डिजाइनर और स्टाइलिस्ट स्निग्धा बिहान भी हमेशा से ही अपने क्षेत्र के पारंपरिक हस्तशिल्प से खासी प्रभावित रही हैं। शहर की पारंपरिक कला, शिल्प और कढ़ाई में उनकी मां की भागीदारी ने उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि जब स्निग्धा खुद मां बनीं तो उन्हें एहसास हुआ कि यहां बच्चों के लिए क्लोदिंग मार्केट में बड़ा गैप है। फिर क्या था, 2015 में, उन्होंने प्रयोग के तौर पर सस्ते दामों में बच्चों के लिए पारंपरिक राजस्थानी शिल्प डिजाइन और समकालीन कपड़ों का एक मिश्रण स्टोर शुरू किया और फिर जयपुर में ट्रेन्डमोंगर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना कर डाली।
स्निग्धा ने अपने पति और एक दोस्त से 10 लाख रुपये उधार लेकर शुरुआती निवेश के साथ अपना बिजनेस शुरू किया था। लेकिन अब स्निग्धा का ट्रेंडमोंगर्स 65 लाख रुपये का वार्षिक कारोबार करता है। यह 'लिटिल पॉकेट्स स्टोर' नामक ब्रांड के तहत ऑपरेट होता है जो विशेष रूप से बच्चों के लिए राजस्थानी हैंडवर्क वाले एथनिक सेगमेंट उपलब्ध कराता है। कंपनी नवजात से लेकर 10 साल के बीच के लड़के और लड़कियों दोनों के लिए हाई क्वालिटी वाले फॉर्मल और सेमी फॉर्मल एथनिक एंड कैजुअल कपड़े बनाती है।
स्निग्धा ने फैशन डिजाइनिंग में डिग्री हासिल की है। उन्होंने मुंबई में एसएबी टीवी के श्री अधिकारी ब्रदर्स समूह के लिए स्टाइलिस्ट के रूप में भी काम किया है। यहां काम करने के दौरान मिले अनुभव और एक्सपोजर ने स्निग्धा को यहां तक पहुंचाया है इससे उन्हें बहुत मदद भी मिलती है। स्निग्धा ने अपनी नौकरी छोड़ी और मार्केट में बच्चों के लिए पहनने वाले एथनिक, कंटेपररी, ट्रैडिशनल और कैजुअल कपड़ों की खोज शुरू कर दी। उन्होंने महसूस किया कि मार्केट में बच्चों के लिए कुछ भी क्रिएटिव कपड़े उपलब्घ नहीं थे। उन्होंने इंडियन पैलेट के फंकी और ब्राइट रंगों को सेल्फ डिजाइन प्रिंट और हैंडवर्क के साथ शामिल करने का निर्णय लिया। स्निग्धा कहती हैं, "हमारे उत्पादों को बच्चों को अलग और समकालीन शैली का एक सहज पहनावा देने के लिए डिजाइन किया गया है। हम अपनी खास क्वालिटी, कंफर्ट और बिल्कुल फिट प्रोडक्ट पर गर्व महसूस करते हैं। ये हमारे सभी उत्पादों को प्रतिस्पर्धी ब्रांडों से अलग करता है।"
मुख्य मार्केट
स्निग्धा के मुताबिक, "इस फील्ड का बाजार आकार 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। शुरुआत में, हमारा मुख्य लक्ष्य भारतीय बच्चों के परिधान या घरेलू बाजार था, लेकिन अब हम विदेशों से भी डिमांड देख रहे हैं।" ट्रेंडमोंगर्स पांच लोगों की कोर टीम के साथ लगभग 90 से 100 हस्तशिल्प कलाकारों और निर्माताओं की टीम है। कंपनी अधिकतम ग्राहकों तक पहुंचने के लिए रिटेल और थोक चैनल पर भी बिजनेस करती है।
मील के पत्थर
स्निग्धा ने वियतनाम और बुडापेस्ट में बच्चों के फैशन वीक 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा उन्हें 2018 के लिए विशेष श्रेणी में महिला उद्यमियों के लिए 'अद्वैता अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया।
मुख्य चुनौतियां
स्निग्धा को उनकी व्यावसायिक यात्रा में कई चुनौतियां मिली हैं। हाल ही में, उन्हें ब्लॉक प्रिंटिंग वर्कर्स के एक ग्रुप के साथ एक समस्या का सामना करना पड़ा जो अपना पारंपरिक काम को छोड़ कर अधिक पैसे वाली जॉब करना चाहता था। वह कहती हैं, "मैं उन्हें दोष नहीं देती। लेकिन जानती हूं कि उनके लिए पर्याप्त काम उपलब्ध नहीं है। लेकिन हम एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं जहां हम उन्हें अपने काम में निरंतरता के साथ-साथ बेहतर वेतन भी प्रदान कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि हर जगह हमारे ग्राहक यह समझने की कोशिश करेंगे कि वे जो खरीद रहे हैं उस उत्पाद के पीछे की कहानी क्या है।" 2016 में सरकार की नोटबंदी के चलते कारोबार काफी प्रभावित हुआ और बिक्री में भी एक बड़ा झटका लगा। स्निग्धा कहती हैं, "चूंकि हमारे अधिकांश कर्मचारी ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जहां उन्होंने बैंकिंग सेवाओं का उपयोग नहीं किया, इसलिए हमने उन्हें सभी को कैश में भुगतान किया।"
यही नहीं इस दौरान कई बार कैश उपलब्ध न होने के चलते स्निग्धा को अपने कर्मचचारियों को शांत रखने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। ग्राहकों में सूचनाओं की कमी के चलते बाजार में भी बहुत घबराहट हुई थी, जिससे बिक्री में तत्काल गिरावट आई। स्निग्धा को किसी तरह वो साल काटने के लिए अपने सभी बैक अप का इस्तेमाल करना पड़ा।
स्निग्धा को अभी भी सरकार से काफी उम्मीद है और मानती हैं कि यह छोटे व्यवसायों के विकास की कुंजी है। वह कहती हैं, "अपने अनुभव से, मुझे लगता है कि सरकार ने उद्यमियों के लिए इन योजनाओं को लॉन्च करके पहले से ही अच्छा काम किया है, लेकिन आम जनता के बीच जागरूकता की एक बड़ी कमी है।" वह आगे कहती हैं, ""ऋण योजनाओं में उच्च ब्याज दरें हैं और ब्याज दरों में कमी से निश्चित रूप से नए व्यवसायों की मदद मिल सकती है।"
आगे की सोच
स्निग्धा सबसे पहले, अपनी कंपनी के लिए एक उचित सेटअप बनाना चाहती हैं और फिर अंततः पूरे भारत और विदेशों में नए संभावित बाजारों को एक्सप्लोर करना चाहती हैं। वह कहती हैं, "जो उद्यमी इस क्षेत्र में बड़ा बनाने का सपना देखते हैं, उन्हें अपने टार्गेट मार्केट को पहले से ही स्टडी करना चाहिए और लगातार एक ठोस विचार विकसित करने पर काम करना चाहिए। उन्हें जोखिम लेना चाहिए, अपने विजन पर भरोसा करना चाहिए।"
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