भारतीय इंजीनियर इजिप्ट और सुडान के बीच खाली पड़ी जगह पर बनाने जा रहा है नया देश
अफ्रीकी जमीन पर अपना देश बनाने की बात करने वाले भारतीय की पूरी कहानी...
सुयष ने एक बार इंटरनेट पर इस 800 स्क्वॉयर माइल वाली खाली जगह के बारे में पढ़ा था। तभी उनके मन में इसे अपना बनाने का आइडिया आया। हालांकि उन्होंने इसके बारे में कभी गंभीरता से नहीं सोचा।
हमने सुयष से बात की तो उन्होंने इस दिलचस्प सफर के बारे में बताया। सुयष इंडिया में रहकर वहां जाने की पूरी प्लानिंग करने लगे। उन्होंने इंदौर में बैठे-बैठे ही गाड़ी और ड्राइवर बुक कर लिया।
सुयष का काम सुनकर भले ही लोग उन पर हंसने लगें, लेकिन उनकी मंशा काफी गंभीर जान पड़ती है। उन्होने हमें बताया कि पहले तो वे खुद इसे हल्के में लेकर इसे सिर्फ मजे के लिए कर रहे थे, लेकिन वे अब इसे हकीकत में बदलने के बारे में सोच रहे हैं।
हमारे देश में अगर कहीं कोई बेकार और लावारिस जमीन हो जिसपर किसी सरकार या किसी व्यक्ति का मालिकाना हक न हो तो बहुत संभव है कि उसे कोई अपने नाम कर ले। लेकिन सात समंदर पार किसी अनजान देश में अगर कोई जमीन पड़ी भी हो तो क्या कोई उसे अपने नाम करने की सोच भी सकता है क्या? ऐसा हो सकता है और भारत का ही कोई रहने वाला ऐसा कर सकता है। बल्कि कहें कि ऐसा हो गया है। करने वाले का नाम सुयष दीक्षित है। इंदौर के रहने वाले सुयष पेशे से डेवलपर हैं और कोडिंग का काम करते हैं। इन दिनों वे सुर्खियों में बने हुए हैं। वजह यह है कि उन्होंने इजिप्ट और सुडान के बीच एक खाली जगह पर अपना दावा पेश कर दिया है और उसे एक देश बनाने के बारे में सोच रहे हैं।
इजिप्ट और सुडान की सीमा के बीच एक बहुत बड़ा रेगिस्तान है जिसे कोई भी देश अपना हिस्सा नहीं मानता। वजह ये है कि वह इलाका बंजर और रेगिस्तान है। वहां दिन में रेत पर सूरज की किरणों के अलावा और कुछ नहीं दिखता। सुयष ने एक बार इंटरनेट पर इस 800 स्क्वॉयर वाली खाली जगह के बारे में पढ़ा था। तभी उनके मन इसे अपना बनाने का आइडिया आया। हालांकि उन्होंने इसके बारे में कभी गंभीरता से नहीं सोचा। लेकिन हाल ही में उन्हें इजिप्ट से एक कॉन्फ्रेंस में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था। इससे सुयष के मन में एक बार फिर से उस जगह पर जाने की तमन्ना जागी।
हमने सुयष से बात की तो उन्होंने इस दिलचस्प सफर के बारे में बताया। सुयष इंडिया में रहकर वहां जाने की पूरी प्लानिंग करने लगे। उन्होंने इंदौर में बैठे-बैठे ही गाड़ी और ड्राइवर बुक कर लिया। हालांकि वे बताते हैं कि कोई भी ट्रैवल एजेंसी या कार ड्राइवर वहां जाने को राजी नहीं था। लेकिन उन्होंने किसी तरह एक गाड़ी वाले को मनाया। इसके लिए उन्हें काफी ज्यादा पैसे भी खर्च करने पड़े। इजिप्ट पहुंचने के बाद सुयष ने उस गुमनाम जगह जाने की तैयारी की। वे काफी सुबह ही अपने ड्राइवर के साथ निकल गए। अफ्रीकी देश का वह इलाका आंतकवाद से काफी प्रभावित है। इसलिए वहां जानमाल का भी काफी डर रहता है।
सुडान और इजिप्ट की सेनाएं दोनों ओर हमेशा तैनात रहती हैं। इसलिए वहां जाने के लिए अनुमति लेनी जरूरी होती है। बिर तवील नाम की यह जगह पूरे संसार में अकेली ऐसी जगह है जहां पर इंसानी जीवन संभव है, लेकिन उस पर कोई देश अपना दावा नहीं ठोंकता। उस जगह पर जाने के लिए सुयष ने काफी तैयारी कर रखी थी। उनकी योजना थी कि हर हाल में सूरज ढलने से पहले वे वापस लौट आएं। उस इलाके में कई तरह के प्रतिबंध भी है, जैसे वहां सैन्य इलाके में आप कोई फोटो नहीं ले सकते और कोई आपत्तिजनक सामान भी नहीं ले जा सकते। इन सभी शर्तों के साथ वे वहां गए और उन्होंने अपना झंडा लहराया इतना ही नहीं उन्होंने पेड़ के बीज भी रोपे। इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर अपने देश की घोषणा कर दी।
हालांकि इस जगह पर अपना दावा ठोंकने वाले सुयष पहले व्यक्ति नहीं हैं। इससे पहले वर्जीनिया के एक शख्स ने ऐसा ही कारनामा किया था। हमने जब सुयष से इस बारे में बात की तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि अभी तक यहां सिर्फ झंडा लहराया है, उन्होंने यहां बीज भी रोपे हैं। वैसे सुयष का काम सुनकर भले ही लोग उन पर हंसने लगें, लेकिन उनकी मंशा काफी गंभीर जान पड़ती है। उन्होने हमें बताया कि पहले तो वे खुद इसे हल्के में लेकर इसे सिर्फ मजे के लिए कर रहे थे, लेकिन वे अब इसे हकीकत में बदलने के बारे में सोच रहे हैं। उनका आइडिया है कि अभी क्रप्टोकरंसी का प्रचलन काफी बढ़ गया है, लेकिन किसी भी सरकार ने इसे मान्यता नहीं दी है। वे उस जगह पर अपनी सरकार बनाकर इस करंसी को मान्यता देना चाहते हैं।
उन्होंने वहां रहने के लिए दुनियाभर के लोगों से राय मांगी थी। वे बताते हैं कि उनके पास इस आइडिया के साथ काम करने के लिए सैकड़ों एप्लिकेशन आए हैं। सुयष कहते हैं कि वे इस चीज पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'वहां पर जाकर शासन करना मेरा लक्ष्य नहीं है क्योंकि वहां कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना असंभव जैसा है। लेकिन उस जगह का इस्तेमाल हम कई सारी चीजों के लिए कर सकते हैं और इसके लिए हमारी टीम काम भी कर रही है।' बता दें कि इंदौर में सुयष की खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी है जिसमें चालीस लोग काम करते हैं। वे गूगल सेंट्रल इंडिया डेवलपर टीम के हेड भी हैं।
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