ज़रूरत के वक्त महिलाओं के बड़े काम का बॉक्स ‘द वायलट’

ज़रूरत के वक्त महिलाओं के बड़े काम का बॉक्स ‘द वायलट’

Friday July 29, 2016,

7 min Read

ज्यादातर महिलाओं के लिए, उनके मासिकधर्म का वक्त एक निराशाजनक समय के समान होता है, लेकिन अब भारतीय महिलाएँ उन उदासी के पलों को आनंददायक पलों में बदल सकती हैं। ऐसा संभव हुआ है पुणे की कंपनी ‘द वायलट’ की संस्थापक योगिता मुथा और लौकिक बोथरा की वजह से। जो अनूठे तरीके से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सुखद अनुभव करा रहे हैं। ये अपने ऑनलाइन बॉक्स सदस्यता के ज़रिए प्रीमियम सौंदर्य प्रसाधन, शानदार चॉकलेट, बढ़िया चाय और कॉफी के साथ मासिक धर्म के दौरान ज़रूरी चीजें जैसे टैम्पोन और पैड मुहैया करता है। इन उत्पादों को बड़े ही सुंदर तरीके से पैक किया जाता है। साथ ही बॉक्स में मिलने वाले ब्रांड और फ्लेवर एकरसता को तोड़ने के लिए हर महीने बदले जाते हैं। वायलेट टीम स्वच्छता से जुड़ी ये चीजें ग़रीब महिलाओं को स्वाधर और डब्ल्यूआरएच जैसी स्वंय सेवी संगठनों के ज़रिए दान देती है।

फोर्ब्स के मुताबिक देश में सबस्क्रिप्शन का बाज़ार 18 अरब डॉलर के पार पहुंचने की उम्मीद है और इसके इस साल 25 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। मासिक धर्म के दौरान ऐसे प्रीमियम बॉक्स सबस्क्रिप्शन की आपूर्ति के क्षेत्र में फिलहाल ज्यादा खिलाड़ी नहीं हैं और ना ही कोई मार्केट लीडर है। क़रीब एक साल पुराना जूलियट ऐसा मिलता जुलता ब्रांड है। जबकि न्यूयॉर्क का कॉस्मेटिक सबस्क्रिप्शन ब्रांड ‘बर्चबॉक्स’ और इंग्लैंड का ‘पीरियडबॉक्स’ ऐसे ब्रांड हैं, जो इस क्षेत्र में जानेमाने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। फैब बैग और एमएसएम ऐसे दो सफल नाम है, जो भारत के सबस्क्रिप्शन बाज़ार में काम कर रहे हैं। योगिता का कहना है कि “मेरा विश्वास है कि भारतीय महिलाओं को इस तरह के लाड़ प्यार की ज़रूरत है। इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इस तरह का कारोबार दूसरे देशों में काफी प्रसिद्ध है। हमारा बॉक्स कोई फील गुड फैक्टर निर्धारित नहीं करता है।”

योगिता और लौकिक बोहरा 

योगिता और लौकिक बोहरा 


ये बात थोड़ी आश्चर्यजनक लगती है कि कोई व्यक्ति महिलाओं द्वारा, महिलाओं के लिए काम कर रहा है, लेकिन लौकिक इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते “मेरा दृष्टिकोण है कि ‘द वायलट’ एक असली समस्या को दूर कर सकता है और ये अपना प्रभाव भी डालता है। उबेर के ट्रैविस कलानिक ने भी जब अपनी टैक्सी कंपनी शुरू की तो उनको भी समस्याओं से दो चार होना पड़ा था और उन्होंने उन समस्याओं का हल निकाला। मेरा मानना है कि अंत में सिर्फ ये बात महत्व रखती है कि आपके काम का कितना असर हुआ। इसके साथ ‘द वायलट’ जिसे हम डिस्कवरी बॉक्स भी कह सकते हैं, जो मासिक धर्म के दौरान लाड प्यार जताता है। इससे पहले आपने एक ही बॉक्स में प्रसाधन, चाय, कॉफी और चॉकलेट का ऐसा मिश्रण नहीं देखा होगा। मेरी नजर में औरतों के अलावा आदमी भी इस बॉक्स को काफी पसंद कर सकते हैं, क्योंकि बहुत सारे मर्द अपनी पत्नियों को ये उपहार के तौर पर दे रहे हैं। इस देश में जहां मासिक धर्म की बात करना खराब माना जाता है, वहीं ये देखकर हैरानी होती है कि ‘द वायलट’ एक सामाजिक बदलाव ला रहा है।”

विफलता

ई-कॉर्मस प्लेटफॉर्म के तौर पर इस साल की शुरूआत में ‘द वायलट’ ने अपना एक मोबाइल ऐप भी जारी किया था। जिसमें सिर्फ महिलाओं के लिए स्वच्छता से जुड़े उत्पाद रखे गये थे। योगिता और लौकिक ने जब इस बारे में ग्राहकों से बात की तो उनको पता चला कि ऐसे उत्पाद वो फ्लिपकार्ट, अमेज़न, और दूसरी ई-कॉमर्स वेबसाइटों से ख़रीद रहे हैं। योगिता के कहना है कि “हमने लोगों से मासिक धर्म के दौरान इस्तेमाल होने वाले उत्पादों के बारे में सुझाव मांगे, जो कि यूएस और यूके में काफी प्रसिद्ध हैं। इसके बाद ‘द वायलट’ की शुरूआत हुई और हमने अपने ऐप को वापस ले लिया।”

जोरदार वापसी

योगिता और लौकिक ने अपनी सब्सक्रिप्शन सेवा को मई, 2016 में शुरू किया। इन युवा उद्यमियों ने सोशल मीडिया एडवरटाइजिंग के ज़रिए पुणे के कॉलेज जाने वाले छात्रों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया। इसका असर ये हुआ कि महीने भर के अंदर इनकी वेबसाइट और फेसबुक पेज पर 10 हजार लोग आये। ‘द वायलट’ के पास फिलहाल सौ ग्राहक हैं और उम्मीद की जा रही है कि इस सोशल मीडिया कैम्पेन के ज़रिए हर हफ्ते इनके पास 20 से 30 नये ग्राहक जुडेंगे।

ये बॉक्स फिलहाल दो विकल्पों में मौजूद है। पहला है ‘फैंटास्टिक’ और दूसरा है ‘वाह’। इसकी कीमत डेढ़ हज़ार रुपये से शुरू होती है और 24 सौ रुपये तक जाती है। इसका इस्तेमाल तीन महीनों के लिए किया जा सकता है। बरबेरी, फॉरेस्ट इसेंससियल, फरेरो रोचेर, लिंड, डांसिंग टी लिफ, ब्लैक बज्ज और इंडियन बीन ऐसे कुछ ब्रांड जो इस बॉक्स के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। इन लोगों ने इन कंपनियों के साथ गठजोड़ किया है।

‘द वायलट बॉक्स’ के पीछे की सोच

ग्राहकों की पसंद को समझना और वायलट की बिक्री बढ़ाने के साथ इससे जुड़े सारे काम योगिता और लौकिक खुद ही देखते हैं। इसके अलावा कांट्रेक्ट के आधार पर टीम से जुड़ने वाले लोगों को भी जानकारी देते हैं कि उनको कैसे काम करना है। इन्होंने पुणे में बॉक्स की डिलीवरी के लिए ‘रोडरनर’ के साथ समझौता किया है, जबकि देश के दूसरे हिस्सों में अपना माल पहुंचाने के लिए ये ‘डेल्हीवैरी’ की मदद लेते हैं। इनकी कोशिश अपने टीम के सदस्यों की संख्या और बढ़ाने की है।

सिम्बायोसिस की पूर्व छात्रा और चार्टेड अकाउंटेंट योगिता इससे पहले अर्न्स्ट एंड यंग के साथ सलाहकार को तौर पर काम कर चुकी हैं। जबकि लौकिक मैकिन्से एंड कंपनी के साथ काम कर चुके हैं। इसके अलावा वो 9/11 हमले के बाद न्यूयॉर्क में बन रहे नये वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की डिजाइन और इंजीनियरिंग टीम के सदस्य भी रह चुके हैं। लौकिक ने फ्रांस की इनसीड से एमबीए और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया है।

विचित्र मेल - लक्जरी उत्पाद और वंचित महिलाएँ

एक रिसर्च के मुताबिक आज भी 70 प्रतिशत महिलाएँ सेनेटरी नैपकिन महंगा होने के कारण इसका इस्तेमाल नहीं कर पातीं। इस समस्या से निपटने के लिए ‘द वायलट’ ज़रूरतमंद महिलाओं को स्वच्छता से जुड़ी चीजें दान में देता है। योगिता बताती हैं कि “हम जो भी दान देते हैं उसमें पारदर्शिता रखते हैं। साथ ही हम अपने सब्सक्राइबर से भी कहते हैं कि वो हमारी इस मुहिम में शामिल हों ताकि ज़रूरतमंद महिलाओं की मदद हो सके। आज अगर कोई महिला ‘द वायलट’ जैसी कंपनी को सब्सक्राइब करती है तो वो देश में मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता की समस्या दूर करने में मदद कर सकती है।”

आइए निवेश के बारे में बात करते हैं

इस स्टार्टअप ने मई,2016 में पुणे के एंजल इंवेस्टर से शुरूआती निवेश हासिल किया था। इसके अलावा इन्होंने अगले स्तर का निवेश हासिल करने के लिए सीरिज़ ए के निवेशकों से बातचीत शुरू कर दी है। उम्मीद है कि इस साल अगस्त तक इनकी बातचीत पूरी हो जाएगी। भविष्य में राजस्व हासिल करने के लिये ये लक्जरी ब्रांड के साथ गठजोड़ करना चाहते हैं जो इनके बॉक्स का इस्तेमाल अपने विज्ञापन के लिए करेंगे या फिर नये ज़ायक़े या वेरिएंट को इनकी मदद से बाज़ार में उतारेंगे। इस साल के अंत तक योगिता और लौकिक की योजना मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और कोलकाता में उतरने की है। अपने कारोबार का स्तर ऊंचा बनाये रखने के लिए वो सोशल मीडिया मार्केटिंग पर ही सबसे ज्यादा ध्यान देंगे।

देश में 50 प्रतिशत महिलाओं की आबादी 15 से 45 साल की उम्र के बीच है। इसका मतलब ये हुआ कि इस उम्र की 300 मिलियन लड़कियाँ और महिलाएँ हैं। इतना ही नहीं अगले दो सालों के अंदर 60 मिलियन लड़कियाँ किशोरावस्था में प्रवेश करेंगी। ऐसे में ‘द वायलट’ को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में पहला होने का लाभ उसे ज़रूर मिलेगा।

मूल - शारिका नायर

अनुवाद- गीता बिष्ट