देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा अध्यात्मिक टूरिज़्म
भारत के तीर्थ स्थलों में 'स्पिरिचुअल टूरिज़्म' को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड में स्पेशल इकोनॉमिक जोन से बड़ा महत्त्व स्पिरिचुअल इको जोन का है क्योंकि यहां गंगा और हिमालय हैं।
वर्तमान दिनचर्या काफी भाग-दौड़ भरी है। ऐसे में 'स्पिरिचुअल टूरिज़्म' एक ऐसा विकल्प है। जहां कुछ समय जाकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है। आध्यात्मिक शांति न केवल मन को तनाव रहित करती है।
यूनेस्को अब तक भारत के तीन दर्जन पर्यटन स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल कर चुका है। यूनेस्को किसी भी जगह को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करते समय कई बातों का ध्यान रखता है। जैसे उसका महत्व, खासियत, संस्कृति और इतिहास। पर्यटन उद्योग हमारे देश की विदेशी आय का एक बड़ा माध्यम है। इधर केंद्र एवं राज्य सरकारें खासकर धार्मिक-आध्यात्मिक स्थलों को पर्यटन के नक्शे पर विशेष महत्व देने लगी हैं। यद्यपि बिहार में पर्यटन के विकास की योजनाएं केंद्र की फाइलों में दबकर रह गई है, राज्य में रामायण और बौद्ध सर्किट के विकास से जुड़ी कई योजनाएं केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं मिल पाने से लंबे समय से अटकी हुई हैं। अधिकारियों के मुताबिक इस बारे में पर्यटन मंत्रालय से जल्द मंजूरी का अनुरोध किया जाएगा। राज्य सरकार बिहार में लंबे समय से बौद्ध और रामायण सर्किट के विकास की कोशिश में जुटी हुई है। इसके लिए 2017 में पर्यटन स्थलों का चयन भी हुआ। रामायण सर्किट के तहत राज्य सरकार ने सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी और बक्सर जिलों के 10 स्थलों का चयन किया। वहीं बौद्ध सर्किट के तहत राज्य सरकार ने गया, वैशाली, नालंदा और मुजफ्फरपुर जिलों में दर्जन भर स्थलों को चुना गया है।
पड़ोसी राज्य झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि सृष्टि में सूरज पूरब से उगता है। देश का विकास भी पूरब से ही होगा। ये राज्य धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ रहे हैं। पूर्वी और पूर्वोतर राज्य वन से अच्छादित हैं। यहां के पेड़-पौधों से आयुर्वेदिक दवा तैयार की जा सकती है। आधुनिक तरीके से आयुर्वेदिक दवा तैयार कर पूरे भारत को दिया जा सकता है। इसी तरह प्राकृतिक दृष्टि से ये राज्य काफी समृद्ध हैं। पर्यटन के क्षेत्र में भी इन राज्यों में अपार संभावनाएं हैं। उधर, भारत को गोल्फ टूरिज्म के नक्शे में पहचान दिलाने के लिए श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनैशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में हाल ही में गोल्फ टूरिज्म का आयोजन किया गया। इसमें सरकार और निजी सैक्टर के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस गोल्फ टूरिज्म कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर और भारत को गोल्फ टूरिज्म के नक्शे पर लाना है।
यद्यपि पत्थरबाजी ने राज्य के टूरिज्म को गहरा आघात दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में आध्यात्मिक एवं स्वास्थ्य से जुड़े पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक संभावनाओं के मद्देनजर पर्यटन स्थलों का विकास कर रही है ताकि देश विदेश से पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि उत्तर प्रदेश की पहचान असीम संभावनाओं वाले प्रदेश के रूप में बन गई है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि स्प्रिचुअल ऐंड वेलनेस टूरिज्म के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं और राज्य सरकार प्रदेश के पर्यटन स्थलों का विकास कर रही है ताकि देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।' उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी भी भारतीय पर्यटन के नक्शे पर एक प्रमुख स्थान रखता है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार कुंभ का आयोजन इलाहाबाद में 14 जनवरी से 4 मार्च 2019 तक होगा जिसमें रेलवे देशभर से लाखों श्रद्धालुओं को आने-जाने की सुविधा मुहैया कराएगा।
देवभूमि कहे जाने वाले भारत के प्रमुख पर्यटन राज्य उत्तराखंड में हाल ही में देश-दुनिया के शीर्ष उद्यमियों का जमावड़ा हुआ। चर्चा के केंद्र में रहा पर्यटन। देहरादून में देश के चोटी के निवेशकों की शिखर बैठक में दावा किया गया कि राज्य में करीब 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया जाएगा। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने निवेशकों की अगवानी की और ‘नये भारत' में निवेश का न्यौता दिया। अंबानी, अडानी, महिन्द्रा से लेकर पतंजलि और अमूल तक नामी गिरामी कारोबारी उत्तराखंड की राजधानी में निवेश सम्मेलन में जुटे। जापान, सिंगापुर आदि देशों से भी प्रतिनिधि मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में "स्पेशल इकोनॉमिक जोन" से बड़ा महत्त्व "स्पिरिचुअल इको जोन" का है क्योंकि यहां गंगा और हिमालय हैं। उन्होंने निवेश को अध्यात्म से जोड़ा और उत्तराखंड को पर्यटन का पूरा का पूरा पैकेज बताया। भारत के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी ने "देवभूमि उत्तराखंड" को "डिजीटल देवभूमि" में तब्दील कर देने का वचन दिया। अडानी समूह के प्रणव अडानी ने उत्तराखंड को "रिसर्जन्ट इंडिया का चमकता सितारा" करार दिया। अडानी समूह राज्य में 6500 करोड़ रुपये का, महिन्द्रा समूह 600 करोड़ रुपए का, पतंजलि 2500 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। अमूल, आईटीसी, जेएसडब्लू, पतंजलि अपने अपने ढंग से राज्य में निवेश की बौछार कर देंगे। 4000 करोड़ रुपए का निवेश कर चुके मुकेश अंबानी ने कहा है कि अगले दो साल में राज्य के ढाई हजार से ज्यादा स्कूलों और कॉलेजों को हाईस्पीड इंटरनेट से जोड़ दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को लुभाने के लिए 'आध्यात्मिक पर्यटन' को गति देने की शुरुआत कर दी थी। वह एक बेहतर पहल थी, जिस पर कार्य जारी है। भारत में ऐसे कई तीर्थ स्थल हैं, जहां 'स्पिरिचुअल टूरिज़्म' को बढ़ावा दिया जा रहा है। उज्जैन, इलाहाबाद, अयोध्या, वाराणसी, वृंदावन, मथुरा दक्षिण भारत के कई शहर ऐसे हैं जहां 'स्पिरिचुअल टूरिज़्म' को बढ़ावा दिया जा रहा है। पर्यटन को धर्म से अलग नहीं किया जा सकता है । वजह यह कि धर्म और पर्यटन का साथ 'खिचड़ी में घी' जैसा होता है।
मध्यप्रदेश में 'स्पिरिचुअल टूरिज़्म' को बढ़ावा देने के लिए उज्जैन एक बेहतरीन विकल्प है। इस धार्मिक शहर का पौराणिक इतिहास सदियों से समृद्ध है। ठीक इसी तरह उत्तरप्रेदश का वाराणसी, इलाहाबाद, मथुरा, वृंदावन में जाने वाला हर पर्यटक मंदिरों और वहां मौजूद धर्म से जुड़े अन्य विकल्पों को देख सकता है। वर्तमान दिनचर्या काफी भाग-दौड़ भरी है। ऐसे में 'स्पिरिचुअल टूरिज़्म' एक ऐसा विकल्प है। जहां कुछ समय जाकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है। आध्यात्मिक शांति न केवल मन को तनाव रहित करती है। बल्कि मानसिक शक्ति को भी बढ़ाती है। पृथ्वी पर चार जगहों पर महाकुंभ का आयोजन होता है। जोकि क्रमशः उज्जैन, नासिक, इलहाबाद और हरिद्वार यह भी उत्तर भारत में ही आते हैं। भारत में उत्तर भारत में ऐसे कई धार्मिक तीर्थ स्थल हैं जिनका सीधा संबंध रामायण, महाभारत और पौराणिक आख्यानों से है।
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