Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

राजस्थान की सूख चुकी धरती हुई पानी से लबालब

राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार ने एक बहुत ही जरूरी योजना शुरू की है। ऐसी योजना, जिसकी राजस्थान को सालों से जरूरत थी।

राजस्थान की सूख चुकी धरती हुई पानी से लबालब

Friday June 30, 2017 , 6 min Read

गांवों में वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आए, इसी सोच के साथ 27 जनवरी 2016 से राजस्थान सरकार ने 'मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान' योजना शुरू की थी, जिसके सकारात्मक नतीजे अब सामने आ रहे हैं। अभी हाल ही में जयपुर के एक गांव कांट में जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विकास विभाग द्वारा निर्मित एनीकट में गत दो दिनों में हुई मानसून पूर्व की बारिश से काफी मात्रा में पानी जमा हो गया है। बरसात से एनीकट में पानी के भराव से क्षेत्र के निवासियों के चेहरे खिल गए हैं।

image


राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार ने एक बहुत ही जरूरी योजना शुरू की है। ऐसी योजना, जिसकी राजस्थान को सालों से जरूरत थी।

अभियान के दूसरे चरण के तहत प्रदेश के 4200 गांवों और 66 शहरों तथा कस्बों में जल संरक्षण के करीब एक लाख 35 हजार काम होंगे। ये काम तय समयावधि में पूरे हों, इसके लिए हर महीने का रोडमैप तैयार किया गया है। अभियान के दूसरे चरण में पौधारोपण कार्यक्रम के तहत जल संरचनाओं के साथ एक करोड़ पौधे लगाये जाएंगे।

राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां पानी की कमी है और पड़ोसी राज्यों से मिलने वाला पानी अपर्याप्त है। राजस्थान में भीषण जल समस्या के निपटारे के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी दूरगामी सोच से 'मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान' की शुरूआत की थी। गांवों में वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आए, इसी सोच के साथ 27 जनवरी 2016 से ये योजना शुरू की गई थी जिसके सकारात्मक नतीजे भी अब सामने आ रहे हैं। अभी हाल ही में जयपुर के एक गांव कांट में जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विकास विभाग द्वारा निर्मित एनीकट में गत दो दिनों में हुई मानसून पूर्व की बारिश से काफी मात्रा में पानी जमा हो गया है। बरसात से एनीकट में पानी के भराव से क्षेत्र के निवासियों के चेहरे खिल गए है। बारिश के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर गांवों को जल आत्मनिर्भरता की ओर बढा़ना इस अभियान का मूल उद्देश्य है।

पानी के स्तर में काफी सुधार

राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के पहले चरण के बाद भू-जल स्तर में काफी सुधार हुआ है। इस अभियान से 25 ब्लॉक में भूजल का स्तर ऊपर आया है। वहीं कुल 50 ब्लॉक में भू-जल सुरक्षित स्तर तक आ पहुंचा है। इस योजना के अंतर्गत पेयजल का स्तर बढ़ाने के साथ-साथ राज्य के तालाबों के चारों और पेड़-पौधे भी लगाए जा रहे हैं। अभी तक 28 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं और एक करोड़ तक पौधे लगाए जाएंगे। पहले चरण की 94 हजार से अधिक जल संरचनाओं में से 95 प्रतिशत पानी से लबालब भर गई। इन जल संरचनाओं में वर्षाकाल के दौरान 11 हजार 170 मिलियन क्यूबिक फीट पानी का संग्रहण हुआ, जिससे करीब 41 लाख लोग और 45 लाख पशु लाभान्वित हुए। साथ ही करीब 28 लाख पौधे लगाए गए, जिनमें से अधिकतर आज भी हरे भरे हैं। संभवतः यह पहला मौका था कि किसी सरकारी अभियान में 53 करोड़ रुपये की राशि जन सहयोग से प्राप्त हुई। पहला चरण पूरा होने के बाद कई इलाकों में 15 फीट तक भूजल स्तर बढ़ गया। जिससे उन कुओं और बावड़ियों में भी पानी आ गया, जो बरसों से सूखे थे।

सूखे कुओं में फिर से पानी आया

गैर-मरूस्थलीय 23 जिलों के उन क्षेत्रों में जलस्तर बढ़ा है जो एमजेएसए प्रथम चरण का हिस्सा रहे थे। कई जगहों पर पुराने कुंओं में पानी आया है। मांडलगढ़ में तो 265 सूखे कुंओं में फिर से पानी आ गया है। एमजेएसए प्रथम चरण की सफलता का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभियान चलाया गया वहां टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति में करीब 57 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2016 की गर्मियों में जिन गांवों में 1551 टैंकर्स की सप्लाई की गई, इस बार गर्मी के सीजन मेें उन गांवों में सिर्फ 674 टैंकर्स की ही जरूरत पड़ी।

राजस्थान की चर्चा ब्रिक्स सम्मेलन में

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'मरू प्रदेश राजस्थान अब देश और दुनिया में जलक्रांति के अग्रदूत के रूप में जाना जा रहा है। राजस्थान की जनता ने अपने दम पर इस मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को सफल बनाकर पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया है। राजस्थान को जलभरा बनाने का यह अभियान इस कदर कामयाब हुआ कि ब्रिक्स सम्मेलन सहित पूरी दुनिया में इसकी गूंज सुनाई दी। साथ ही दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा नामीबिया जैसे देशों ने इसकी सराहना की है और इस माॅडल को अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्य हमसे प्रेरणा ले रहे हैं।मुझे पूरा विश्वास है कि अभियान के पूर्ण होने तक 295 ब्लॉक में से करीब 250 ब्लॉक अवश्य सुरक्षित जोन में होंगे। पहले चरण की ऐतिहासिक सफलता से जल स्वावलम्बन का सवेरा हो गया है। अब हम जलक्रांति के दूसरे अध्याय की शुरूआत कर रहे हैं। राजस्थान में जल सहेजने की परम्परा कोे आगे बढ़ाते हुए शहर और गांवों के पुराने जल स्रोतों को संवारने के लिए लोग स्वतः आगे आएंगे तो इससे प्रदेश में जल संकट दूर होगा और प्रदेश को जल स्वावलम्बी बनाने के सरकार के प्रयास सफल होंगे। हम खेतों को हरा-भरा बनाना चाहते हैं और हर गांव में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहते है। हमारा प्रयास है कि बरसात की एक-एक बूंद राजस्थान की धरती में समाए और यहां के लोगों की प्यास बुझाने के काम आए। जल स्वावलम्बन अभियान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश के 21 हजार गांवों में जब यह अभियान पूरा होगा तो राजस्थान की तस्वीर ही बदल जायेगी।'

क्या होगा अभियान के दूसरे चरण में

अभियान के दूसरे चरण के तहत प्रदेश के 4200 गांवों और 66 शहरों तथा कस्बों में जल संरक्षण के करीब एक लाख 35 हजार काम होंगे। ये काम तय समयावधि में पूरे हों, इसके लिए हर महीने का रोडमैप तैयार किया गया है। अभियान के दूसरे चरण में पौधारोपण कार्यक्रम के तहत जल संरचनाओं के साथ एक करोड़ पौधे लगाये जाएंगे। पहले चरण में इस साल 27 जनवरी से यह अभियान 3529 गांवों में चलाया गया था, इसकी सफलता के बाद अब अभियान के दूसरे चरण में शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री देंगी एक माह का वेतन

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में जलक्रांति लाने वाला यह अभियान जनक्रांति भी बने। इस दिशा में श्रीमती राजे ने स्वयं पहल करते हुए अभियान के दूसरे चरण के लिए अपना एक माह का वेतन देने की घोषणा की। राजे की इस पहल के बाद राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्यों और संसदीय सचिवों ने भी अपना एक माह का वेतन देने की घोषणा की।