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साइकिल चलाकर अनजान लोगों की जिंदगी में 15 साल से खुशी भर रहा है एक शख़्स

मध्य प्रदेश के मोहन सिंह कुशवाहा लोगों की जिंदगी से अधूरापन मिटाने का नेक काम करते हैं। वे हर सुबह अपनी साइकिल लेकर घर से निकल पड़ते हैं और साइकिल के कैरियर पर होता है किसी अनजान के लिए कोई खास तोहफा।

साइकिल चलाकर अनजान लोगों की जिंदगी में 15 साल से खुशी भर रहा है एक शख़्स

Tuesday April 18, 2017 , 5 min Read

बहुत अच्छा लगता है जब जन्मदिन पर यार-दोस्त और घरवाले रात 12 बजे से ही बधाईयां देनी शुरू कर देते हैं। गिफ्ट्स का ढेर लग जाता है, केक कटता है और खाली कमरे में गूंजता है कोई खूबसूरत गीत या फिर जन्मदिन के अलावा शादी की सालगिरह ही हो और चाहने वाले ढेर सारी प्लानिंग्स के साथ सरप्राइज़ कर दें। ये प्यार भरे पल ही इंसान के जीवन की पूंजी होते हैं। खुशियां इन छोटी-छोटी बातों में बेइंतेहा हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिनके पास ऐसा कोई नहीं जो ये निश्छल खुशी दे पाये, तो शायद उनके लिए ही मोहन सिंह कुशवाहा इस दुनिया में आये हैं।

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इससे पहले की राजेन्द्र प्रसाद कुछ समझते, सामने खड़े शख्स ने मुस्कुराकर कहा- 'हैप्पी बर्थडे राजेन्द्र जी'। राजेन्द्र अभी तक इस सामने खड़े इंसान का चेहरा याद करने की कोशिश कर ही रहे थे, कि उसने झट से उन्हें माला पहना दी, तिलक लगाकर मुंह मीठे से भर दिया और राजेन्द्र की आंखें छलक उठीं।

इंसान एक सामाजिक प्राणी है। किसी के पास कितनी भी दौलत आ जाये लेकिन अगर स्नेह और अपनापन नहीं मिलता है तो जिंदगी अधूरी-सी लगती है। इस भरी दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास खुश होने की वजहें तो हैं, लेकिन कोई साथी नहीं जो हर्षोल्लास के समय में साथ झूम सके। रिश्ते-नाते होते हुए भी अजनबी होते हैं। यहां ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें किन्हीं वजहों से वो प्यार नहीं मिल पाता, जिसके वे हकदार हैं। ऐसे में लोगों की जिंदगी से यही अधूरापन मिटाने का नेक काम करते हैं मध्य प्रदेश के मोहन सिंह कुशवाहा। 

मोहन सिंह हर सुबह अपनी साइकिल लेकर घर से निकल पड़ते हैं। साइकिल के कैरियर पर होता है किसी अनजान शख्स के लिए कोई खास तोहफा। वे उसके घर पहुंच कर, जन्मदिन/शादी की सालगिरह की बधाई देते हैं और ऐसा वे पिछले 15 सालों से कर रहे हैं।

जब एक अनजान के घर सुबह-सुबह किसी ने दस्तक दी

यही कोई सुबह के छह बजे होंगे। उजाला ठीक से हुआ भी नहीं था। तभी 47 साल के राजेन्द्र प्रसाद के घर पर दस्तक हुई, 'इस वक्त कौन होगा', यही सोचते हुए राजेन्द्र ने दरवाजा खोला। सामने फूलों की माला, मिठाई का डिब्बा, श्रीफल और चमकीले रैपर में गिफ्ट लिए एक बुजुर्ग उन्हें खड़ा मिला।

राजेन्द्र कुछ समझते, उससे पहले ही सामने वाले शख्स ने मुस्कुराकर कहा- हैप्पी बर्थडे राजेन्द्र जी। राजेन्द्र अभी तक इस सामने खड़े इंसान का चेहरा याद करने की कोशिश कर ही रहे थे, कि उसने झट से उन्हें माला पहना दी। फिर तिलक लगाकर मुंह मीठे से भर दिया। राजेन्द्र की आंखें छलक आईं घरवालों से भी पहले किसी अनजान ने जन्मदिन की बधाई जो दी थी। राजेंद्र को लगा जैसे खुदा का कोई नेक फरिश्ता उनके लिए जमीन पर आया हो। वो नेक फरिश्ता कोई और नहीं, मोहन सिंह कुशवाहा थे।

1600 लोगों की जिंदगी में खुशी की फुहार ला चुके हैं मोहन

मोहन को जानने वाले बताते हैं, कि वो करीब 1600 लोगों को यूं ही खुशी और अपनेपन से हैरान करते आए हैं। मोहन जिन लोगों से पहली बार मिलते हैं, उन्हीं से उनके परिचितों के नाम-पते, जन्म व विवाह की तारीख ले लेते हैं। इस तरह उन्होंने 1600 से ज्यादा लोगों के नाम-पते जुटाए हैं। उनकी लिस्ट में गोवा, पंजाब, राजस्थान के भी कई लोग हैं, जिन्हें वे फोन पर बधाई देते हैं। मोहन सरकारी टीचर थे, रिटायरमेंट के बाद भी कुछ करना चाहते थे, लेकिन पैसों के लिए नहीं, खुशी बांटने के लिए। इसलिए चार दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने अनजान लोगों को सबसे पहले बर्थडे-एनिवर्सरी विश करने का तरीका चुना। हालांकि बाद में एक-एक करके उनके सभी दोस्त पीछे हट गये।

ऐसा तीरथ तो हर किसी को करना चाहिए

मोहन सिंह से जब एक अखबार ने पूछा कि इस उम्र में तो लोग तीर्थ पर जाते हैं, पुण्य कमाते हैं लेकिन आप क्यों 15 साल से सुबह उठकर लोगों को तोहफे देने जाते हैं, वो भी उन्हें जिन्हें आप जानते तक नहीं?

जवाब में मोहन सिंह बोले, 'यही मेरा तीर्थ है, रोज किसी के चेहरे पर मुस्कान देकर आ जाना। अच्छाई कभी रुकती नहीं है। जो मैं लोगों के साथ करता हूं, वैसा ही वे दूसरों के साथ करते हैं। इस रूप में न सही, लेकिन अच्छाई किसी न किसी रूप में आगे बढ़ती ही है।'

सफर में आते हैं कई भावुक कर देने वाले मौके

मोहन बताते हैं, 'कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मैं किसी जोड़े को शादी की सालगिरह की बधाई देने जाता हूं और वहां पता चलता है कि उन दोनों में से कोई एक हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर जा चुका है। ये पल हमारे लिए बहुत भावुक कर देने वाला होता है। किसी अपने का हमेशा के लिए चले जाना अपने पीछे बड़ा सा खालीपन छोड़ जाता है।'

15 जून को होने वाला है मिलन समारोह

मोहन सिंह इस साल की 15 जून को एक मिलन समारोह करने वाले हैं। इसमें वे उन सभी 1600 लोगों को बुलायेंगे, जिनकी जिंदगी में उन्होंने खुशी की मिश्री घोली है। ये समारोह अद्भुत पलों को समेटे हुए होगा। मोहन के परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं। पत्नी का नाम भगवती है। शुरू में परिवार मोहन को यूं अकेले जाने से रोकता था, पर उनकी नेकदिली में अब तो परिवार का भी पूरा साथ है। किसी-किसी दिन जब कई लोगों के जन्मदिन एक साथ आ जाते हैं, तो उनका बेटा उन्हें अपने साथ बाइक पर ले जाता है।