कभी आंगनबाड़ी में रसोइया का काम करने वाली प्रमिला अब बैठेंगी संसद में
इस बार लोकसभा में अगर संख्या के लिहाज से देखें तो महिलाओं को बहुत अधिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। कुल 542 सीट्स में से सिर्फ 78 पर ही महिला सांसद चुन कर आई हैं। लेकिन एक ऐसे देश में जहां महिलाओं का राजनीति में प्रवेश करना मुश्किल माना जाता है वहां यह संख्या भी मायने रखती है। इन सभी महिला सांसदों की अपनी-अपनी दिलचस्प कहानी है। सबकी कहानी में धैर्य, दृढ़ संकल्प और थोड़ा सा हिस्सा किस्मत का भी होगा। इनमें से एक महिला सांसद हैं 68 वर्षीय प्रमिला बिसोई जिनकी कहानी बेहद दिलचस्प है।
ओडिशा के अस्का निर्वाचन क्षेत्र से बीजू जनता दल (बीजद) की सांसद प्रमिला की कहानी इसलिए दिलचस्प है क्योंकि उन्होंने पितृसत्ता की बेड़ियों को तोड़कर यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने देश की तमाम महिलाओं और लड़कियों को एक उम्मीद दी है कि वे अपनी जिंदगी में जो चाहें कर सकती हैं। प्रमिला जब सिर्फ पांच साल की उम्र में थीं तो उनकी शादी कर दी गई थी। इसलिए वे आगे स्कूल भी नहीं जा पाईं।
इसके बाद प्रमिला ने गांव में ही आंगनबाड़ी रसोइया के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन काफी कम पैसे मिलने की वजह से वे खुश नहीं थीं। उन्हें कुछ और करने का मन कर रहा था। इसलिए उन्होंने गांव में ही एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की। लगन, मेहनत और समर्पण की बदौलत प्रमिला को काफी कम वक्त में ही सफलता मिल गई और वे ओडिशा के महिला स्वयं सहायता समूह के मिशन शक्ति की प्रतिनिधि बन गईं।
प्रमिला काफी वक्त से समाज में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने और उनके रोजगार पर जोर देने में शामिल रही हैं। स्वयं सहायता समूह ने परिवारों को अपने बच्चों को आंगनाबाड़ी केंद्रों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके जरिए क्षेत्र के गांवों में स्वच्छता, स्वास्थ्य और पोषण पर बड़े पैमाने पर काम किया गया है।
प्रमिला आज भी एक साधारण किसान के रूप में अपना जीवन यापन करती हैं। उनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है। उनका एक बेटा तो चाय की दुकान चलाता है और दूसरा गैराज में मकैनिक है।। उनकी दो बेटियां भी हैं जिनकी शादी हो चुकी है और उनका परिवार आज भी आय के लिए खेती करता है।
जिस सीट से चुनकर प्रमिला संसद पहुंची हैं वह बीजेडी की काफी लोकप्रिय सीट रही है। इस सीट से ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक और उनके बेटे नवीन पटनायक सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। 2014 में इस सीट से स्वाइं लडू किशोर बीजेडी के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे थे। इस बार जब प्रमिला को बीजेडी ने टिकट दिया तो कुछ लोगों को यह नागवार गुजरा। लेकिन जब वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी अनीता सुभद्राशिनी को दो लाख से अधिक मतों के अंतर से हराकर जीतीं तो सब हैरान रह गए। प्रमिला बिश्नोई ने भाजपा नेता अनिता सुभदर्शिनी को 2,04,707 वोटों से हराया।
भले ही प्रमिला को काफी देरी से समाज में बदलाव लाने की जिम्मेदारी मिली है, लेकिन इसमें बहुत देर नहीं है। महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल प्रमिला से हम काफी कुछ उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रमिला के संसद तक पहुंचने में बीजेडी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक का भी योगदान है। उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में एक तिहाई महिलाओं को टिकट दिया था।