भारतीय स्टार्टअप्स में ब्रिटेन करेगा 16 करोड़ पौंड का निवेश
ब्रिटेन की दस कंपनियों ने भारत की मेक इन इंडिया व स्किल इंडिया पहलों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई है। इन कंपनियों में एचएसबीसी, वोडाफोन, रेकिट बेंकिसर, राल्स रायस व अवीवा शामिल है।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने आज घोषणा की कि उनका देश भारत में 75 स्टार्टअप उद्यमों में 16 करोड़ पौंड (लगभग 1330 करोड़ रुपये) निवेश करेगा। इस निवेश से नये रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। इसके साथ ही मे ने स्टार्टअप इंडिया वेंचर कैपिटल फंड में दो करोड़ पौंड अतिरिक्त देने की घोषणा की।
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उल्लेखनीय है कि टेरीजा मे इस समय भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने यहां प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक की और कई तरह के निवेश पर स्वस्थ्य चर्चा की। साथ ही यह भी कि भारत में 20 लाख लोगों के प्रशिक्षण में ब्रिटेन की कंपनियां अपना निवेश करेंगी। जिनमें ब्रिटेन की दस बड़ी कंपनियां हैं।
ब्रिटेन की दस कंपनियों ने भारत में लगभग 20 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए 2.929 करोड़ पौंड का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। उक्त निवेश 2020 तक किया जाना है। यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूकेआईबीसी) से हवाले से यह जानकारी प्राप्त हुई हैं।इसके अनुसार ब्रिटेन की दस कंपनियों ने भारत की मेक इन इंडिया व स्किल इंडिया पहलों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई है। इन कंपनियों में एचएसबीसी, वोडाफोन, रेकिट बेंकिसर, राल्स रायस व अवीवा शामिल है।
साथ ही ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थाई सदस्यता के भारत के प्रयासों पर अपना समर्थन दोहराया है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अपने संबंधित अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र से जुड़े सभी विषयों पर करीबी और नियमित परामर्श करने का निर्देश दिया। ब्रिटेन ने मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) में भारत के प्रवेश का भी स्वागत किया और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) तथा ऑस्ट्रेलिया ग्रुप जैसी अन्य महत्वपूर्ण निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की सदस्यता के भारत के प्रयासों पर समर्थन जताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने संयुक्त ब्रिटेन-भारत असैन्य परमाणु अनुसंधान कार्यक्रम के चौथे चरण का भी स्वागत किया जो परमाणु सुरक्षा बढ़ाने, परमाणु प्रणालियों के लिए आधुनिक सामग्रियों, कचरा प्रबंधन तथा भविष्य की असैन्य परमाणु उर्जा प्रणालियों के लिए नयी प्रौद्योगिकियों पर विचार करेगा।
दोनों पक्षों ने कहा कि वे इंटरनेट शासन के बहुपक्षीय मॉडल का भी मिलकर समर्थन करेंगे। दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘भारत-ब्रिटेन के बढ़ते साइबर संबंध रक्षा और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी (डीआईएसपी) की सफल कहानी बयां करते हैं।’ दोनों ने ब्रिटेन-भारत साइबर संबंध के लिए एक रूपरेखा तैयार करने की भी सहमति जताई। टेरीजा मे ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के ब्रिटेन के इरादे को भी जताया। संयुक्त वक्तव्य में दोनों प्रधानमंत्रियों ने कहा कि वे 2017 को भारत-ब्रिटेन के संस्कृति वर्ष के रूप में मनाने के लिए आशान्वित हैं।
उधर दूसरी तरफ केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलैक्ट्रॉनिक्स मंत्री रवि शंकर प्रसाद का कहना है कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था अगले पांच साल में एक हजार अरब डॉलर के आंकड़े को प्राप्त कर लेगी। इसके अलावा सरकार के सुशासन और तेज आपूर्ति के प्रयासों से घरेलू मांग बढ़ेगी और यह सब आईटी उद्योग के लिए असीम संभावनाओं से भरा होगा। मौजूदा समय में आईटी उद्योग में छायी सुस्ती चिंता का विषय है के सवाल पर प्रसाद ने कहा कि इन आशंकाओं को दूर किया जाना चाहिए क्योंकि भारतीय आईटी निर्यात अपने उच्चतम स्तर 100 अरब डॉलर पर पहुंच गया है और घरेलू कंपनियों की विश्व के 80 देशों के 200 शहरों में मौजूद हैं।
साथ ही प्रसाद ने यह भी कहा, कि ‘ इन सभी डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया पहलों को इस तरह तैयार किया गया है कि देश के आईटी माहौल को मजबूत बनाया जा सके और इससे सुशासन एवं त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित हों जिससे नए अवसरों का निर्माण हो सके।’ उन्होंने यह भी कहा, कि सरकार देश मे इलैक्ट्रानिक विनिमार्ण को तेज करने के लिए प्रयासरत है और पिछले एक साल में करीब 40 मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियां इस देश में आई हैं जो 11 करोड़ फोनों का विनिर्माण कर रही हैं। इन्होंने देश में करीब 40,000 प्रत्यक्ष और 1.25 लाख से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगारों को जन्म दिया है।
प्रसाद के अनुसार सरकार ने ई-बैंक, ई-भुगतान, ई-मंडी और अन्य डिजिटल आपूर्ति सुविधाओं के संवर्धन पर ध्यान दिया है, जिससे (डिजिटल सेवाओं की) घरेलू मांग बढ़ेगी।